01-/The basic meaning of Yoga:

01-/योग का मूल अर्थः

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“सहज राज योग: पहली बार जानिए ईश्वर द्वारा सिखाया गया सबसे श्रेष्ठ योग | The Best Yoga by God Himself”


प्रस्तावना: आज एक अनोखा अनुभव करेंगे

आज हम पहली बार एक वंडरफुल बात अनुभव करने जा रहे हैं।
दुनिया में बहुत प्रकार के योग सिखाए और सीखे जाते हैं — हठयोग, आसनयोग, प्राणायाम, ध्यान आदि।
लेकिन आज हम उस योग की बात करेंगे जो स्वयं परमात्मा सिखाते हैं — सहज राज योग
यह योग कोई मनुष्य नहीं, स्वयं ईश्वर सिखाते हैं — और वही इसे सिखा भी सकते हैं।


सहज योग क्या है?

“सहज” का अर्थ — सरल, सहजता से किया जाने वाला।
“योग” का अर्थ — जोड़।
तो सहज योग यानी — आत्मा का परमात्मा से सहज संबंध जोड़ना


योग की मूल परिभाषा क्या है?

योग का मूल अर्थ है —
आत्मा का परमात्मा के साथ मानसिक और आध्यात्मिक संबंध जोड़ना।
यह जोड़ मन के स्तर पर होता है, चेतना के स्तर पर होता है।

इसमें तीन मुख्य संबंध बनते हैं:

  1. आत्मा और परमात्मा का संबंध

  2. आत्मा और अन्य आत्माओं का संबंध

  3. आत्मा और प्रकृति का संबंध

यह सभी संबंध सामंजस्यपूर्ण होने चाहिए — अर्थात जो हमें आनंद, शांति, और सफलता दें।


योग का प्रभाव: क्रिया और प्रतिक्रिया का विज्ञान

हर संबंध में एक क्रिया होती है और फिर एक प्रतिक्रिया।
यदि संबंध सकारात्मक है, तो परिणाम भी सुखद होता है।
इसलिए योग का असली उद्देश्य है —
सुखद, पवित्र और सहयोगी संबंध बनाना।


संबंध: सुख का आधार

संबंध का अर्थ है:

  • ऐसा जोड़ जो हमें दुख न दे,

  • बल्कि आत्मिक सुख और शांति का अनुभव कराए।

इसलिए कहा जाता है —
योग यानी श्रेष्ठ संबंध।


सहज राज योग में सबसे श्रेष्ठ क्या है?

इन सभी में सबसे श्रेष्ठ संबंध है:
आत्मा का परमात्मा से संबंध।
यही है सहज राज योग —
जो ईश्वर स्वयं हमें सिखाते हैं।
इसका नाम भी उन्होंने ही रखा है: सहज राज योग
यह कोई मानव नहीं सिखा सकता।


संबंध बनता है तो आदान-प्रदान होता है

जब आत्मा परमात्मा से जुड़ती है, तो एक दिव्य प्रवाह शुरू होता है।

  • परमात्मा के पास हमेशा पॉजिटिव एनर्जी है — शांति, शक्ति, प्रेम, आनंद।

  • आत्मा जब उससे जुड़ती है, तो वह ऊर्जा आत्मा में प्रवाहित होती है।

यह है सहज योग का चमत्कार।


आत्मा और परमात्मा का अंतर और संबंध

  • आत्मा और परमात्मा दोनों ही ज्योति रूप हैं — बिंदु समान।

  • आत्मा जन्म-मरण में आती है, कर्म करती है, भोगती है।

  • परमात्मा न कभी जन्म लेते हैं, न भोगते हैं — वह एवर प्योर हैं।

यही कारण है कि जब आत्मा परमात्मा से जुड़ती है,
तो उसकी सारी अशुद्धता समाप्त होती है, और दिव्यता भरती जाती है।


दूसरे योग और सहज राज योग में अंतर

दूसरे योगों में शरीर पर, श्वास पर, भावनाओं पर ध्यान दिया जाता है।
परंतु सहज राज योग में ध्यान परमात्मा पर —
और यथार्थ आत्म-स्मृति द्वारा —
ईश्वर से सीधा संबंध स्थापित किया जाता है।
यही इसे सभी योगों में श्रेष्ठ बनाता है।


योगियों के भगवान — शिव

सभी योगों की उत्पत्ति, सभी परंपराएं,
योगेश्वर शिव को मानती हैं।
क्योंकि वही परमात्मा हैं जो योग का सच्चा अर्थ और विधि बताते हैं।
शिव ही कहते हैं —
“मुझसे योग लगाओ, मुझसे शक्तियाँ लो, और फिर स्वयं को बदलो।”


