Satyayug-(12)”The art of flying is your safety. Are you ready?”

सतयुग-(12)”उड़ती कला हीआपकी सेफ्टी है क्या आप तैयार हैं”?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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🎵 [पृष्ठभूमि: विद्युत रेखा, स्वर्ग जैसा]कथावाचक (प्रेरक स्वर):”क्या आप तैयार हैं?सतयुग की ओर बढ़ने का रास्ता – उड़ती कला!
बाबा कहते हैं, विनाश से पहले उड़ती कला ही तुम्हारी असली दुकान है।क्यों? विभिन्न ज्ञात हैं गहराई से…”

🕊️ [धारा 1 – उड़ती कला क्या है? (0:20 से 1:00)]
🎵 [पृष्ठभूमि: ऊँची उड़ान की आवाज़ें, वर्षा ऋतु के बीच]कथावाचक:
“उड़ती कला विचारधारा – डबल लाइट।ना कोई स्टाइल, ना कोई बंधन, ना कोई हिसाब-किताब।बाबा कहते हैं –
“मैं प्रकाश आत्मा हूं, नॉलेजफुल आत्मा हूं, ज्ञान स्वरूप आत्मा हूं।”जब आत्मा डबल लाइट होती है, तब ही वह फरिश्ता बन सकती है।”

🔥 [धारा 2 – यह स्थिति क्यों खोजी गई है? (1:00 से 2:00)]
🎵 [पृष्ठभूमि: ढोल जैसा विनाश का संकेत]कथावाचक:
“बाबा ने स्पष्ट कहा:“उड़ती कला ही अंत में आशियामी का साधन बनेगी।”क्योंकि यही है कर्मातीत बनने की स्थिति।
यदि उड़ती कला में नहीं आया, तो अंत समय में भारी पेपर में पास नहीं हो गया।उस समय पुरुषार्थ करने का समय नहीं होगा।”

🪔 [धारा 3 – विधाता और कथावाचक का चरण (2:00 से 2:40)]
🎵 [पृष्ठभूमि: दिव्य वातावरण]

कथावाचक:”उड़ती कला का ही अस्तित्व है – विधाता और विधाता।विधाता – जो विधि बताती है।वरदाता – जो वेबसाइट को अपने समान बनाता है।
जैसे-जैसे विनाश घटता आ रहा है, वैसे-वैसे खुद को सतयुग के देवी-देवता बनाते हैं।”

⏳ [धारा 4 – विनाश को मत गिनो (2:40 से 3:30)]
🎵 [पृष्ठभूमि: घड़ी की टिक-टिक, फिर शांति]

कथावाचक:”अक्सर लिखे हैं – अभी 15 साल हैं, 99 में होंगे, 88 में होंगे।लेकिन बाबा कहते हैं -“विनाश की घड़ियाँ गिनाने से कुछ नहीं होगा।”
खुद की स्थिति देखें, अपने पुरुषार्थ की गति देखें।”क्योंकि अंतकाल में समय नहीं मिलेगा।”

🌎 [धारा 5 – विनाश क्यों होगा? (3:30 से 4:30)]
🎵 [पृष्ठभूमि: स्वच्छ प्रकृति और स्वर्ग के दर्शन]

कथावाचक:”सतोप्रधान प्रकृति के लिए संपूर्ण दर्शन चाहिए।और सतोप्रधान प्रकृति तब ही आएगी, जब पुरानी दुनिया का विनाश होगा।
जो आत्माएं पवित्र महिलाएं हैं, उनके लिए यह नई दुनिया बनी है।इसलिए खुद को बार-बार जाँचो –क्या मैं बाप के समान गुणवत्ता में जा रहा हूँ?”

📘 [निष्कर्ष – अनुस्मारक और कार्रवाई के लिए कॉल (4:30 से 5:00)]
🎵 [पृष्ठभूमि: सकारात्मक, ऊर्जावान संगीत]

कथावाचक:”तो स्मारकीय मूर्तियाँ, अब समय है – उड़ती कला में स्थित होने का।अब ना गिनो समय को, ना देखो विनाश को,बस उफ़ो, विश्वासी बनो, फ़रिश्ता बनो!”

🕊️ “क्योंकि उड़ती कला ही आपकी दोस्त है।”

📺 [आउट्रो – (5:00 से अंत तक)]
🎵 [पृष्ठभूमि: आउट्रो संगीत + बेल ध्वनि]कथावाचक:
“वीडियो अच्छा लगा हो तो लाइक करें,बीके ज्ञान से जुड़ने के लिए सब्सक्राइब करें।और इस दिव्य संदेश को अपने प्रिय आत्माओं तक ज़रूर पहुँचाएँ।
✅ थंबनेल सुझाव:मूलपाठ:”उड़ती कला = स्टेशिया? | बीके राज़ | कर्मातीत कैसे?”तस्वीर:
फरिश्ता रूप में आत्मा उड़ती हुई, नीचे विनाश की भूमि।

🎬 🎵 [पृष्ठभूमि: विद्युत रेखा, स्वर्ग जैसा]

कथावाचक (प्रेरक स्वर):
“क्या आप तैयार हैं?
सतयुग की ओर बढ़ने का रास्ता – उड़ती कला!
बाबा कहते हैं, विनाश से पहले उड़ती कला ही तुम्हारी असली दुकान है।
क्यों? आइए जानते हैं गहराई से…”


🕊️ [धारा 1 – उड़ती कला क्या है?]

