त्रिमूर्ति कौन है और कैसे है?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
त्रिमूर्ति कौन है और कैसे? | शिवबाबा की त्रिमूर्ति और आत्मा के अंदर त्रिमूर्ति का रहस्य |
प्रस्तावना:
ओम् शांति।
आज हम एक अत्यंत गूढ़ और शक्तिशाली विषय को समझने जा रहे हैं –
“त्रिमूर्ति कौन है और कैसे?”
यह विषय हमें ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय ज्ञान में दो स्तरों पर मिलता है –
एक विश्व की कार्यविधि (Macrocosmic) और दूसरा आत्मा की आंतरिक यात्रा (Microcosmic)।
आइए इसे विस्तार से दो भागों में समझें।
(1) ब्रह्माकुमारी ज्ञान में त्रिमूर्ति कौन?
– एक Macrocosmic दृष्टिकोण
त्रिमूर्ति का अर्थ है – तीन कार्यकारी शक्तियाँ:
ब्रह्मा, विष्णु और शंकर।
ब्रह्मा – रचना की शक्ति
शिवबाबा के संकल्प से नई सृष्टि की स्थापना ब्रह्मा के माध्यम से होती है।
मुरली प्रमाण:
“ब्रह्मा द्वारा रचना होती है…” – साकार मुरली 15-02-2024
विष्णु – पालना की शक्ति
स्थापित देवी संस्कारों की सहज पालना का प्रतिनिधित्व करते हैं विष्णु।
“विष्णु द्वारा पालना…” – सा. मुरली 07-06-2023
शंकर – संहार / परिवर्तन की शक्ति
पुरानी दुनिया, पुराने संस्कारों, रावण राज्य के विनाश की शक्ति।
“शंकर द्वारा संहार…” – सा. मुरली 07-06-2023
निष्कर्ष:
त्रिमूर्ति कोई अलग-अलग देवता नहीं, बल्कि शिवबाबा की तीन कार्य शक्तियाँ हैं।
ब्रह्मा – स्थापना, शंकर – संहार, विष्णु – पालना।
यह एक दिव्य प्रबंधन व्यवस्था है – God’s Cosmic Management System।
(2) हर आत्मा में त्रिमूर्ति कैसे?
– एक Microcosmic दृष्टिकोण
यह ज्ञान और अनुभव का बहुत ही गूढ़ पहलू है –
हर ब्राह्मण आत्मा भी त्रिमूर्ति बनती है।
ब्रह्मा तत्व – आत्मा में देवी गुणों की स्थापना
हर आत्मा खुद में ईश्वरीय गुणों की स्थापना करती है –
शांति, प्रेम, पवित्रता, धैर्य।
“बच्चे, तुम्हें ब्रह्मा बनना है…” – मुरली भावार्थ
शंकर तत्व – आत्मा के अंदर विकारों का संहार
आसुरी संस्कारों, रावण स्वरूप, वासनाओं और विकारों का नाश करती है –
क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार।
विष्णु तत्व – आत्मा में गुणों की पालना
स्थापित गुणों की सेवा, अभ्यास और निरंतरता बनाए रखना –
ध्यान, स्वमान, श्रेष्ठ संकल्प, सेवा।
मुरली चिंतन:
“बच्चे, तुम्हें ब्रह्मा बनना है, फिर विष्णु बनना है, और रावण रूप का संहार करना है।”
निष्कर्ष:
“त्रिमूर्ति कौन है?” – दो उत्तर हैं:
विश्व स्तर (Macrocosmic):
शिवबाबा की संकल्प शक्ति से ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के द्वारा
स्थापना – संहार – पालना की दिव्य व्यवस्था।
व्यक्तिगत आत्मिक स्तर (Microcosmic):
हर ब्राह्मण आत्मा स्वयं
देवी गुणों की स्थापना (ब्रह्मा), विकारों का संहार (शंकर), गुणों की पालना (विष्णु) करती है।
त्रिमूर्ति कौन है और कैसे?”
प्रश्न 1: त्रिमूर्ति क्या है?
