अव्यक्त मुरली-(31)“सर्वन्श त्यागी की निशानियाँ”
“सर्वंश त्यागी आत्माओं की विशेषताएँ | बापदादा का दिव्य संदेश |”
ओपनिंग
ओम शांति।
आज बापदादा चारों ओर देख रहे हैं – कौन से बच्चे सर्व महात्यागी और सर्वंश त्यागी बन इस महान भाग्य को प्राप्त कर रहे हैं।
ऐसे समीप और समान आत्माओं को देख कर बापदादा हर्षित होते हैं।
1. सर्वंश त्यागी की तीन मुख्य विशेषताएँ
1.1 संकल्प में
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सदा निराकारी सो साकारी,
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सदा न्यारी और बाप की प्यारी आत्माएँ।
1.2 वाणी में
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सदा निरहंकारी,
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वाणी में रूहानी मधुरता और निर्मानता।
1.3 कर्म में
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हर कर्मेन्द्रिय से सदा निर्विकारी,
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अर्थात् पवित्रता की पर्सनैलिटी।
2. कर्मेन्द्रियों द्वारा महादानी और वरदानी
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मस्तक से – आत्माओं को स्व-स्वरूप की स्मृति दिलाना।
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नयनों से – रूहानी दृष्टि द्वारा मुक्तिधाम और जीवनमुक्ति का अनुभव कराना।
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मुख से – रचयिता और रचना का रहस्य स्पष्ट करना।
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हाथों से – सहज योगी और कर्मयोगी बनने की प्रेरणा देना।
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चरणों से – हर कदम पर फॉलो फादर कर पदमों की कमाई जमा करना।
3. सर्वंश त्यागी की भाषा और व्यवहार
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कोई भी विकार का अंश भाषा, व्यवहार या संकल्प में नहीं।
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न तो स्वयं को सिद्ध करने के लिए बहाने, न ही दूसरों की कमजोरी बताने की आदत।
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मंसा-वाचा-कर्मणा में पूर्ण पवित्रता।
4. विश्व कल्याणकारी की पहचान
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सर्वंश त्यागी आत्मा सदा दाता का बच्चा, मास्टर दाता होती है।
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परिस्थितियों को बदलने वाली, दूसरों को शक्तिशाली बनाने वाली।
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“मुझे देना है, बदलना है, निर्मान बनना है” – यही संकल्प।
5. गुण मूर्त आत्मा
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स्वयं गुणवान और दूसरों में गुण देखने वाली।
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अवगुण जानती है पर ग्रहण नहीं करती।
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अपनी शक्ति से दूसरों को भी गुणवान बनाने वाली।
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सच्ची होली हंस आत्मा।
6. जिम्मेवार और बेहद की आधारमूर्ति आत्मा
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सेवा में विघ्न आए तो स्वयं को बेहद की जिम्मेवारी समझना।
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परिवार के हर सदस्य की कमजोरी को अपनी जिम्मेवारी मानना।
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स्व-कल्याणकारी नहीं, विश्व कल्याणकारी बनना।
7. प्रत्यक्ष फलस्वरूप आत्मा
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सर्वंश त्यागी आत्मा सदा प्रत्यक्ष फल से सम्पन्न होती है।
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कोई भी मन की बीमारी नहीं, सदा मनदुरुस्त।
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“मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ” – यह स्मृति स्थायी रहती है।
8. उड़ते पंछी बनो
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हद की डालियों को छोड़ कर बेहद की उड़ान भरनी है।
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नाम, मान, शान, केंद्र – सब सोने की डाली है, इन्हें भी छोड़ना है।
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बापदादा ने पंख दे दिए हैं – अब छोड़ो और उड़ो।
सर्वन्श त्यागी आत्मा की विशेषताएँ
प्रश्न–उत्तर
Q1. बापदादा किस प्रकार के बच्चों को देखकर हर्षित होते हैं?
जो सर्व महात्यागी और सर्वन्श त्यागी बनकर समीप और समान स्थिति प्राप्त कर लेते हैं।
Q2. सर्वन्श त्यागी आत्मा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
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संकल्प में निराकारी से साकारी, सदा न्यारी और बाप की प्यारी आत्मा।
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वाणी में सदा निरहंकारी, रुहानी मधुरता और निर्मानता।
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कर्म में निर्विकारी और प्योरिटी की पर्सनैलिटी।
Q3. मस्तक और नयनों द्वारा सर्वन्श त्यागी आत्मा कौन से वरदान देती है?
मस्तक द्वारा आत्माओं को स्व-स्वरूप की स्मृति दिलाना,
और नयनों द्वारा रुहानी दृष्टि से मुक्तिधाम व जीवनमुक्ति का अनुभव कराना।
Q4. सर्वन्श त्यागी आत्मा विकारों के किस स्तर तक मुक्त होती है?
विकारों के रॉयल अंश तक से परे होकर, मंसा-वाचा-कर्मणा पूरी तरह निर्विकारी रहती है।
Q5. मास्टर दाता की विशेषता क्या है?
सदा देने की भावना से भरपूर होकर परिस्थितियों, वातावरण और आत्माओं को शक्ति देना और परिवर्तन करना।
Q6. गुणमूर्त आत्मा किसे कहा जाता है?
जो स्वयं गुणवान हो और अपनी दृष्टि-वृत्ति से सबके गुण देखे, अवगुण ग्रहण न करे तथा दूसरों को भी गुणवान बनाए।
Q7. विश्व कल्याणकारी आत्मा की ज़िम्मेदारी क्या है?
अपने को सिर्फ स्व-कल्याणकारी नहीं, बल्कि पूरे विश्व परिवार के कल्याण का आधारमूर्ति समझकर हर स्थिति में सहयोग और शक्ति देना।
Q8. उड़ते पंछी बनने का वास्तविक अर्थ क्या है?
“मेरा” भाव छोड़कर, सभी हद के आधार और अधिकार त्यागकर, सदा उड़ती कला में रहना।
Q9. मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा को कैसी स्थिति रखनी चाहिए?
व्यर्थ और अंधकार को मिटाकर सदा समर्थ स्थिति में रहना, स्वयं भी शक्तिशाली बनना और दूसरों को भी शक्तिशाली बनाना।
Q10. प्रवृत्ति में रहते हुए भी न्यारा और प्यारा कैसे रह सकते हैं?
लौकिक सम्बन्ध में रहते हुए स्मृति में सदा अलौकिक और पारलौकिक सम्बन्ध रखना, और घर को सेवास्थान समझकर सेवा-भाव में रहना।
Disclaimer
यह वीडियो केवल शैक्षिक और आध्यात्मिक उद्देश्य के लिए है।
इसमें साझा किया गया ज्ञान ब्रह्माकुमारी मुरली और आध्यात्मिक शिक्षाओं पर आधारित है।
इसका उद्देश्य आत्मा की शक्ति, शांति और पवित्रता का अनुभव कराना है।
यह किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय, कानूनी या व्यक्तिगत सलाह नहीं है।
कृपया इसे केवल प्रेरणा और आध्यात्मिक अध्ययन के रूप में ग्रहण करें।
ओम शांति।
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