Dussehra(1)The real meaning of Dussehra is not burning of Ravana but burning of vices.

(01)दशहरे का असली अर्थ रावण दहन नहीं – विकार दहन।

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दशहरे का असली अर्थ: रावण दहन नहीं, विकार दहन

1. रावण क्या है?

  • दुनिया भर में दशहरे पर रावण का पुतला जलाया जाता है।

  • लेकिन साकार और अव्यक्त मुरली में बताया गया है कि असली रावण कोई बाहरी राक्षस नहीं है।

  • रावण = पाँच विकार:

    1. काम

    2. क्रोध

    3. लोभ

    4. मोह

    5. अहंकार

Murli Note:

  • साकार मुरली, 25 अक्टूबर 2004: “रावण तो विकारों का नाम है। मनुष्य समझते हैं रावण कोई व्यक्ति था।”

  • अव्यक्त मुरली, 9 अक्टूबर 1979: “दशहरा का असली अर्थ है आत्मा की विजय। जब आत्मा रावण रूपी विकारों पर जीत पाती है, तभी सच्चा विजय दशमी मनाई जाती है।”

उदाहरण:

  • अगर घर में धुआँ है और बाहर पुतला जला दिया जाए, तो घर साफ नहीं होगा।

  • उसी प्रकार, अगर आत्मा के अंदर विकार हैं और केवल प्रतीकात्मक क्रिया की जाती है, तो वास्तविक शुद्धि नहीं होती।


2. असली दशहरा = आत्मा की विजय

  • दशहरा का अर्थ: 10 इंद्रियों पर विजय प्राप्त करना।

  • विजय दशमी = 10 इंद्रियों पर जीत।

  • जब हम राजयोग द्वारा मन और इंद्रियों को नियंत्रित करते हैं, तभी रावण का वास्तविक दहन होता है।

व्यवहारिक बिंदु:

  1. काम: ईश्वर से सच्चा प्रेम जोड़ो।

  2. क्रोध: सहनशीलता और शांति का अभ्यास करो।

  3. लोभ: संतोष का खजाना जमा करो।

  4. मोह: आत्मिक दृष्टि से संबंध निभाओ।

  5. अहंकार: “मैं आत्मा” की स्थिति में स्थित रहो।


3. दशहरे और दीपावली का आध्यात्मिक संबंध

  • जब आत्मा का अंदरूनी रावण जले, तब दशहरा सच्चा माना जाता है।

  • इसी विकार दहन के बाद आत्मा प्रकाशमय बनती है, और दीपावली का त्यौहार शुरू होता है।

उदाहरण:

  • यदि मन के भीतर क्रोध, मोह और अहंकार हैं, तो केवल बाहरी पूजा या त्यौहार मन की शुद्धि नहीं कर सकते।

  • असली दीपावली तब है जब आत्मा का भीतर का अंधकार दूर हो।


4. निष्कर्ष

  • दशहरा = रावण के बाहरी दहन का नहीं, बल्कि आत्मा के भीतर विकारों का दहन।

  • जब आत्मा विकारों पर विजय प्राप्त करती है, वही है सच्चा दशहरा और सच्ची विजय दशमी।

  • संदेश: बाहरी कर्म और प्रतीकात्मक रीतियाँ महत्वपूर्ण हैं, लेकिन असली परिवर्तन अंदर से आता है।

दशहरे का असली अर्थ | रावण दहन नहीं, विकार दहन | आत्मा की विजय


प्रश्न और उत्तर

Q1: दशहरे का असली अर्थ क्या है?
A1: दशहरे का असली अर्थ रावण दहन नहीं, बल्कि विकारों का दहन है। बाहरी रावण नहीं, बल्कि आत्मा के अंदर काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार को खत्म करना सच्चा दशहरा है।


Q2: रावण कौन है – असली या प्रतीक?
A2: रावण कोई बाहरी व्यक्ति या राक्षस नहीं है।
Murli Note:

  • साकार मुरली 25 अक्टूबर 2004: “रावण तो विकारों का नाम है।”

  • अव्यक्त मुरली 9 अक्टूबर 1979: “दशहरा का असली अर्थ है आत्मा की विजय।”


Q3: विजय दशमी का मतलब क्या है?
A3: विजय दशमी का अर्थ है 10 इंद्रियों पर विजय प्राप्त करना। जब आत्मा राजयोग द्वारा मन और इंद्रियों को नियंत्रित करती है, तभी असली रावण दहन होता है।


Q4: दशहरे और दीपावली का आध्यात्मिक संबंध क्या है?
A4:

  • दशहरे पर आत्मा के अंदर के विकारों का दहन होता है।

  • विकारों का दहन होने पर आत्मा प्रकाशमय बनती है।

  • इसी कारण दशहरे के बाद दीपावली आती है।


Q5: आत्मा के विकारों को कैसे नियंत्रित करें?
A5:

  1. काम: ईश्वर से सच्चा प्रेम जोड़ो।

  2. क्रोध: सहनशीलता और शांति का अभ्यास करो।

  3. लोभ: संतोष का खजाना जमा करो।

  4. मोह: आत्मिक दृष्टि से संबंध निभाओ।

  5. अहंकार: “मैं आत्मा” की स्थिति में स्थित रहो।


Q6: पुतला जलाना क्यों प्रतीकात्मक है?
A6: बाहरी पुतला जलाना केवल प्रतीक है।
उदाहरण: अगर घर में धुआँ फैल रहा हो और बाहर पुतला जलाकर कहा जाए कि धुआँ खत्म हो गया, तो घर साफ नहीं होगा। इसी तरह, विकार अंदर हैं, इसलिए असली परिवर्तन आत्मा के अंदर होना चाहिए।


Q7: निष्कर्ष क्या है?
A7:

  • असली दशहरा = आत्मा के अंदर रावण रूपी विकारों का नाश।

  • जब आत्मा विकारों पर विजय पाती है, वही सच्ची विजय दशमी होती है।

  • बाहरी प्रतीक और कर्म मदद कर सकते हैं, लेकिन सच्ची शुद्धि अंदर से होती है।

Disclaimer:
यह वीडियो ब्रह्माकुमारी शिवबाबा की मुरली शिक्षाओं और आध्यात्मिक दृष्टिकोण पर आधारित है। इसमें व्यक्त विचार आध्यात्मिक समझ और आत्मा की यात्रा के लिए दिए गए हैं। धार्मिक परंपराओं और प्रतीकों का संदर्भ आध्यात्मिक अर्थ के लिए किया गया है।

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