उत्तर:त्रिमूर्ति का अर्थ है – तीन मुख्य कार्यकारी शक्तियाँ:
ब्रह्मा, विष्णु, और शंकर।
यह कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि ईश्वरीय कार्यप्रणाली का प्रतीक है।
ब्रह्मा = रचना की शक्ति
विष्णु = पालना की शक्ति
शंकर = संहार / परिवर्तन की शक्ति
प्रश्न 2: क्या शिव बाबा त्रिमूर्ति हैं?
उत्तर:नहीं, शिव बाबा स्वयं त्रिमूर्ति नहीं हैं।
शिव है Supreme Soul – परमात्मा।
वे त्रिमूर्ति के माध्यम से कार्य करते हैं।
साकार मुरली प्रमाण:
“शिवबाबा त्रिमूर्ति के माध्यम से कार्य करते हैं – ब्रह्मा द्वारा स्थापना, शंकर द्वारा संहार, और विष्णु द्वारा पालना।”
– साकार मुरली 07-06-23
प्रश्न 3: ब्रह्मा, विष्णु और शंकर कौन हैं?
उत्तर:यह प्रतीकात्मक शक्तियाँ हैं:
-
ब्रह्मा = ज्ञान द्वारा रचना
-
शंकर = पुराने, आसुरी तत्वों का विनाश
-
विष्णु = सतोप्रधान गुणों की पालना
इनकी मूर्तियाँ हिन्दू धर्म में पूजी जाती हैं, लेकिन उनका आध्यात्मिक अर्थ शिवबाबा द्वारा बताया गया है।
प्रश्न 4: क्या त्रिमूर्ति सिर्फ ब्रह्मा-विष्णु-शंकर हैं?
उत्तर:नहीं, त्रिमूर्ति को दो स्तरों पर समझना चाहिए:
Macrocosmic स्तर पर:
त्रिमूर्ति = ब्रह्मा, विष्णु, शंकर — जो शिवबाबा की संकल्प शक्ति द्वारा प्रेरित होते हैं।
रचना, संहार और पालना का कार्य होता है विश्व परिवर्तन हेतु।
Microcosmic स्तर पर:
हर आत्मा भी त्रिमूर्ति बनती है —
-
ब्रह्मा तत्व: आत्मा खुद में देवी गुणों की स्थापना करती है
-
शंकर तत्व: आत्मा आसुरी संस्कारों का संहार करती है
-
विष्णु तत्व: आत्मा उन अच्छे गुणों की पालना करती है
प्रश्न 5: हर आत्मा त्रिमूर्ति कैसे हो सकती है?
उत्तर:हर आत्मा के भीतर तीन कार्य होते हैं:
-
स्थापना (ब्रह्मा): शांति, पवित्रता, प्रेम जैसे गुणों का विकास
-
संहार (शंकर): क्रोध, मोह, आलस्य जैसे विकारों का अंत
-
पालना (विष्णु): नियमित अभ्यास, ध्यान, सेवा के द्वारा गुणों की रक्षा
मुरली भावार्थ:
“बच्चे, तुम्हें ब्रह्मा बनना है, फिर विष्णु बनना है और अंदर के रावण रूप का संहार करना है।”
प्रश्न 6: त्रिमूर्ति का वास्तविक उद्देश्य क्या है?
उत्तर:त्रिमूर्ति का उद्देश्य है – पुराने दुनिया की समाप्ति और नई दुनिया की शुरुआत।
Macro स्तर पर: शिवबाबा ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के द्वारा विश्व को बदलते हैं
Micro स्तर पर: हर ब्राह्मण आत्मा स्वयं को बदलकर नई दुनिया की नींव रखती है
“त्रिमूर्ति कौन है और कैसे?”
उत्तर है:Macrocosmic स्तर पर:
ब्रह्मा = रचना,
शंकर = संहार,
विष्णु = पालना – ये सब शिवबाबा की संकल्प शक्ति से संचालित।
Microcosmic स्तर पर:
हर आत्मा ब्रह्मा बनकर स्थापना करती है,
शंकर बनकर विकारों का अंत करती है,
और विष्णु बनकर दिव्य गुणों की पालना करती है।
अंतिम प्रेरणादायक विचार:
“जैसे शिवबाबा त्रिमूर्ति के माध्यम से विश्व परिवर्तन करते हैं,
वैसे ही हर ब्राह्मण आत्मा त्रिमूर्ति बनकर स्वयं का परिवर्तन करती है –
और यही विश्व परिवर्तन की शुरुआत है।”
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