S-B:-(15)शिव बाबा गॉड मेरा सच्चा सखा है।
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
अध्याय : शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा के हम संबंधों का अध्ययन
1. शिव बाबा — मेरा सच्चा सखा
ब्रह्मा बाबा कहते थे —
“शिव बाबा गॉड मेरा सच्चा सखा है।”
(साकार मुरली 10 जनवरी 1968)
अब प्रश्न उठता है —
क्या हम भी कह सकते हैं कि शिव बाबा मेरा सच्चा सखा है?
हाँ, बिल्कुल कह सकते हैं!
क्योंकि परमात्मा कोई दूर बैठा देवता नहीं है,
वह है — हम आत्माओं का सच्चा सखा,
जो हर समय हमारे साथ है, हमें मार्ग दिखाता है।
उदाहरण
जैसे कोई सच्चा मित्र हर परिस्थिति में साथ देता है,
वैसे ही शिव बाबा हर आत्मा को सच्चे मार्ग पर चलने की शक्ति देते हैं।
2. परमात्मा सखा कैसे बनता है?
परमात्मा कोई सर्वव्यापी नहीं है,
बल्कि वह शिवरूप में एक निराकार सखा है,
जो हमें अपनी श्रीमत द्वारा मार्गदर्शन देता है।
साकार मुरली 10 जनवरी 1968:
“मैं तुम्हारा बाप भी हूं, टीचर भी हूं और सखा भी हूं।”
शिव बाबा स्वयं साथ नहीं चलते —
परन्तु उनकी श्रीमत ही उनका साथ है।
जो श्रीमत को पकड़ता है,
वह वास्तव में बाबा के साथ चलता है।
3. ब्रह्मा बाबा की सखा भाव वाली स्थिति
ब्रह्मा बाबा का जीवन प्रमाण है कि
परमात्मा से सच्ची मित्रता कैसे निभाई जाती है।
वे शिव बाबा से खुलकर बात करते थे —
कभी योजनाएं साझा करते, कभी चिंताएं बताते,
कभी कहते — “बाबा, अब आप बताइए क्या करना है?”
मुरली 25 जनवरी 1970:
“ब्रह्मा बाबा ने बाप से हर बात पूछी,
जैसे मित्र अपने सखा से राय लेता है।”
उदाहरण
जैसे कोई मित्र हर निर्णय में सच्ची राय देता है,
वैसे ही शिव बाबा हर कदम पर ब्रह्मा बाबा को दिशा देते रहे।
4. गीता का उदाहरण — अर्जुन और श्रीकृष्ण की सखा भावना
गीता में अर्जुन और श्रीकृष्ण की मित्रता दिखाई गई है।
परंतु वास्तविक गीता वक्ता कौन है?
सच्चा वक्ता है — शिव बाबा।
साकार मुरली 5 मार्च 1999:
“जैसे कृष्ण और अर्जुन की मित्रता दिखाई है,
वैसे मैं और यह ब्रह्मा सखा संगी हैं।”
यह बताता है कि
शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा का वही अर्जुन-कृष्ण जैसा सखा संबंध है।
5. सच्चा सखा कौन है?
सच्चा सखा वह नहीं जो केवल हंसी बांटे,
बल्कि जो आत्मा को उसके सत्य स्वरूप की पहचान दिलाए।
शिव बाबा कहते हैं —
“मैं तुम्हारा वही परम सखा हूं।”
(अव्यक्त मुरली 5 फरवरी 1973)
वह सखा कभी नहीं छोड़ता,
हर समय साथ है, हर बात सुनता है।
6. सखा संबंध का अनुभव कैसे करें?
ब्रह्मा बाबा ने दिखाया कि
योग का अर्थ केवल ध्यान नहीं —
बल्कि मित्रवत संवाद है।
आप अपने मन की बात बाबा से करें —
यही सच्चा योग है।
बाबा की श्रीमत से हर प्रश्न का उत्तर लें —
यही परमात्मा से मित्रता है।
अव्यक्त मुरली 9 अप्रैल 1971:
“जब बच्चों का मन भारी हो — मुझसे बात करो।
सखा से बात करने से मन हल्का हो जाता है।”
उदाहरण
जैसे हम किसी करीबी मित्र से अपने दुख-सुख साझा करते हैं,
वैसे ही बाबा से खुलकर बात करें।
वह सुनेंगे, मार्ग दिखाएँगे, और मन को हल्का करेंगे।
7. ब्रह्मा बाबा का अनुभव
एक बार ब्रह्मा बाबा ने कहा —
“मुझे तो ऐसा लगता है जैसे शिव बाबा मेरे साथ हर समय बैठा है।”
उनका योग कोई औपचारिक ध्यान नहीं था,
बल्कि दिल से दिल की सच्ची बातचीत थी।
इसलिए बाबा कहते हैं —
“ब्रह्मा बाप को सखा बनाया, इसलिए हर कार्य में सफलता मिली।”
(अव्यक्त मुरली 18 जनवरी 1970)
8. हमें क्या सीखना है?
