(64)अमरता की कीमत ईश्वर से मिलना सस्ता नहीं है
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
ब्रह्मा बाबा – ईश्वरीय यज्ञ के संस्थापक
प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक, ब्रह्मा बाबा — वे आत्मा, जो स्वयं शिव बाबा के मॉडल बने।
जिस शरीर द्वारा शिव बाबा ने संपूर्ण यज्ञ का आरंभ किया, चलाया, और आगे बढ़ाया।
ब्रह्मा बाबा एक इंजन जैसे थे, जो यज्ञ को शक्ति और गति प्रदान करते थे।
सभी उन्हें फॉलो करते गए, और इसी फॉलोइंग द्वारा हर आत्मा ने अपना पद निर्धारित किया।
अब हमारा भी यही पुरुषार्थ है —
ब्रह्मा बाबा को समझना, जानना, और उनके समान बनना।
कल्पना करें: जब भगवान स्वयं धरती पर आए…
कल्पना कीजिए, परमपिता शिव स्वयं इस पृथ्वी पर आए —
ज्ञान का सागर, प्रेम का सागर — परमधाम से नीचे।
आप क्या करेंगे?
क्या आप दौड़ कर नहीं जाना चाहेंगे?
क्या आप उन्हें देखने, मिलने, जानने की तड़प नहीं रखेंगे?
बिल्कुल यही हुआ जब पहली बार लोगों ने सुना:
“भगवान धरती पर आ गए हैं — माउंट आबू में!”
अप्रत्याशित उत्तर: “आप अभी नहीं मिल सकते”
जब लोग मिलने के लिए दौड़े —
तो उन्हें उत्तर मिला —
“आप उनसे अभी नहीं मिल सकते।”
चौंक गए सब — क्यों?
क्या भगवान सभी के लिए नहीं आए?
पात्रता की शर्त: पवित्रता — परमात्मा का पासपोर्ट
साफ उत्तर मिला —
केवल वे आत्माएं ही जा सकती हैं:
-
जो ब्रह्मचारी हैं,
-
शुद्ध शाकाहारी भोजन करती हैं,
-
जिनके विचार, दृष्टि और जीवनशैली निर्मल हैं।
कई लोग कहते —
“बहन, हमें दर्शन करा दो, शायद इससे शक्ति मिल जाए!”
लेकिन जवाब स्पष्ट था —
“काम का ज़हर पीते हुए, निर्विकारी बाप से नहीं मिल सकते।”
पवित्रता ही ईश्वर से मिलने का पासपोर्ट है।
क्यों यह सख्ती? — दिव्यता की रक्षा
जब हम अशुद्ध होते हैं —
हम शरीर को देखते हैं, आत्मा को नहीं।
शिव बाबा ब्रह्मा के माध्यम से आते हैं।
अगर कोई देहबुद्धि में है, तो उसे शिव नहीं, सिर्फ ब्रह्मा दिखेगा।
इसलिए —
एक गिद्ध हंसों के झुंड की उड़ान खराब कर सकता है।
उसी प्रकार, एक अशुद्ध आत्मा पूरी सभा के वातावरण को अशांत कर सकती है।
संघर्ष: दो रास्ते
कुछ ने कहा —
“यह बहुत कठिन है!”
और वे पीछे हट गए।
लेकिन कुछ आत्माओं ने साहस किया —
“अगर काम नरक का द्वार है, तो हम अभी छोड़ देते हैं।”
“अगर भगवान से मिलने की कीमत पवित्रता है, तो हम तैयार हैं।”
सच्चे प्रेमी: जिन्होंने कीमत चुकाई
कुछ साधक बोले —
“हम पहले से ही स्वच्छ हैं। हम ब्राह्मण जीवन जी रहे हैं।
हम अपने पड़ोसियों से साक्षी कर सकते हैं।”
वे बहन के सामने गवाही देकर बोले —
“हम तैयार हैं — हमें ले चलो।”
और जब वे गए…
जब उन्होंने ब्रह्मा के माध्यम से शिव बाबा के दर्शन किए,
तो आँखों से आँसू बह निकले।
आत्मा की पहचान मिल गई।
वे मिलन —
एक सेकंड का नहीं, अमरता का अनुभव बन गया।
अमरता की कीमत है
ईश्वर से मिलना सस्ता नहीं।
यह कोई पर्यटक यात्रा नहीं,
यह आत्मा की परमात्मा से साक्षात्कारी भेंट है।
और इसके लिए चाहिए —
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शुद्ध खानपान
-
ब्रह्मचर्य जीवन
-
शुद्ध दृष्टि और संकल्प
-
ईश्वरीय आज्ञा का पालन
प्रेमियों को कीमत चुकानी पड़ती है।
क्या आप तैयार हैं?
