Trinity one or three?

त्रिमूर्ति एक या तीन?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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त्रिमूर्ति एक है या तीन?

आज हम जानेंगे एक गूढ़ आत्मिक रहस्य शिव का ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के साथ क्या संबंध है

त्रिमूर्तिशिव का रहस्य यह कोई पौराणिक कथा नहीं यह है परमात्मा शिव के द्वारा सुनाया गया गुप्त दिव्य ज्ञान, जो आज ब्रह्माकुमारी मुरलियों में प्राप्त होता है।

 त्रिमूर्ति क्या है? त्रिमूर्ति = ब्रह्मा + शंकर +विष्णु 

 परंतु मुरली ज्ञान कहता है:ये तीनों कोई देवता व्यक्ति नहीं, बल्कि तीन विभाग हैं एक ही शिव बाबा के कार्य के।

 सा.मुरली:20-11-22शिवबाबा त्रिमूर्ति का रचयिता है। त्रिमूर्ति के द्वारा यह सृष्टि चक्र

 चलता है।तीनों मूर्तियों का कार्य और शिव का संबंध:

ब्रह्मा सृष्टि की रचना (ज्ञान का आधार) शिव ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर ज्ञान की सृष्टि रचते हैं

 शंकर माया का विनाश (योग-संकल्पों से) शिव ब्रह्मा की आत्मा को शंकर समान संकल्प देता है

 विष्णु पालना का स्वरूप (देवता स्थिति) ब्रह्मा ही पुरुषार्थ कर विष्णु बनते हैं शिव उनका मार्गदर्शक है

उदाहरण से समझें: जैसे एक ही सूर्य से तीन कार्य होते हैं:

प्रकाश देना, गर्मी से रोग नाश करना, और जीवन पोषण करना

वैसे ही, एक ही शिव बाबा की तीन शक्तियाँ तीन रूप में कार्य करती हैं

  1. ज्ञान रूपी ब्रह्मा,
  1. संकल्प शक्ति रूपी शंकर,

3.पालना स्वरूप विष्णु।

त्रिमूर्ति शिवका रहस्य:

त्रिमूर्ति शिवका अर्थ यह नहीं कि शिव तीन हैं

बल्कि यह कि एक शिव ही तीनों कार्य करते हैं।

 सा.मुरली:25-07-22 यह त्रिमूर्ति कार्य एक ही शिव बाबा कराते हैं।

अ मुरली:18-01-90 शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा रचना रचते हैं, फिर यही ब्रह्मा शंकर समान बन संकल्पों द्वारा विनाश करता है, फिर विष्णु बनता है।

शिव और त्रिमूर्ति का संबंध कैसे जुड़ता है? ब्रह्मा दादा लेखराज (तन रूपी रथ) शिव इसमें प्रवेश कर ज्ञान द्वारा रचना रचते हैं

 शंकर ब्रह्मा की आत्मा की संकल्प शक्ति  योगबल से परिवर्तन कर शंकर समान कार्य कराते हैं

 विष्णु ब्रह्मा की आत्मा की पूर्ण अवस्था ब्रह्मा ही जब संपूर्ण बनता है, तो विष्णु बनता है

विशेष तथ्य: त्रिमूर्ति में कोई भी शिव नहीं है।

शिव निराकार हैं, परमधाम निवासी हैं

वे किसी भी एक रूप में नहीं आते, बल्कि तीनों रूपों का निर्देशक हैं।

साकार मुरली मैं एक को ही रथ बनाता हूँ ब्रह्मा को फिर उन्हीं से तीनों कार्य कराता हूँ।

 निष्कर्ष शिव बाबा त्रिमूर्ति के जनक हैं।

ब्रह्मा से रचना करते हैं। शंकर समान संकल्पों से माया विनाश कराते हैं।

और ब्रह्मा को ही विष्णु बना देते हैं जो सतयुग की पालना करता है।

इसलिए कहा जाता है त्रिमूर्ति शिव तीनों कार्यों का आधार एक परमात्मा

 अंतिम प्रेरणा:प्यारे आत्माओं, यह गुप्त ज्ञान पारंपरिक देवता उपासना से कहीं ऊँचा है।

यह ज्ञान हमें शिव बाबा स्वयं समझाते हैं जिससे हम भी त्रिमूर्ति ब्रह्मा के समान संपूर्ण फरिश्ता बन सकते हैं।

त्रिमूर्ति एक है या तीन?

