(39)The need to understand the knowledge of Gita properly – 03

(39)गीता के ज्ञान को ठीक से समझने कीआवश्यकता – 03

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“क्या गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण ने दिया या परमात्मा शिव ने? |


 प्रस्तावना:

“श्रीमद्भगवद्गीता — सिर्फ़ एक ऐतिहासिक ग्रंथ नहीं, परमात्मा की सजीव वाणी है।”
गीता को अधिकांश लोग श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया संवाद मानते हैं।
परंतु ब्रह्माकुमारी ज्ञान और मुरली महावाक्य हमें बताते हैं —
यह ज्ञान स्वयं परमात्मा शिव द्वारा दिया गया था, ब्रह्मा तन के माध्यम से।


1. गीता का ज्ञानदाता कौन? श्रीकृष्ण या शिव?

Murli प्रमाण (18 जनवरी 2025):
“बच्चे, श्रीकृष्ण तो देवता है, लेकिन गीता ज्ञानदाता मैं परमपिता परमात्मा हूँ।
मैं ब्रह्मा तन में प्रवेश कर के तुम आत्माओं को ज्ञान सिखाता हूँ।”

सार:
श्रीकृष्ण सतयुग का पहला राजकुमार है,
लेकिन ज्ञान देना परमात्मा शिव का कार्य है — संगमयुग में।


2. अर्जुन विषाद योग – प्रथम अध्याय का रहस्य

संस्कृत श्लोक:
“…श्रीकृष्णार्जुनसंवादे अर्जुनविषादयोगो नाम प्रथमोऽध्यायः॥”

भावार्थ:
यह अध्याय दर्शाता है अर्जुन की मानसिक दुविधा — मोह और धर्म संकट।

 परन्तु यहाँ जो बोल रहा है वह श्रीकृष्ण नहीं,
बल्कि निर्देही परमात्मा शिव हैं — जो आत्मा को जागृति की दिशा में ले जा रहे हैं।


3. सांख्ययोग – आत्मा और शरीर का भेद (द्वितीय अध्याय)

श्लोक 2.20:
“न जायते म्रियते वा कदाचिन्…”
— आत्मा न कभी जन्म लेती है, न मरती है।

Murli प्रमाण (5 जुलाई 2025):
“बच्चे, आत्मा अविनाशी है। मैं तुम्हें आत्म-स्वरूप याद दिलाता हूँ।”

सार:
केवल परमात्मा शिव ही आत्मा की यह गूढ़ पहचान सिखा सकते हैं।


4. कर्मयोग – निष्काम कर्म और बुद्धियोग (तृतीय अध्याय)

श्लोक:
“…कर्मयोगो नाम तृतीयोऽध्यायः॥”

 इसमें कहा गया —
कर्म करते हुए भी आत्मा परमात्मा से जुड़ी रहे — यही “राजयोग” है।

Murli प्रमाण:
“बच्चे, बुद्धि का योग मुझ बाप से लगाओ, यही सहज राजयोग है।”

सार:
यह योग श्रीकृष्ण नहीं, सर्वशक्तिमान शिव ही सिखा सकते हैं।


5. निष्कर्ष: गीता का सच्चा ज्ञानदाता कौन है?

 गीता श्रीकृष्ण का संवाद नहीं,
बल्कि संगमयुग में परमात्मा शिव द्वारा दिया गया आत्मिक राजयोग ज्ञान है।

 यह ज्ञान ब्रह्मा के मुख से निकला — जिसे आज मुरली के रूप में सुनते हैं।
 यह आत्मा को उसकी सच्चाई, कर्म सिद्धांत और परमधाम की यात्रा याद दिलाता है।

“क्या गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण ने दिया या परमात्मा शिव ने? | 


प्रश्न 1: क्या गीता का ज्ञान वास्तव में श्रीकृष्ण ने दिया था?