बाबा कहते हैं —
“मुझे अपना सखा बनाओ, डर मिट जाएगा।”
(साकार मुरली 6 मार्च 1968)
जब हम बाबा को अपना सच्चा सखा बनाते हैं,
तो मन की हर उलझन सुलझ जाती है।
हम खुलकर बोल सकते हैं,
मन हल्का कर सकते हैं,
और शक्ति पा सकते हैं।
निष्कर्ष : सच्ची दोस्ती का रहस्य
सच्चा सखा वह नहीं जो केवल हंसी बाँटे,
बल्कि जो आत्मा को
उसके सत्य स्वरूप, शक्ति, और शांति की याद दिलाए।
वह सखा केवल एक ही है — शिव बाबा।
ब्रह्मा बाबा ने अपने जीवन से यह सिखाया कि
परमात्मा से सच्ची मित्रता ही सबसे गहरा योग है।
1. प्रश्न:
क्या हम कह सकते हैं कि शिव बाबा मेरा सच्चा सखा है?
उत्तर:
हाँ, बिल्कुल कह सकते हैं।
क्योंकि परमात्मा कोई दूर का या डराने वाला देवता नहीं है,
वह हम आत्माओं का सच्चा सखा है —
जो हर समय हमारे साथ है, हमारी रक्षा करता है, और मार्ग दिखाता है।
मुरली संदर्भ:
साकार मुरली 10 जनवरी 1968 —
“मैं तुम्हारा बाप भी हूं, टीचर भी हूं और सखा भी हूं।”
उदाहरण:
जैसे कोई सच्चा मित्र हर परिस्थिति में साथ देता है,
वैसे ही शिव बाबा आत्मा को सच्चे मार्ग पर चलने की शक्ति देता है।
2. प्रश्न:
परमात्मा हमारा सखा कैसे बनता है?
उत्तर:
परमात्मा कोई सर्वव्यापी शक्ति नहीं है,
बल्कि शिवरूप में एक निराकार सखा है
जो अपनी श्रीमत के माध्यम से हमारा मार्गदर्शन करता है।
शिव बाबा स्वयं साथ नहीं चलते,
पर उनकी श्रीमत ही उनका साथ है।
जो श्रीमत पर चलता है — वही वास्तव में बाबा के साथ चलता है।
3. प्रश्न:
ब्रह्मा बाबा ने परमात्मा से सखा संबंध कैसे निभाया?
उत्तर:
ब्रह्मा बाबा का जीवन साक्षी है कि
परमात्मा से सच्ची मित्रता कैसे निभाई जाती है।
वे शिव बाबा से हर बात साझा करते —
योजनाएं, चिंताएं, निर्णय — सब कुछ बाबा से पूछते।
मुरली संदर्भ:
25 जनवरी 1970 —
“ब्रह्मा बाबा ने बाप से हर बात पूछी,
जैसे मित्र अपने सखा से राय लेता है।”
उदाहरण:
जैसे कोई सच्चा मित्र हर निर्णय में राय देता है,
वैसे ही शिव बाबा हर कदम पर ब्रह्मा बाबा को दिशा देते रहे।
4. प्रश्न:
गीता में अर्जुन–कृष्ण की सखा भावना का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर:
गीता में जो अर्जुन और श्रीकृष्ण की मित्रता दिखाई गई है,
वह वास्तव में शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा के सखा संबंध का प्रतीक है।
मुरली संदर्भ:
साकार मुरली 5 मार्च 1999 —
“जैसे कृष्ण और अर्जुन की मित्रता दिखाई है,
वैसे मैं और यह ब्रह्मा सखा संगी हैं।”
5. प्रश्न:
सच्चा सखा कौन होता है?
