सतयुग-(15)”परमात्मा सर्वज्ञ है परंतु जानीजाननहार नहीं?”
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“परमात्मा सर्वज्ञ है परंतु जानी-जाननहार नहीं – पहले समझें: महिमा का सही अर्थ!”
भक्ति मार्ग से ज्ञान मार्ग की यात्रा
आज हम बात करेंगे एक बहुत ही गहरे और बारीक आध्यात्मिक विषय पर –
“परमात्मा सर्वज्ञ हैं, लेकिन वह जानी-जाननहार नहीं हैं।”
यह सुनकर बहुतों को आश्चर्य हो सकता है, क्योंकि भक्ति मार्ग में तो अक्सर कहा जाता है:
“भगवान तो अंतर्यामी हैं… उन्हें सब पता है…!”
लेकिन ज्ञान मार्ग में बाप खुद आकर इस धारणा को सुधारते हैं।
1. पहले समझें: महिमा का सही अर्थ क्या है?
महिमा यानी प्रशंसा – लेकिन वह सच्ची होनी चाहिए।
उदाहरण:
अगर एक सिपाही को दारोगा कह दिया जाए, तो क्या वह उसकी महिमा है?
नहीं, वह तो उसकी गलत पहचान है।
उसी प्रकार, अगर परमात्मा को हम “जानी-जाननहार, अंतर्यामी” कहें, तो यह महिमा नहीं बल्कि उल्टी महिमा हो जाती है।
2. भक्ति मार्ग में क्या कहा जाता है?
भक्ति मार्ग में मान्यता है:
“भगवान को सब पता है।”
“आप जो सोचते हो, वह परमात्मा जान लेते हैं।”
परंतु बाप खुद ज्ञान में आकर मुरली में कहते हैं –
“मैं अंतर्यामी नहीं हूँ। मैं तुम्हारे मन के विचारों को नहीं पढ़ता।”
क्यों?
क्योंकि परमात्मा को यह सब जानने की आवश्यकता ही नहीं है।
वे हमारे कर्म और दृष्टिकोण से जानते हैं – मन की चालों को पकड़ने की जरूरत उन्हें नहीं।
3. बाप नॉलेजफुल हैं – सर्वज्ञ हैं!
बाप कहते हैं –
“मैं तीनों कालों (past, present, future) को जानता हूँ।”
इसलिए उन्हें “सर्वज्ञ” कहा जाता है –
Knowledgeful, ज्ञान का सागर।
परंतु ध्यान दें –
ज्ञान का सागर होना और
हर आत्मा के विचारों को पढ़ना – ये दोनों बातें अलग हैं।
अंतर्यामी कहना यानी
उन्हें मन के रीडर की तरह मान लेना –
जो उनकी सच्ची महिमा को घटाता है।
4. सच्ची महिमा क्या है?
परमात्मा:
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सर्वशक्तिमान हैं
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ज्ञान का सागर हैं
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शांति का सागर हैं
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प्रेम का सागर हैं
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परंतु वे व्यक्तिगत भावनात्मक स्तर पर अंतर्यामी नहीं हैं।
वह इस दुनिया की नकारात्मकता को देखने नहीं आते।
वह हमारे अंदर की गंदगी को नहीं पढ़ते, बल्कि हमें उससे बाहर निकालने आते हैं।
यही है सच्ची महिमा – हमें पतित से पावन बनाना।
5. भक्ति मार्ग की धारणाएँ बनाम ज्ञान मार्ग की सच्चाई
भक्ति मार्ग:
“जो भी सोचो – भगवान को पता चल जाएगा।”
ज्ञान मार्ग:
“बाप कर्मों का आधार देखते हैं, और उसके अनुसार फल देते हैं।”
इसलिए बाप कहते हैं –
“मैं सब जानता हूँ, परंतु तुम क्या सोचते हो, यह जानना मेरा काम नहीं।”
6. निष्कर्ष – क्यों ज़रूरी है सच्ची महिमा करना?