 उत्तर:साधारण मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया।
लेकिन Murli में स्पष्ट कहा गया है:

Murli महावाक्य (18 जनवरी 2025):
“बच्चे, श्रीकृष्ण तो देवता है, लेकिन गीता ज्ञानदाता मैं परमपिता परमात्मा हूँ। मैं ब्रह्मा तन में प्रवेश करके तुम आत्माओं को ज्ञान सिखाता हूँ।”

सार:
श्रीकृष्ण सतयुग का देवता है।
ज्ञान देना, मोक्ष का मार्ग दिखाना — यह कार्य केवल परमात्मा शिव ही करते हैं, संगमयुग में।


प्रश्न 2: अर्जुन विषाद योग क्या है? क्या यह बाहरी युद्ध था?

 उत्तर:प्रथम अध्याय में अर्जुन का विषाद दर्शाया गया है —
धर्म संकट और मोह के द्वंद्व में फंसा हुआ मन।

संस्कृत श्लोक:
“…श्रीकृष्णार्जुनसंवादे अर्जुनविषादयोगो नाम प्रथमोऽध्यायः॥”

Murli समझ:
अर्जुन की हालत आज हर आत्मा की है — मोह बनाम धर्म।
इस अवस्था में, जो ज्ञान देता है, वह श्रीकृष्ण नहीं बल्कि परमात्मा शिव हैं —
जो निर्विकार, अजर, अविनाशी हैं।


प्रश्न 3: ‘सांख्ययोग’ क्या आत्मा-शरीर का भेद समझाता है?

उत्तर:श्लोक 2.20:
“न जायते म्रियते वा कदाचिन्…”
— आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है।

 यह आत्मा की अमरता और शाश्वतता का ज्ञान है।

Murli प्रमाण (5 जुलाई 2025):
“बच्चे, आत्मा अविनाशी है। मैं तुम्हें आत्म-स्वरूप याद दिलाता हूँ।”

सार:
यह गूढ़ आत्मज्ञान कोई मनुष्य नहीं, केवल परमात्मा शिव ही दे सकते हैं।


प्रश्न 4: क्या ‘कर्मयोग’ ही राजयोग है?

 उत्तर:तीसरा अध्यायकर्मयोग सिखाता है:
“कर्म करते हुए भी, बुद्धि परमात्मा से जुड़ी रहे।”

Murli प्रमाण:
“बच्चे, बुद्धि का योग मुझ बाप से लगाओ — यही सहज राजयोग है।”

सार:
सच्चा राजयोग है — फल की आसक्ति छोड़, परमात्मा की याद में कर्म करना।
यह श्रीकृष्ण नहीं, सर्वशक्तिमान शिव सिखाते हैं — जो संगमयुग में आते हैं।


प्रश्न 5: गीता का सच्चा ज्ञानदाता कौन है — अंतिम निष्कर्ष?

 उत्तर: गीता कोई मनुष्य या देवता नहीं, बल्कि स्वयं परमात्मा शिव ने दी —
ब्रह्मा के तन द्वारा, संगमयुग में।

 आज वही ज्ञान, Murli के रूप में, आत्माओं को सुनाया जा रहा है।
यह ज्ञान आत्मा को उसकी पहचान, कर्म सिद्धांत और परमधाम की यात्रा की याद दिलाता है।

Disclaimer (डिस्क्लेमर):


यह वीडियो आध्यात्मिक शोध, ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा प्रकट परमात्म ज्ञान (Murli), और गीता के श्लोकों के गूढ़ अर्थ पर आधारित है।
इसका उद्देश्य किसी धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाना नहीं है, बल्कि गीता ज्ञान के वास्तविक स्रोत की स्पष्टता देना है — जैसा कि ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की शिक्षाओं में वर्णित है।

इस चैनल का उद्देश्य है — आत्मा और परमात्मा के बीच के सच्चे संबंध को सरल भाषा में प्रस्तुत करना।

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