उत्तर:
सच्चा सखा वह नहीं जो केवल हंसी या साथ दे,
बल्कि जो आत्मा को उसके सत्य स्वरूप की पहचान दिलाए।
मुरली संदर्भ:
अव्यक्त मुरली 5 फरवरी 1973 —
“मैं तुम्हारा वही परम सखा हूं।”
वह सखा कभी नहीं छोड़ता,
हर समय साथ है और आत्मा को सही दिशा देता है।
6. प्रश्न:
हम परमात्मा के साथ सखा संबंध का अनुभव कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
ब्रह्मा बाबा ने सिखाया कि
योग का अर्थ केवल ध्यान नहीं,
बल्कि बाबा से सच्चा मित्रवत संवाद है।
अपने मन की बातें बाबा से करें — यही योग है।
बाबा की श्रीमत से हर प्रश्न का उत्तर लें — यही सखा संबंध है।
मुरली संदर्भ:
अव्यक्त मुरली 9 अप्रैल 1971 —
“जब बच्चों का मन भारी हो — मुझसे बात करो।
सखा से बात करने से मन हल्का हो जाता है।”
7. प्रश्न:
ब्रह्मा बाबा का व्यक्तिगत अनुभव क्या था?
उत्तर:
ब्रह्मा बाबा कहते थे —
“मुझे तो ऐसा लगता है जैसे शिव बाबा मेरे साथ हर समय बैठा है।”
उनका योग औपचारिक नहीं था, बल्कि सच्चा दिल से दिल का संवाद था।
मुरली संदर्भ:
अव्यक्त मुरली 18 जनवरी 1970 —
“ब्रह्मा बाप को सखा बनाया, इसलिए हर कार्य में सफलता मिली।”
8. प्रश्न:
हमें सखा संबंध से क्या सीख मिलती है?
उत्तर:
बाबा कहते हैं —
“मुझे अपना सखा बनाओ, डर मिट जाएगा।”
(साकार मुरली 6 मार्च 1968)
जब हम शिव बाबा को सच्चा सखा बनाते हैं,
तो मन हल्का हो जाता है, बुद्धि स्पष्ट होती है,
और आत्मा शक्ति से भर जाती है।
निष्कर्ष:
सच्चा सखा वही जो आत्मा को
उसकी शक्ति, शांति और सत्य स्वरूप की याद दिलाए।
वह सखा केवल शिव बाबा है।
ब्रह्मा बाबा ने अपने जीवन से यह सिखाया कि
परमात्मा से सच्ची मित्रता ही सबसे गहरा योग है।
Disclaimer (डिस्क्लेमर):यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ (Brahma Kumaris) की आध्यात्मिक शिक्षाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक जागृति और आत्म-अनुभूति का संदेश देना है। यह किसी धर्म, पंथ, या संस्था की आलोचना नहीं करता। सभी शास्त्र, मुरली उद्धरण और व्याख्याएँ आध्यात्मिक अध्ययन हेतु हैं।
शिवबाबा, ब्रह्माबाबा, सच्चा सखा, परमात्म मित्रता, आत्मा और परमात्मा, भगवान इज माय मित्र, ईश्वरीय संबंध, सखा भाव गीता का सत्य, अर्जुन और कृष्ण, ब्रह्माकुमारीज, बीके मुरली, राजयोग, आत्मिक ज्ञान, ईश्वरीय मित्र, सच्ची दोस्ती, परम शांति, ब्रह्माबाबा अनुभव, शिवबाबा का योग, अव्यक्त मुरली, वास्तविक मुरली, बदादा, बीके परिवार, आध्यात्मिक मित्रता, भगवान मेरे साथी, रुहानी रिश्ता, शिवबाबा मुरली, ब्रह्माकुमारी हिंदी, राजयोग ध्यान, शिवबाबा ज्ञान, आत्मा का सत्य, दोस्ती का रहस्य,Shivbaba, Brahmababa, true friend, divine friendship, soul and supreme soul, God is my friend, divine relationship, friendship feeling, truth of Gita, Arjun and Krishna, Brahmakumaris, BK Murli, Rajyoga, spiritual knowledge, divine friend, true friendship, ultimate peace, Brahmababa experience, Shivbaba’s yoga, Avyakt Murli, real Murli, Badada, BK family, spiritual friendship, God is my companion, spiritual relationship, Shivbaba Murli, Brahmakumari Hindi, Rajyoga meditation, Shivbaba knowledge, truth of soul, secret of friendship,

