सतयुग-(15)”परमात्मा सर्वज्ञ है परंतु जानीजाननहार नहीं?”
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
परमात्मा सर्वज्ञ है परंतु जानीजाननहार नहीं
पहले समझें: महिमा का सही अर्थमहिमा यानी किसी की प्रशंसा करना। लेकिन अगर प्रशंसा गलत हो, तो वह उल्टी महिमा बन जाती है। जैसे,
अगर एक सिपाही को दारोगा कह दिया जाए, तो यह सच्ची महिमा नहीं होगी, बल्कि गलत महिमा होगी। ठीक इसी प्रकार, बाप को “जानी-जाननहार” कहना उनकी सच्ची महिमा नहीं है।
बाप सब कुछ जानते हैं,लेकिन वह अंतर्यामी नहीं!भक्ति मार्ग में कहा जाता है—”परमात्मा को सब पता लग जाएगा!” लेकिन बाप स्वयं स्पष्ट करते हैं कि वह अंतर्यामी नहीं हैं।
वह किसी के मन के विचारों को पढ़ने की आवश्यकता नहीं समझते। वह सब कुछ जानते हैं, परंतु वह इस प्रकार की भक्ति मार्ग की रीति से अलग हैं।
बाप नॉलेजफुल हैं, लेकिन उनकी महिमा को डाउन नहीं करें!बाप कहते हैं, “मैं तीनों कालों को जानता हूँ, पर मैं अंतर्यामी नहीं हूँ।”
उन्हें जानी-जाननहार कहना यानी उनकी वास्तविक महिमा को कम कर देना। बाप हमें सत्य ज्ञान देते हैं, लेकिन वह भक्ति मार्ग की धारणाओं से परे हैं।सच्ची महिमा क्या है?
बाप सर्वज्ञ हैं, लेकिन वह इस दुनिया की नकारात्मकता को जानने के लिए नहीं बैठे हैं। वह ज्ञान का सागर हैं, लेकिन वह हमारे हर छोटे-बड़े विचारों को देखने के लिए नहीं आते।
वह हमें पतित से पावन बनाने आते हैं!
परमात्मा सर्वज्ञ है परंतु जानी-जाननहार नहीं – पहले समझें: महिमा का सही अर्थ”
Q1. “महिमा” का सही अर्थ क्या है?
A:महिमा का मतलब है किसी की प्रशंसा करना। लेकिन यदि प्रशंसा गलत हो, तो वह उल्टी महिमा बन जाती है। जैसे अगर एक सिपाही को दारोगा कहा जाए तो यह उसकी असल महिमा नहीं होगी। इसी तरह, परमात्मा को “जानी-जाननहार” कहना उनकी सच्ची महिमा नहीं है।
Q2. परमात्मा को “जानी-जाननहार” क्यों नहीं कहा जा सकता?
A:परमात्मा सर्वज्ञ हैं, यानी वह सब कुछ जानते हैं, लेकिन वह “जानी-जाननहार” नहीं हैं। वह किसी के मन के विचारों को पढ़ने की आवश्यकता नहीं समझते। वह हमारी मदद करने और हमें ज्ञान देने के लिए आते हैं, न कि हमारे मन के हर विचार को जानने के लिए।
Q3. भक्ति मार्ग में जो कहा जाता है, “परमात्मा को सब पता लग जाएगा”, उसमें क्या गलती है?
A:भक्ति मार्ग में यह मान्यता है कि परमात्मा को सब कुछ पता चल जाएगा, लेकिन यह गलत है। बाप खुद बताते हैं कि वह अंतर्यामी नहीं हैं। वह हमारे विचारों को पढ़ने के लिए नहीं आते, बल्कि हमें सही मार्गदर्शन देने के लिए आते हैं।
Q4. बाप की महिमा को कैसे समझें?
A:बाप सर्वज्ञ हैं, लेकिन उनकी महिमा को इस प्रकार से कम न करें कि वह हमारे छोटे-बड़े विचारों को जानते हैं। बाप की असली महिमा यह है कि वह हमें सत्य ज्ञान देते हैं और हमारी पतित अवस्था को पावन में बदलने के लिए आते हैं। वह इस दुनिया की नकारात्मकता को जानने के लिए नहीं आते, बल्कि हमारे कल्याण के लिए आते हैं।
Q5. क्या बाप “अंतर्यामी” हैं?
A:नहीं, बाप अंतर्यामी नहीं हैं। इसका मतलब यह है कि वह हमारी हर एक सोच या विचार को नहीं जानते, लेकिन वह हमें सही दिशा देने के लिए सर्वज्ञ होते हैं। वह हमसे कोई व्यक्तिगत विचार नहीं समझते, बल्कि हमें ज्ञान का सागर देते हैं ताकि हम अपनी आत्मा की शुद्धि कर सकें।
Q6. बाप की सच्ची महिमा क्या है?
A:बाप की सच्ची महिमा यह है कि वह हमें पवित्रता और ज्ञान का मार्ग दिखाने के लिए आए हैं। वह हमें इस नश्वर दुनिया के बंधनों से मुक्ति दिलाते हैं और हमें दिव्य जीवन जीने का ज्ञान देते हैं।
Q7. क्या बाप हमें सिर्फ हमारी गलतियाँ ही बताते हैं?
A:नहीं, बाप हमें सिर्फ हमारी गलतियाँ नहीं बताते, बल्कि हमें अपने जीवन को सुधारने का ज्ञान देते हैं। वह हमें पवित्रता की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं, ताकि हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकें।