D.P 104 “Is the film of this world drama being shot now or has it already been shot?

D.P 104 “क्या इस विश्व नाटक की फिल्म अभी शूट हो रही है या पहले से ही शूट हो गयी है?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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क्या इस विश्व नाटक की फिल्म पहले से शूट हुई है या अभी शूट हो रही है? | गुप्त रहस्य का गहराई से मंथन


🟣 भूमिका:
बहुत से आत्माओं के मन में यह गहरा प्रश्न उठता है –
“क्या यह विश्व नाटक पहले से ही शूट हो चुका है या अभी इसकी शूटिंग हो रही है?”
यदि पहले से शूट हुआ है तो हम क्या कर सकते हैं?
और यदि अभी हो रही है तो हमें क्या करना चाहिए?
आइए इस अनोखे और गुप्त रहस्य को आज हम मंथन द्वारा समझें।


🟡 1. क्या यह नाटक पहले से शूट हुआ है या अभी शूट हो रहा है?

🔸 यह नाटक अनादि और अविनाशी है

  • इसकी कोई शुरुआत नहीं, कोई अंत नहीं।

  • वेदों में भी कहा गया है: “नेति नेति” – न आदि का पता, न अंत का।

  • यह हर कल्प में सटीक रूप से दोहराया जाने वाला नाटक है।

🔸 आत्मा की रिकॉर्डिंग = ड्रामा की मास्टर कॉपी

  • आत्मा में संपूर्ण रिकॉर्डिंग है जो कभी घिसती नहीं।

  • बाबा ने कहा: “जो पिछली बार रिकॉर्ड किया था, वही अब प्ले हो रहा है – और जो अब हो रहा है, उसकी शूटिंग हो रही है।”

  • यह एक मास्टर कॉपी है, जिससे हर कल्प की कॉपी चलती है।

🔸 हर क्षण शूटिंग भी हो रही है

  • कर्म करते वक्त हम रिकॉर्डिंग कर रहे हैं।

  • जो कुछ अब हो रहा है, वह अगली बार का प्ले बन रहा है।

  • इसीलिए कहा: “बनी बनाई बन रही है, अब कुछ बननी नाही”।


🟡 2. यदि पहले से शूट हुआ है तो अभी हमारा क्या कर्तव्य है?

🔸 अपने पार्ट की पहचान करें

  • हमें यह समझना है कि हम कौन हैं और क्या रोल बजा रहे हैं।

  • हमारे संस्कार और कर्म ही हमारा पार्ट दर्शाते हैं।

🔸 श्रेष्ठ कर्म करना क्यों आवश्यक है?

  • यदि हम वर्तमान में श्रेष्ठ कर्म करते हैं, तो यह सिद्ध हो जाता है कि हमने कल्प पहले भी वही श्रेष्ठ कर्म किया था।

  • यही श्रेष्ठता आगे भी दोहराई जाएगी।

🔸 श्रीमत पर श्रेष्ठ कर्म = हर कल्प में श्रेष्ठ

  • हम जो भी कर्म श्रीमत अनुसार करते हैं, वह स्वर्णिम भविष्य की गारंटी है।

  • इससे यह भी प्रमाणित होता है कि हमने पिछले कल्प में भी ऐसा ही श्रेष्ठ किया था।


🟡 3. साक्षी दृष्टा और अंतर्मुखी स्थिति का सही अर्थ

🔸 साक्षी दृष्टा – दूसरों के लिए

  • जो आत्मा दूसरों के कर्मों को प्रभावित हुए बिना देखती है, वही साक्षी दृष्टा है।

  • जैसे CCTV कैमरा – सब देखता है, पर प्रतिक्रिया नहीं करता।

🔸 अंतर्मुखी – स्वयं के लिए

  • आत्मा को अपने कर्मों को अंदर जाकर चेक करना होता है।

  • कमियों को पहचान कर उन्हें बाबा की श्रीमत से सुधारना ही अंतर्मुखी बनाता है।

🔸 आत्मा को देखना = सुधार की शुरुआत

  • जो देखा, वही बदला जा सकता है।

  • देखेंगे नहीं तो सुधार नहीं होगा।


🟡 4. निष्कर्ष: हमारा कर्तव्य क्या है?

  • यह नाटक अनादि, अविनाशी, और पूर्व-निर्धारित है।

  • फिर भी, हर क्षण इसकी शूटिंग हमारे कर्मों से हो रही है।

  • हमें अपने कर्मों को बाबा की श्रीमत अनुसार श्रेष्ठ बनाना है।

  • सच्चे आनंद का अनुभव तभी होगा जब हम अपने पार्ट को श्रेष्ठता से निभाएं।


📍Extra Insight:
यह ड्रामा अच्छा है क्योंकि यह आनंददायक खेल है।
यदि किसी आत्मा को यह नाटक कठिन लगता है तो इसका कारण है – माया का प्रभाव और आत्मज्ञान की कमी।
बाबा का ज्ञान ही वह टॉर्च है जिससे हम इस नाटक की सुंदरता को देख सकते हैं।

🎥 क्या इस विश्व नाटक की फिल्म पहले से शूट हुई है या अभी शूट हो रही है? | गुप्त रहस्य का गहराई से मंथन

🟣 प्रश्न 1:क्या यह विश्व नाटक पहले से शूट हुआ है या अभी शूट हो रहा है?

उत्तर:यह नाटक अनादि (बिना आदि) और अविनाशी (नष्ट न होने वाला) है।
यह हर कल्प (5000 वर्ष) में बिल्कुल समान रूप से दोहराता है।
बाबा कहते हैं – “जो पिछली बार रिकॉर्ड हुआ था, वही अब प्ले हो रहा है।”
लेकिन साथ ही, “जो अब हो रहा है, वही फिर से रिकॉर्ड भी हो रहा है।”
मतलब यह कि नाटक पहले से शूट भी है और अभी शूटिंग भी चल रही है।

🟡 प्रश्न 2:अगर यह पहले से रिकॉर्डेड है, तो क्या हम कुछ बदल सकते हैं?

उत्तर:नहीं, हम नाटक को बदल नहीं सकते, लेकिन…
हमारा “कर्तव्य” है कि हम अपने श्रेष्ठ स्वरूप को जाग्रत करें।
जो आत्मा अभी श्रेष्ठ कर्म कर रही है, वह संकेत है कि उसने कल्प पहले भी वही श्रेष्ठ कर्म किए थे।
इसलिए, वर्तमान में श्रीमत पर श्रेष्ठ कर्म करना ही हमारा सबसे बड़ा अधिकार और कर्तव्य है।

🟢 प्रश्न 3:क्या हम सच में अभी कुछ “नया” बना रहे हैं?

उत्तर:बाबा कहते हैं – “बनी बनाई बन रही है, अब कुछ बननी नाही।”
मतलब:

  • अभी जो हो रहा है, वही पहले से रिकॉर्ड है।

  • लेकिन जो हम कर रहे हैं, वही अगली बार के लिए फिर से रिकॉर्ड बन रहा है।
    इसलिए, हम कुछ नया नहीं बना रहे – बल्कि वही श्रेष्ठता दोहरा रहे हैं जो पहले भी की थी।

🔵 प्रश्न 4:साक्षी दृष्टा और अंतर्मुखी स्थिति का क्या मतलब है?

उत्तर:

  • साक्षी दृष्टा = जैसे CCTV कैमरा। सब कुछ देखना, लेकिन प्रतिक्रिया न देना।
    ये स्थिति हमें दूसरों के व्यवहार से प्रभावित होने से बचाती है।

  • अंतर्मुखी = स्वयं की आत्मा में झांकना, अपने कर्मों की गहराई से समीक्षा करना।
    जब हम खुद को देखते हैं, तभी सुधार संभव होता है।

🟠 प्रश्न 5:अगर सब पहले से तय है, तो हमारा प्रयास किस लिए?

उत्तर:यह हमारा बुद्धियोग और पुरुषार्थ ही है जो हमारी आत्मा की श्रेष्ठता को दोहराता है।
जैसे किसी फिल्म का अभिनेता जानता है कि सीन क्या है, फिर भी उसे पूरा मन लगाकर अभिनय करना होता है।
वैसे ही, हमें भी अपने पार्ट को पूर्ण जागरूकता और बाबा की श्रीमत के अनुसार निभाना है।

🔴 निष्कर्ष प्रश्न:तो इस ज्ञान से हमें क्या सिखने को मिला?

उत्तर:

  1. यह नाटक अनादि, सटीक और दोहराव वाला है।

  2. फिर भी, हमारा हर कर्म रिकॉर्ड भी हो रहा है।

  3. श्रेष्ठ कर्म = श्रेष्ठ भविष्य की गारंटी।

  4. बाबा का ज्ञान = वह टॉर्च है जो नाटक की सुंदरता दिखाता है।

  5. आनंद तभी है जब हम अपने पार्ट को पहचानें और उसे श्रेष्ठता से निभाएं।


📌 Extra Insight:जो आत्मा कहती है “नाटक कठिन है” — वह अज्ञान और माया के प्रभाव में है।
इस नाटक को समझने के लिए हमें चाहिए – बाबा का ज्ञान, पुरुषार्थ की रुचि, और साक्षी भाव।

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