(Shiv aur त्रिमूर्ति का गुप्त आध्यात्मिक रहस्य)


प्रश्न 1: क्या त्रिमूर्ति तीन अलग-अलग देवता हैं?

उत्तर:नहीं। ब्रह्माकुमारी मुरली ज्ञान के अनुसार, त्रिमूर्ति कोई तीन अलग-अलग व्यक्ति नहीं हैं।
बल्कि ये तीन विभाग हैं – एक ही शिव बाबा के तीन कार्यों को दर्शाने वाले।

  • ब्रह्मा = रचना

  • शंकर = संहार

  • विष्णु = पालना

जैसे एक ही सूर्य से प्रकाश, गर्मी और जीवन पोषण तीन कार्य होते हैं – वैसे ही एक शिव तीनों कार्य करते हैं।

मुरली प्रमाण:
“शिवबाबा त्रिमूर्ति का रचयिता है। त्रिमूर्ति के द्वारा यह सृष्टि चक्र चलता है।”
(सा. मुरली – 20-11-22)


प्रश्न 2: “त्रिमूर्ति शिव” का अर्थ क्या है?

उत्तर:“त्रिमूर्ति शिव” का मतलब यह नहीं कि शिव तीन रूप में आते हैं।
बल्कि, एक ही निराकार शिव बाबा अपने संकल्प शक्ति से तीनों कार्य कराते हैं — ब्रह्मा, शंकर और विष्णु के द्वारा।

मुरली प्रमाण:
“यह त्रिमूर्ति कार्य एक ही शिव बाबा कराते हैं।”
(सा. मुरली – 25-07-22)


प्रश्न 3: शिव बाबा का त्रिमूर्ति से क्या संबंध है?

उत्तर:

  • ब्रह्मा: शिव, ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर ज्ञान द्वारा सृष्टि की रचना करते हैं।

  • शंकर: शिव, ब्रह्मा की आत्मा को शंकर समान योग-संकल्प शक्ति प्रदान करते हैं, जिससे माया का विनाश होता है।

  • विष्णु: ब्रह्मा ही पुरुषार्थ कर संपूर्ण बनते हैं, तब वही आत्मा विष्णु बनती है – और सतयुग में पालना करती है।

उदाहरण:
जैसे एक ही सूर्य तीन कार्य करता है – वैसे ही शिव बाबा भी त्रिकालदर्शी रूप से तीन कार्य कराते हैं।


प्रश्न 4: क्या त्रिमूर्ति में शिव शामिल हैं?

उत्तर:नहीं। त्रिमूर्ति में स्वयं शिव बाबा नहीं आते।
शिव निराकार हैं, परमधाम निवासी हैं — वे किसी एक मूर्ति में नहीं आते, बल्कि तीनों कार्यों के निर्देशक हैं।

मुरली वाणी:
“मैं एक को ही रथ बनाता हूँ – ब्रह्मा को – फिर उन्हीं से तीनों कार्य कराता हूँ।”
(साकार मुरली)


प्रश्न 5: ब्रह्मा, शंकर, विष्णु कैसे आपस में जुड़ते हैं?

उत्तर:ये तीनों एक ही ब्रह्मा आत्मा के तीन स्तर हैं:

  • ब्रह्मा (शुरुआत): रचना का आधार – ज्ञान प्राप्त कर कार्य शुरू करता है

  • शंकर (बीच में): संकल्पों द्वारा आत्मा स्वयं में पुरानी माया का विनाश करती है

  • विष्णु (अंत में): ब्रह्मा ही पुरुषार्थ द्वारा विष्णु बनता है – अर्थात संपूर्ण फरिश्ता स्वरूप


“त्रिमूर्ति एक ही है – शिव बाबा के तीन कार्य।”
शिव बाबा हैं निर्देशक, और ब्रह्मा के माध्यम से ही

  • रचना (ब्रह्मा),

  • संहार (शंकर),

  • और पालना (विष्णु)
    का कार्य कराते हैं।


 अंतिम प्रेरणा:

“जैसे शिव बाबा त्रिमूर्ति के माध्यम से सृष्टि का परिवर्तन करते हैं,
वैसे ही हम आत्माएं भी त्रिमूर्ति समान बनकर
अपने जीवन का और विश्व का परिवर्तन कर सकते हैं।”

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