अगर हम परमात्मा को भक्ति मार्ग जैसी विशेषताएँ देते हैं –
तो हम उनकी वास्तविक पहचान और कार्य को भूल जाते हैं।
बाप की सच्ची महिमा है:
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वह विश्व की आत्माओं का रचयिता हैं
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वह ज्ञान द्वारा पतित आत्माओं को पावन बनाते हैं
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वह इस कलियुग के अंधकार में दिव्यता का प्रकाश देते हैं
उन्हें “जानी-जाननहार” कहना, उनकी महिमा को घटाता है।
उन्हें “सर्वज्ञ ज्ञानसागर” कहना, उनकी सच्ची महिमा है।
Q1. “महिमा” का सही अर्थ क्या है?
A:महिमा का मतलब है किसी की प्रशंसा करना। लेकिन यदि प्रशंसा गलत हो, तो वह उल्टी महिमा बन जाती है। जैसे अगर एक सिपाही को दारोगा कहा जाए तो यह उसकी असल महिमा नहीं होगी। इसी तरह, परमात्मा को “जानी-जाननहार” कहना उनकी सच्ची महिमा नहीं है।
Q2. परमात्मा को “जानी-जाननहार” क्यों नहीं कहा जा सकता?
A:परमात्मा सर्वज्ञ हैं, यानी वह सब कुछ जानते हैं, लेकिन वह “जानी-जाननहार” नहीं हैं। वह किसी के मन के विचारों को पढ़ने की आवश्यकता नहीं समझते। वह हमारी मदद करने और हमें ज्ञान देने के लिए आते हैं, न कि हमारे मन के हर विचार को जानने के लिए।
Q3. भक्ति मार्ग में जो कहा जाता है, “परमात्मा को सब पता लग जाएगा”, उसमें क्या गलती है?
A:भक्ति मार्ग में यह मान्यता है कि परमात्मा को सब कुछ पता चल जाएगा, लेकिन यह गलत है। बाप खुद बताते हैं कि वह अंतर्यामी नहीं हैं। वह हमारे विचारों को पढ़ने के लिए नहीं आते, बल्कि हमें सही मार्गदर्शन देने के लिए आते हैं।
Q4. बाप की महिमा को कैसे समझें?
A:बाप सर्वज्ञ हैं, लेकिन उनकी महिमा को इस प्रकार से कम न करें कि वह हमारे छोटे-बड़े विचारों को जानते हैं। बाप की असली महिमा यह है कि वह हमें सत्य ज्ञान देते हैं और हमारी पतित अवस्था को पावन में बदलने के लिए आते हैं। वह इस दुनिया की नकारात्मकता को जानने के लिए नहीं आते, बल्कि हमारे कल्याण के लिए आते हैं।
Q5. क्या बाप “अंतर्यामी” हैं?
A:नहीं, बाप अंतर्यामी नहीं हैं। इसका मतलब यह है कि वह हमारी हर एक सोच या विचार को नहीं जानते, लेकिन वह हमें सही दिशा देने के लिए सर्वज्ञ होते हैं। वह हमसे कोई व्यक्तिगत विचार नहीं समझते, बल्कि हमें ज्ञान का सागर देते हैं ताकि हम अपनी आत्मा की शुद्धि कर सकें।
Q6. बाप की सच्ची महिमा क्या है?
A:बाप की सच्ची महिमा यह है कि वह हमें पवित्रता और ज्ञान का मार्ग दिखाने के लिए आए हैं। वह हमें इस नश्वर दुनिया के बंधनों से मुक्ति दिलाते हैं और हमें दिव्य जीवन जीने का ज्ञान देते हैं।
Q7. क्या बाप हमें सिर्फ हमारी गलतियाँ ही बताते हैं?
A:नहीं, बाप हमें सिर्फ हमारी गलतियाँ नहीं बताते, बल्कि हमें अपने जीवन को सुधारने का ज्ञान देते हैं। वह हमें पवित्रता की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं, ताकि हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकें।