(73)जब ईश्वर ने इस धरती पर नया युग रचने की शुरुआत की
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“ईश्वर का अवतरण | ब्रह्मा बाबा के माध्यम से नया युग रचना | Shiv Baba का चमत्कारिक कार्य”
ब्रह्मा बाबा के माध्यम से नया युग रचने की शुरुआत
प्रस्तावना:
हम ब्रह्मा बाबा की जीवन गाथा के 73वें हिस्से में प्रवेश कर चुके हैं।
आज हम उस ऐतिहासिक क्षण को जानने जा रहे हैं जब स्वयं परमपिता परमात्मा ने इस धरती पर नया युग रचने का कार्य प्रारंभ किया।
1. एक साधारण तन में ईश्वर का अवतरण
यह कोई कल्पना नहीं — यह है एक सच्ची दिव्य गाथा।
एक सामान्य वृद्ध तन में ईश्वर का आगमन हुआ।
उदाहरण:
जैसे कोई राजा साधारण भेष में गांव आता है और लोग पहचान नहीं पाते।
वैसे ही परमात्मा भी चमत्कार नहीं करते — वे दिव्य ज्ञान और योगबल से कार्य करते हैं।
मुरली बिंदु:
“मैं साधारण तन में प्रवेश कर अपना कार्य करता हूं। ब्रह्मा के मुख द्वारा ज्ञान सुनाता हूं।”
2. विकारों के चरम पर, पुनर्निर्माण की शुरुआत
जब मानव आत्माएं अपनी हाईएस्ट स्थिति से गिरकर अज्ञान में खो जाती हैं —
तब परमात्मा पुनर्निर्माण के कार्य हेतु अवतरित होते हैं।
मुरली:
“जब धर्म की हानि होती है, मैं आता हूं — धर्म की स्थापना के लिए।”
3. माध्यम कौन? — प्रजापिता ब्रह्मा
परमात्मा ने प्रजापिता ब्रह्मा के तन को माध्यम बनाया।
और यहीं से बनी वह संस्था जिसे हम आज ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के नाम से जानते हैं।
👁️🗨️ उदाहरण:
90 वर्ष पहले 15-20 माताओं के साथ एक छोटी शुरुआत।
आज 5400+ सेवा केंद्र विश्वभर में।
मुरली:
“यह शिव बाबा की यूनिवर्सिटी है — जहां से तुम राजयोग सीखकर विश्व का मालिक बनते हो।”
4. पहचानो — इससे पहले कि देर हो जाए
परमात्मा स्वयं सामने हैं — लेकिन हम पहचानें भी तो कैसे?
उदाहरण:
“जब भगवान अकल बांट रहे थे, क्या हम सो रहे थे?”
यदि अब भी ध्यान नहीं दिया — तो पछतावा ही शेष रहेगा।
मुरली:
“अभी बाप सामने है — पहचानो और वर्सा लो। बाद में समय नहीं मिलेगा।”
5. सेवा का विस्तार — विश्वव्यापी मिशन
1957 के बाद से यह सेवा विश्व स्तर पर फैल गई।
अब यह कार्य भारत से निकलकर लंदन, अमेरिका, रूस, जापान, अफ्रीका तक पहुंच चुका है।
उदाहरण:
1971 में लंदन में पहला केंद्र खुला।
दादी जानकी जी ने योग बल से भूमि को शक्तिशाली बनाया।
मुरली:
“बाप सर्वशक्तिमान है — वे अपने बच्चों से भी ऐसा कार्य कराते हैं जो मनुष्य सोच भी नहीं सकते।”
6. ईश्वरीय कार्य की विविधता — नवाचार के साथ
बाबा ने ज्ञान को संगीत, चित्रकला, नाटक, नृत्य के माध्यम से सुंदर रूप में प्रस्तुत किया।
उदाहरण:
BK चित्रकारों द्वारा बनाए गए देवी-देवताओं के चित्र — अनेक आत्माओं के ध्यान का आधार बने।
मुरली:
“तुम बच्चे दुनिया को साक्षात्कार कराओगे — ज्ञान, योग और सेवा से।”
7. साक्षात्कार का सही अर्थ
साक्षात्कार केवल दृश्य अनुभव नहीं है,
बल्कि सत्य को समझकर आत्मा को अनुभवी बनाना है — कि बाबा कौन हैं, क्या कर रहे हैं?
8. ईश्वर का झंडा — हर कोने में फहराया गया
आज ब्रह्मा कुमारी सेवाएं 140+ देशों में चल रही हैं — कुछ खुले रूप में, कुछ गुप्त।
मुरली:
“बाप का कार्य विश्वव्यापी है — यह राजयोग की शिक्षा अब सारे विश्व में फैल रही है।”
9. योग शक्ति का उपहार — आत्माओं का सशक्तिकरण
राजयोग के माध्यम से आज हजारों आत्माएं शक्तिशाली बन रही हैं।
यह आत्मबल ही आधुनिक युग का सबसे बड़ा उपहार है।
मुरली:“तुम बच्चों को आत्मा की शक्ति से साक्षात्कार कराना है।”
पहचानो, जागो, जुड़ो
परमात्मा स्वयं इस समय ज्ञान दे रहे हैं।
यह समय मूल्यवान है।
यदि हम नहीं पहचाने — तो हम भी उन हजारों में होंगे जो अंत में कहेंगे:
“हाय! भगवान सामने थे… और हमने ध्यान ही नहीं दिया।”
अंतिम संदेश:
“आज पहचान लो — कल बहुत देर हो जाएगी।”
“जब स्वयं भगवान शिक्षा दे रहे हों — तो चूकना दुर्भाग्य है।”
प्रश्नोत्तर श्रृंखला
“ईश्वर का अवतरण | ब्रह्मा बाबा के माध्यम से नया युग रचना | Shiv Baba का चमत्कारिक कार्य”
Q1: क्या ईश्वर का अवतरण कोई कल्पना है या यथार्थ?
