Why is Murli called ‘Akashvani’?

मुरली को ‘आकाशवाणी’ क्यों कहा जाता है?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“मुरली को आकाशवाणी क्यों कहा जाता है? | क्या यह सचमुच भगवान की आवाज़ है? | Brahma Kumaris 


 “मुरली को आकाशवाणी क्यों कहा जाता है?”

ओम् शांति।

आज का विषय है:
“मुरली को आकाशवाणी क्यों कहा जाता है?”

दुनिया में अक्सर कहा जाता है कि “भगवान ने आकाशवाणी की”
लेकिन क्या वास्तव में परमात्मा आकर यूँ ही कोई ध्वनि करते हैं?

परमात्मा को भी यदि हमसे कुछ कहना है, तो उसे आवाज़ की ज़रूरत है।
और आवाज़ के लिए एक शरीर चाहिए — एक माध्यम चाहिए।

तो क्या यह सिर्फ एक सुंदर उपमा है,
या मुरली को आकाशवाणी कहने के पीछे कोई गहरा आध्यात्मिक रहस्य छिपा है?

आइए — बाबा की मुरली के आधार से इसे समझते हैं।


1. मुरली का अर्थ क्या है?

6 जुलाई 2025 की मुरली में बाबा ने स्पष्ट कहा:

“मुरली का अर्थ है वह ध्वनि, जो शरीर के फेफड़ों, गले, तालू, दाँत, होठों आदि से निकलती है।”

यह कोई साधारण ध्वनि नहीं,
यह ज्ञान की शक्ति से निकलती हुई दिव्य ध्वनि है —
यानी ‘आकाशवाणी’।

उदाहरण:
जैसे बांसुरी में हवा भरते हैं और छिद्रों को रोकने से मधुर स्वर निकलता है,
वैसे ही शिव बाबा, ब्रह्मा बाबा के तन को बांसुरी बनाकर ज्ञान की वायु फूँकते हैं,
और वही बनती है — मुरली

  • बांसुरी = शरीर

  • हवा = ज्ञान

  • ब्रह्मा = माध्यम

  • शिव बाबा = ज्ञानदाता

  • ध्वनि = मुरली


2. मुरली को ‘उपदेश’ क्यों नहीं कहते?

कोई संत, गुरु या शिक्षक उपदेश दे सकता है,
परंतु यह मुरली उपदेश नहीं, अनुभव कराती है —
शांति का, परमधाम का, आत्मा की स्थिति का।

6 जुलाई 2025 की मुरली में बाबा ने कहा:

“यह मुरली देही अवस्था से निकलती है, देहभाव से नहीं।”

इसलिए यह मुरली आत्मा को परमात्मा समान बना देती है।
यह केवल ज्ञान नहीं, बुद्धि का रूपांतरण है।


3. मुरली है या आकाशवाणी?

6 जुलाई 1982 की अव्यक्त मुरली में बाबा ने स्पष्ट कहा:

“यह वाणी कोई साधारण नहीं, यह वाणी ‘आकाशवाणी’ है।”

  • यह किसी मनुष्य की सोच से नहीं आती।

  • यह ना ज़मीन से जुड़ी है, ना मनुष्यता से।

  • यह आती है — अव्यक्त फरिश्ता समान स्थिति से।

आकाशवाणी = Universal Truth की Sound
यह मुरली ब्रह्मा के मुख से जरूर निकलती है,
लेकिन यह आवाज़ शिव बाबा की होती है।

जैसे रेडियो में आवाज़ किसी और की होती है —
वैसे ही ब्रह्मा बाबा का शरीर रेडियो है,
और मुरली है — शिव बाबा की वाणी।


4. मुरली = आत्मा की प्राणवायु

बाबा कहते हैं:

“मुरली आत्मा की ऑक्सीजन है।”

यदि हम मुरली को श्रद्धा और भावना से सुनते हैं,
तो वह बन जाती है — जीवन की संजीवनी।

यह केवल शब्द नहीं,
यह वह शक्ति है जो आत्मा को
मृत भाव से जाग्रत अवस्था में ले जाती है।


5. मुरली = आत्मा की दिशा

मुरली कोई जानकारी नहीं देती,
बल्कि जीवन की दिशा देती है।

  • यह वाणी परमधाम से आती है।

  • यह वाणी जन्म-मरण से परे है।

  • यह एक लाइव ब्रॉडकास्ट है — हर दिन की।

यह रिकॉर्डेड नहीं, रियल है।
हर दिन बाबा नई बातें, नई रोशनी,
नई शक्ति देकर हमें आत्मिक रीचार्ज करते हैं।

 मुरली क्यों अमूल्य है?

  • मुरली = परमात्मा का पर्सनल मैसेज

  • मुरली = आत्मा की शक्ति का स्रोत

  • मुरली = आत्मा और परमात्मा का सीधा संपर्क

  • मुरली = चेतना को ऊपर उठाने वाली ईश्वरीय ध्वनि

इसलिए ब्रह्मा कुमारीज़ में मुरली को केवल ‘पाठ’ नहीं,
‘ईश्वर का संवाद’ माना जाता है।


समापन:

आइए —
हम मुरली को केवल सुनें नहीं,
बल्कि अनुभव करें, जीवन में उतारें,
और दूसरों को भी इस ईश्वरीय आकाशवाणी से जोड़ें।

ओम् शांति।

प्रश्नोत्तर श्रृंखला:
“मुरली को आकाशवाणी क्यों कहा जाता है? | क्या यह सचमुच भगवान की आवाज़ है? | Brahma Kumaris Hindi Q&A”


प्रश्न 1:मुरली को आकाशवाणी क्यों कहा जाता है?

उत्तर:क्योंकि यह वाणी परमात्मा शिव द्वारा ब्रह्मा बाबा के मुख के माध्यम से दी जाती है। यह कोई मानवीय विचार नहीं, बल्कि दिव्य ज्ञान की शक्ति से उत्पन्न हुई ध्वनि है, जो अव्यक्त स्थिति से आती है — इसी कारण इसे आकाशवाणी कहा जाता है।


प्रश्न 2:क्या परमात्मा को बोलने के लिए शरीर की आवश्यकता होती है?

उत्तर:हाँ। आवाज़ के लिए फेफड़े, गला, तालू, होंठ आदि की जरूरत होती है। इसलिए परमात्मा शिव, ब्रह्मा बाबा के तन को माध्यम बनाते हैं, और उसी माध्यम से मुरली बोलते हैं।


प्रश्न 3:“मुरली” का सही अर्थ क्या है?

उत्तर:मुरली = वह ध्वनि जो ब्रह्मा बाबा के शरीर द्वारा निकलती है लेकिन प्रेरणा शिव बाबा की होती है।
यह ध्वनि ज्ञान से भरी हुई होती है — जैसे बांसुरी में फूंक से स्वर निकलता है, वैसे ही ज्ञान की फूंक से ब्रह्मा की वाणी बनती है।


प्रश्न 4:मुरली और उपदेश में क्या अंतर है?

उत्तर:उपदेश कोई भी संत, गुरु दे सकता है, लेकिन मुरली अनुभव कराती है — शांति, आत्मिक स्थिति और परमधाम की।
यह बुद्धि का परिवर्तन करती है। यह देहभाव से नहीं, देही अवस्था से निकलती है। इसलिए मुरली, उपदेश नहीं कहलाती।


प्रश्न 5:क्या मुरली वास्तव में शिव बाबा की आवाज़ है?

उत्तर:हाँ। ब्रह्मा बाबा मुख है, पर आवाज़ शिव बाबा की बुद्धि से उत्पन्न होती है।
जैसे रेडियो में आवाज़ किसी और की होती है,
वैसे ही ब्रह्मा बाबा रेडियो समान हैं — आवाज़ शिव बाबा की होती है।


प्रश्न 6:क्या मुरली रिकॉर्डेड है या लाइव?

उत्तर:मुरली एक लाइव ब्रॉडकास्ट है।
यह हर दिन परमात्मा का ताज़ा संदेश होता है।
यह न दोहराई जाती है, न रिकॉर्डेड होती है। यह रियल अनुभव है।


प्रश्न 7:बाबा मुरली को आत्मा की “प्राणवायु” क्यों कहते हैं?

उत्तर:क्योंकि यह आत्मा को शक्ति देती है, चेतना को ऊपर उठाती है, और मृत भाव से जाग्रत करती है।
मुरली केवल शब्द नहीं, आत्मा की ऑक्सीजन है।


प्रश्न 8:

मुरली आत्मा को क्या दिशा देती है?

उत्तर:
मुरली आत्मा को उसका वास्तविक स्वरूप याद दिलाती है, आत्मिक यात्रा की दिशा देती है, और परमात्मा से जुड़ने का मार्ग दिखाती है।
यह ज्ञान + शक्ति + साक्षात्कार का संयोग है।


प्रश्न 9:मुरली को ब्रह्मा कुमारीज़ में इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है?

उत्तर:क्योंकि यह मुरली ईश्वर का व्यक्तिगत संदेश होती है।
यह आत्मा को ज्ञान, योग, और शक्तियों से भरती है।
इसलिए इसे पाठ नहीं, ईश्वरीय संवाद माना गया है।


प्रश्न 10:हमें मुरली को कैसे सुनना और अपनाना चाहिए?

उत्तर:श्रद्धा, भावना और एकाग्रता से।
केवल सुनें नहीं, अनुभव करें, स्मृति में लाएँ, और आचरण में उतारें
तभी मुरली आत्मा की प्राणवायु बनती है।

मुरली = परमात्मा का जीवित संपर्क है।
मुरली = आत्मा के जागरण का माध्यम है।
मुरली = आकाशवाणी है — जो हमें आत्मा से परमात्मा तक पहुंचाती है।

ओम् शांति।

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