समापन: यही है आत्मा की श्रेष्ठ यात्रा

यह सहज राज योग आत्मा की परम यात्रा है —
जो उसे फिर से सशक्त, पावन और सफल बनाती है।
यह न कोई धर्म है, न कोई पंथ —
बल्कि यह एक आत्मा का परमात्मा से मिलने का अनुभव है।


अंतिम प्रेरणादायक वाक्य:

 “एक बार स्वयं को आत्मा समझो, और उस परम ज्योति से जुड़ो —
तभी आप अनुभव करेंगे —
सहज राज योग ही है The Best Yoga, जो स्वयं ईश्वर हमें सिखाते हैं।”

“सहज राज योग: पहली बार जानिए ईश्वर द्वारा सिखाया गया सबसे श्रेष्ठ योग | The Best Yoga by God Himself”


❓Q1: दुनिया में बहुत सारे योग हैं — तो सहज राज योग क्या खास बनाता है?

✅ A1:सहज राज योग कोई मनुष्य नहीं, स्वयं ईश्वर सिखाते हैं।
यह आत्मा का परमात्मा से सीधा संबंध जोड़ने की विधि है।
यह योग केवल परमात्मा द्वारा ही सिखाया जा सकता है — इसलिए यह “The Best Yoga by God Himself” है।


❓Q2: “सहज योग” का अर्थ क्या होता है?

✅ A2:“सहज” यानी सरल, सहजता से किया जाने वाला।
“योग” यानी जोड़ — आत्मा का परमात्मा से आत्मिक जोड़।
कोई कठिन क्रिया नहीं, सिर्फ आत्मिक स्मृति और परमात्मा से संबंध।


❓Q3: योग का मूल उद्देश्य क्या है?

✅ A3:योग का मूल उद्देश्य है —
 आत्मा और परमात्मा का संबंध,
 आत्मा और आत्माओं का सामंजस्यपूर्ण संबंध,
 आत्मा और प्रकृति के साथ सहयोगी संबंध।
ताकि जीवन में शांति, आनंद और सफलता आ सके।


❓Q4: सहज राज योग में सबसे महत्वपूर्ण क्या है?

✅ A4:सहज राज योग में सबसे महत्वपूर्ण है —
आत्मा का परमात्मा से संबंध।
यही वह दिव्य संबंध है जिससे आत्मा शक्ति, शांति, आनंद और प्रेम प्राप्त करती है।


❓Q5: जब आत्मा परमात्मा से जुड़ती है तो क्या होता है?

✅ A5:एक दिव्य प्रवाह शुरू होता है —
परमात्मा की पॉजिटिव एनर्जी (शांति, शक्ति, प्रेम) आत्मा में प्रवाहित होती है।
जैसे सूर्य से किरणें आती हैं, वैसे ही आत्मा में गुण और शक्तियाँ भरती हैं।


❓Q6: आत्मा और परमात्मा में क्या अंतर है?

✅ A6:दोनों ही ज्योति रूप बिंदु हैं, लेकिन अंतर है:
 आत्मा जन्म-मरण में आती है, कर्म करती है।
 परमात्मा कभी जन्म नहीं लेते, न भोगते — वह एवर प्योर हैं।
इसलिए परमात्मा से जुड़कर आत्मा फिर से पावन बनती है।


❓Q7: दूसरे योग और सहज राज योग में क्या फर्क है?

✅ A7:दूसरे योग शरीर, श्वास या भावनाओं पर केंद्रित होते हैं।
सहज राज योग में केंद्र बिंदु है — आत्मा और परमात्मा।
यह आत्मा की चेतना को परमात्मा से जोड़ता है —
जो सीधा अनुभव कराता है।


❓Q8: सहज राज योग सिखाता कौन है?

✅ A8:सहज राज योग केवल परमात्मा सिखाते हैं —
योगेश्वर शिव।
क्योंकि वही परमात्मा हैं जो जन्म-मरण से परे हैं।
किसी भी मानव ने ऐसा योग पहले कभी नहीं सिखाया।


❓Q9: क्या यह कोई धर्म या पंथ है?

✅ A9:नहीं।यह कोई धर्म नहीं, कोई पंथ नहीं।
यह एक आत्मा की व्यक्तिगत यात्रा है —
परमात्मा से मिलन की यात्रा।


❓Q10: सहज राज योग का अंतिम उद्देश्य क्या है?

✅ A10:आत्मा को फिर से शक्तिशाली, पावन और सच्चिदानंद स्वरूप बनाना।
यह योग हमें सिखाता है कि हम कौन हैं, परमात्मा कौन हैं, और उससे कैसे जुड़ें।


 समापन प्रेरणा:

 “एक बार स्वयं को आत्मा समझो, और उस परम ज्योति से जुड़ो —
तभी आप अनुभव करेंगे —
सहज राज योग ही है The Best Yoga, जो स्वयं ईश्वर हमें सिखाते हैं।

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