Q1. उड़ती कला किसे कहते हैं?
A1. उड़ती कला का अर्थ है “डबल लाइट” स्थिति – जहां आत्मा पर कोई भी बंधन, खिंचाव या हिसाब-किताब न हो। जब आत्मा कह सके, “मैं प्रकाशस्वरूप, ज्ञानस्वरूप आत्मा हूं”, तब ही वह फरिश्ता बनती है।

Q2. डबल लाइट आत्मा की पहचान क्या है?
A2. वो न किसी संबंध में बंधती है, न कोई बात उसे खींचती है। उसकी स्थिति हल्की होती है – निर्बंधन, निःस्वार्थ और उड़ान भरने योग्य।


🔥 [धारा 2 – यह स्थिति क्यों ज़रूरी है?]

Q3. उड़ती कला क्यों ज़रूरी बताई गई है?
A3. क्योंकि यही अंतिम समय में हमारी सेफ्टी बनेगी। यह स्थिति ही आत्मा को कर्मातीत बनाएगी। अगर उड़ती कला नहीं सीखी, तो अंत समय में पेपर पास नहीं होगा।

Q4. क्या अंत में पुरुषार्थ करने का समय मिलेगा?
A4. नहीं। बाबा स्पष्ट कहते हैं कि अंतकाल में पुरुषार्थ का समय नहीं मिलेगा, इसलिए अभी उड़ती कला को धारण करो।


🪔 [धारा 3 – विधाता और वरदाता की स्टेज]

Q5. उड़ती कला का संबंध ‘विधाता’ और ‘वरदाता’ से क्या है?
A5. विधाता वो जो विधि बताता है, वरदाता वो जो अपने समान बनाता है। उड़ती कला वाला ही फरिश्ता बनकर दूसरों को प्रेरित करता है।

Q6. वरदाता आत्मा का कार्य क्या होता है?
A6. उसका जीवन, व्यवहार और प्रभाव ऐसा होता है कि देखने वाला कहे – “मैं भी ऐसा बनूं।”


[धारा 4 – विनाश को मत गिनो]

Q7. क्या विनाश की तारीखों का हिसाब लगाना सही है?
A7. नहीं। बाबा कहते हैं – “विनाश की घड़ियाँ गिनने से कुछ नहीं होगा।”
हमें सिर्फ अपनी स्थिति को देखना है, अपने पुरुषार्थ की गति को बढ़ाना है।

Q8. क्या हमें 99 या 88 जैसी भविष्यवाणियों पर ध्यान देना चाहिए?
A8. नहीं। यह केवल माया के भ्रम हैं। असली लक्ष्य है – स्वयं को संपूर्ण बनाने की दौड़ में लग जाना।


🌎 [धारा 5 – विनाश क्यों होगा?]

Q9. क्या विनाश ज़रूरी है?
A9. हां। क्योंकि जब तक पुरानी दुनिया का विनाश नहीं होगा, सतोप्रधान प्रकृति की स्थापना नहीं होगी। पवित्र आत्माओं के लिए स्वर्ग जैसी दुनिया चाहिए।

Q10. विनाश किसके लिए सहायक है?
A10. उन आत्माओं के लिए जो पवित्र बन चुकी हैं, जो सतोप्रधान बनने की स्थिति में आ गई हैं – ताकि वे अपने अधिकार का राज्य स्थापित कर सकें।


📘 [निष्कर्ष – अनुस्मारक और Call to Action]

Q11. इस समय हमें क्या करना चाहिए?
A11. बाबा कहते हैं – अब समय है उड़ती कला में स्थित होने का।
ना समय गिनो, ना विनाश देखो – बस खुद को बाप समान बनाओ, फरिश्ता बन जाओ।

Q12. उड़ती कला से क्या मिलेगा?
A12. यही हमारी सच्ची सेफ्टी, कर्मातीत स्थिति और संपूर्णता की चाबी है।
यही मार्ग है सतयुग की ओर।


📺 [आउट्रो स्क्रिप्ट]

🎵 [पृष्ठभूमि: आउट्रो संगीत + बेल ध्वनि]
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उड़ती कला = कर्मातीत का शॉर्टकट!


थंबनेल सुझाव:

  • Title: “उड़ती कला = सेफ्टी? | BK राज़ | कर्मातीत कैसे?”

  • Image: फरिश्ता रूप में आत्मा स्वर्णिम आकाश में उड़ती हुई, नीचे पुरानी दुनिया का विनाश।

  • Colors: हल्का नीला और स्वर्णिम युग का चमकता हुआ प्रभाव।

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