(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
करवा चौथ आध्यात्मिक रहस्य (04)अगर स्वास्थ्य खराब हो तो क्या व्रत अधूरा छोड़ा जा सकता है?
अध्याय: अगर स्वास्थ्य खराब हो तो क्या व्रत अधूरा छोड़ा जा सकता है?
1. प्रारंभिक प्रश्न – हर स्त्री का अनुभव
करवा चौथ के दिन कई माताएँ कहती हैं:
“अगर तबियत ठीक न रहे तो क्या करें?”
कभी सिर दर्द, कभी कमजोरी, कभी रक्तचाप – फिर भी मन कहता है:
“व्रत तो पूरा करना ही चाहिए।”
लेकिन ध्यान दें – क्या भगवान को भूख की परीक्षा चाहिए? या भावना और प्रेम की परीक्षा?
2. सच्चा व्रत – शरीर का नहीं, भावना का
शिव बाबा ने सा. मुरली 22 अक्टूबर 2016 में कहा:
“बच्चे, मैं शरीर का उपवास नहीं कहता। मैं मन का उपवास सिखाता हूँ। शरीर भूखा रहे या भरा, मुख्य बात है – मन पवित्र रहे।”
संदेश: व्रत की सच्चाई भूख नहीं, बल्कि शिव बाबा की याद में मन को स्थिर रखना है।
3. स्वास्थ्य की अवस्था – ईश्वर की परीक्षा नहीं
शिव बाबा सा. मुरली 17 अक्टूबर 1983 में कहते हैं:
“बच्चे, यह शरीर सेवा का यंत्र है। इसे संभालकर चलाना भी ईश्वर सेवा है। बीमारी में शरीर को बल दो, याद में रहो, वही सच्चा व्रत है।”
व्याख्या:
-
अगर तबियत ठीक नहीं है, तो थोड़ी मात्रा में जल, फल, या दवा लेना व्रत को अधूरा नहीं बनाता।
-
यह सजग आत्मा का संकेत है जो अपने यंत्र (शरीर) की रक्षा कर रही है।
4. उदाहरण द्वारा समझें
दीपक और तेल का संबंध:
-
दीपक जलाने के लिए तेल आवश्यक है।
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उसी प्रकार, आत्मा की साधना में टिकने के लिए शरीर की शक्ति आवश्यक है।
सार: अगर शरीर अस्वस्थ है तो थोड़ा फल या जल लेना व्रत को अधूरा नहीं बनाता। यह व्रत की स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
5. भावना का महत्व – परमात्मा भावना का भूखा है
शिव बाबा सा. मुरली 25 अक्टूबर 2018 में कहते हैं:
“बाप भावना का भूखा है। बच्चे सच्ची भावना से याद करें, वही स्वीकार है। भूख या अन्न से कुछ नहीं होता, भावना से सब कुछ होता है।”
संदेश:
-
स्वास्थ्य खराब होने पर मन बाबा में लगा रहे, तो वही पूर्ण व्रत है।
-
शरीर स्वस्थ लेकिन मन व्यर्थ विचारों में लगे, तो व्रत अधूरा है।
6. मन का उपवास ही सच्चा व्रत
शिव बाबा सा. मुरली 20 अक्टूबर 2017 में कहते हैं:
“मन को व्यर्थ से दूर रखना ही सच्चा उपवास है।”
सार:
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करवा चौथ का असली रहस्य – भूख नहीं, बल्कि व्यर्थ संकल्पों का त्याग।
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शरीर असमर्थ हो तो आराम दें, पर मन को परमात्मा की याद में स्थिर रखें।
7. निष्कर्ष – व्रत अधूरा नहीं, अनुभवपूर्ण बनाइए
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स्वास्थ्य अनुमति न देने पर व्रत को अधूरा न मानें।
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जल पीते हुए भी याद रखें:
“मैं यह शरीर नहीं, आत्मा हूँ, और मेरा सच्चा सुहाग है – शिव परमात्मा।”
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परमात्मा भूख नहीं, भावना देखता है। शरीर नहीं, स्मृति मायने रखती है।
8. समापन संदेश
बहनों, यदि स्वास्थ्य ठीक न हो तो परमात्मा से प्रार्थना करें:
“बाबा, मैं आज शरीर से नहीं, मन से आपका व्रत निभा रही हूँ।”
सारांश: यही व्रत आपको सदा के लिए सौभाग्यवती आत्मा बना देगा।
अगर स्वास्थ्य खराब हो तो क्या व्रत अधूरा छोड़ा जा सकता है?
प्रश्न 1: करवा चौथ के दिन कई माताएँ सोचती हैं – अगर तबियत ठीक न रहे तो क्या करें?
उत्तर: कई बार सिर दर्द, कमजोरी या रक्तचाप की वजह से शरीर अस्वस्थ हो जाता है। ऐसे में मन कहता है – “व्रत पूरा करना चाहिए।” लेकिन भगवान को भूख की परीक्षा नहीं, बल्कि हमारी भावना और प्रेम की परीक्षा चाहिए।
प्रश्न 2: व्रत की सच्चाई क्या है – शरीर का उपवास या भावना का उपवास?
उत्तर:
शिव बाबा कहते हैं (सा. मुरली 22 अक्टूबर 2016):
“बच्चे, मैं शरीर का उपवास नहीं कहता। मैं मन का उपवास सिखाता हूँ। शरीर भूखा रहे या भरा, मुख्य बात है – मन पवित्र रहे।”
संदेश: व्रत का असली उद्देश्य भूख नहीं, बल्कि शिव बाबा की याद में मन को स्थिर रखना है।
प्रश्न 3: अगर शरीर अस्वस्थ है तो व्रत अधूरा माना जाएगा क्या?
उत्तर:
शिव बाबा कहते हैं (सा. मुरली 17 अक्टूबर 1983):
“बच्चे, यह शरीर सेवा का यंत्र है। इसे संभालकर चलाना भी ईश्वर सेवा है। बीमारी में शरीर को बल दो, याद में रहो, वही सच्चा व्रत है।”
व्याख्या: स्वास्थ्य खराब होने पर थोड़ा जल, फल या दवा लेना व्रत को अधूरा नहीं बनाता। यह सजग आत्मा का संकेत है जो अपने यंत्र (शरीर) की रक्षा कर रही है।
प्रश्न 4: व्रत को समझने के लिए कोई सरल उदाहरण क्या है?
उत्तर: दीपक और तेल का संबंध लें। दीपक जलाने के लिए तेल आवश्यक है। उसी तरह, आत्मा की साधना टिकने के लिए शरीर की शक्ति आवश्यक है।
सार: शरीर अस्वस्थ होने पर थोड़ी मात्रा में फल या जल लेना व्रत की स्थिरता बनाए रखना है।
प्रश्न 5: भावना का व्रत क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर:
शिव बाबा कहते हैं (सा. मुरली 25 अक्टूबर 2018):
“बाप भावना का भूखा है। बच्चे सच्ची भावना से याद करें, वही स्वीकार है। भूख या अन्न से कुछ नहीं होता, भावना से सब कुछ होता है।”
संदेश: यदि स्वास्थ्य खराब है लेकिन मन बाबा में लगा हुआ है, तो वही पूर्ण व्रत है।
शरीर स्वस्थ है लेकिन मन व्यर्थ विचारों में है, तो व्रत अधूरा है।
प्रश्न 6: मन का उपवास ही सच्चा व्रत कैसे है?
उत्तर:
शिव बाबा कहते हैं (सा. मुरली 20 अक्टूबर 2017):
“मन को व्यर्थ से दूर रखना ही सच्चा उपवास है।”
सार: करवा चौथ का असली रहस्य भूख नहीं, बल्कि व्यर्थ संकल्पों का त्याग।
शरीर असमर्थ हो तो आराम दें, पर मन को परमात्मा की याद में स्थिर रखें।
प्रश्न 7: निष्कर्ष – अगर स्वास्थ्य अनुमति न दे तो व्रत अधूरा नहीं कैसे बनाएं?
उत्तर:
-
व्रत को अधूरा न मानें।
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जल पीते हुए भी याद रखें:
“मैं यह शरीर नहीं, आत्मा हूँ, और मेरा सच्चा सुहाग है – शिव परमात्मा।”
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परमात्मा भूख नहीं, भावना देखता है। शरीर नहीं, स्मृति मायने रखती है।
प्रश्न 8: समापन संदेश क्या है?
उत्तर:
यदि स्वास्थ्य ठीक न हो, तो प्रार्थना करें:
“बाबा, मैं आज शरीर से नहीं, मन से आपका व्रत निभा रही हूँ।”
सारांश: यही व्रत आपको सदा के लिए सौभाग्यवती आत्मा बना देगा।
डिस्क्लेमर:
यह वीडियो ब्रह्मा कुमारियों की आध्यात्मिक शिक्षाओं और मुरली पर आधारित है। इसमें साझा की गई जानकारी केवल आध्यात्मिक मार्गदर्शन हेतु है। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए अपने चिकित्सक की सलाह लें।
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