अंत में यही प्रश्न उठता है:
क्या आप अमरता की कीमत चुकाने को तैयार हैं?
क्या आप भी ब्रह्मा बाबा समान बनकर शिव बाबा के दर्शन करना चाहेंगे?
Q1: प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक कौन हैं?
उत्तर:इस विश्वविद्यालय के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा हैं, जिनके माध्यम से शिव बाबा ने संपूर्ण यज्ञ का आरंभ, संचालन और विस्तार किया।
Q2: ब्रह्मा बाबा को “इंजन” क्यों कहा जाता है?
उत्तर:क्योंकि ब्रह्मा बाबा ने यज्ञ को गति, शक्ति और दिशा दी — ठीक जैसे इंजन पूरी ट्रेन को चलाता है।
Q3: जब लोगों को पता चला कि भगवान धरती पर आए हैं, तो उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर:लोग उत्साहित होकर मिलने दौड़े, लेकिन उन्हें चौंकाने वाला उत्तर मिला: “आप अभी नहीं मिल सकते।”
Q4: भगवान से मिलने के लिए क्या पात्रता मांगी गई थी?
उत्तर:केवल वे आत्माएं मिल सकती थीं जो:
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ब्रह्मचारी हों,
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शुद्ध शाकाहारी हों,
-
और जिनका जीवन निर्मल और सच्चा हो।
Q5: क्या कोई अशुद्ध व्यक्ति शिव बाबा के दर्शन कर सकता है?
उत्तर:नहीं। अशुद्ध व्यक्ति देहबुद्धि में होता है और ब्रह्मा में ही अटक जाता है, शिव बाबा को नहीं पहचान सकता।
Q6: पवित्रता को ‘परमात्मा से मिलने का पासपोर्ट’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:क्योंकि बिना पवित्रता के आत्मा शिव बाबा की निर्विकारी रोशनी को अनुभव नहीं कर सकती।
Q7: कुछ लोग पीछे क्यों हट गए?
उत्तर:उन्होंने कहा कि ये जीवनशैली कठिन है। वे काम, माया और अहंकार को नहीं छोड़ पाए।
Q8: किन आत्माओं ने परमात्मा से मिलने की कीमत चुकाई?
उत्तर:जिन्होंने पवित्रता का व्रत लिया, साक्ष्य दिए और कहा — “हम तैयार हैं, हमें ले चलो।”
Q9: ब्रह्मा बाबा के माध्यम से शिव बाबा के दर्शन का अनुभव कैसा था?
उत्तर:आत्मा रो पड़ी — जैसे सदियों का बिछड़ा हुआ पिता मिल गया हो। वह मिलन अमर अनुभव बन गया।
Q10: ईश्वर से मिलने के लिए किन चार मुख्य बातों की आवश्यकता है?
उत्तर:
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शुद्ध खानपान
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ब्रह्मचर्य जीवन
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शुद्ध दृष्टि और संकल्प
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ईश्वरीय आज्ञा का पालन
Q11: क्या भगवान से मिलना एक सामान्य यात्रा है?
उत्तर:नहीं। यह आत्मा की परमात्मा से साक्षात्कारी मुलाकात है — अमरता का अनुभव।
Q12: क्या आप अमरता की कीमत चुकाने को तैयार हैं?
उत्तर (व्यक्तिगत मनन):
अगर हाँ, तो आज से ही ब्रह्मा बाबा समान बनने का संकल्प लें।
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