उत्तर:यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि एक यथार्थ ऐतिहासिक गाथा है।
परमात्मा स्वयं एक साधारण वृद्ध तन — प्रजापिता ब्रह्मा के माध्यम से इस धरती पर अवतरित हुए।
📜 मुरली:
“मैं साधारण तन में प्रवेश कर अपना कार्य करता हूं। ब्रह्मा के मुख द्वारा ज्ञान सुनाता हूं।”
Q2: ईश्वर किस समय अवतरित होते हैं?
उत्तर:जब विकार चरम पर पहुँच जाते हैं और आत्माएं अज्ञान में डूब जाती हैं —
तब परमात्मा पुनर्निर्माण के लिए अवतरित होते हैं।
📜 मुरली:
“जब धर्म की हानि होती है, मैं आता हूं — धर्म की स्थापना के लिए।”
Q3: परमात्मा अपना कार्य किसके माध्यम से करते हैं?
उत्तर:परमात्मा ब्रह्मा बाबा के तन में प्रवेश करके अपना कार्य करते हैं।
उनके माध्यम से ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।
मुरली:“यह शिव बाबा की यूनिवर्सिटी है — जहां से तुम राजयोग सीखकर विश्व का मालिक बनते हो।”
Q4: क्या परमात्मा को पहचानना कठिन है?
उत्तर:हाँ, जब परमात्मा साधारण रूप में आते हैं, तो लोग उन्हें नहीं पहचानते।
अगर हमने अब भी ध्यान नहीं दिया — तो पछताना पड़ेगा।
मुरली:
“अभी बाप सामने है — पहचानो और वर्सा लो। बाद में समय नहीं मिलेगा।”
Q5: ब्रह्मा कुमारी संस्था का विस्तार कब और कैसे हुआ?
उत्तर:1957 से सेवा का वैश्विक विस्तार प्रारंभ हुआ।
1971 में लंदन में पहला केंद्र खुला, और आज 140+ देशों में सेवाएं हो रही हैं।
मुरली:
“बाप सर्वशक्तिमान है — वे अपने बच्चों से भी ऐसा कार्य कराते हैं जो मनुष्य सोच भी नहीं सकते।”
Q6: ईश्वरीय सेवा में कौन-कौन से नवाचार हुए हैं?
उत्तर:ज्ञान को गीत, चित्रकला, नृत्य, नाटक आदि के माध्यम से भी फैलाया गया।
BK चित्रकारों द्वारा बनाए गए देवी-देवताओं के चित्र ध्यान का साधन बने।
मुरली:
“तुम बच्चे दुनिया को साक्षात्कार कराओगे — ज्ञान, योग और सेवा से।”
Q7: साक्षात्कार का सही अर्थ क्या है?
उत्तर:साक्षात्कार का अर्थ केवल दृश्य अनुभव नहीं,
बल्कि आत्मा को सत्य का अनुभव कराना है — कि बाबा कौन हैं, क्या कर रहे हैं।
Q8: क्या आज परमात्मा का झंडा विश्व में फहराया जा रहा है?
उत्तर:हाँ, ब्रह्मा कुमारी सेवा केंद्र आज न्यूयॉर्क से टोक्यो, अफ्रीका से ऑस्ट्रेलिया तक फैले हैं — कुल 140+ देशों में सेवा चल रही है।
मुरली:
“बाप का कार्य विश्वव्यापी है — यह राजयोग की शिक्षा अब सारे विश्व में फैल रही है।”
Q9: योग शक्ति से आत्माएं कैसे सशक्त बनती हैं?
उत्तर:राजयोग द्वारा आत्मा आत्मबल, संकल्प-शक्ति और निर्णय-शक्ति प्राप्त करती है।
यह आंतरिक विजय ही आज की सबसे बड़ी शक्ति है।
मुरली:
“तुम बच्चों को आत्मा की शक्ति से साक्षात्कार कराना है।”
Q10: अगर आज हमने ईश्वर को नहीं पहचाना, तो क्या होगा?
उत्तर:यदि आज हम पहचानने में चूक गए, तो अंत में पछतावा ही रह जाएगा —
“भगवान आए थे, ज्ञान दे रहे थे… पर हमने ध्यान ही नहीं दिया।”
मुरली संकेत:
“आज पहचान लो — कल बहुत देर हो जाएगी।”
“जब स्वयं भगवान शिक्षा दे रहे हों — तो चूकना दुर्भाग्य है।”
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