“Means, Sadhana and the end”

“साधन, साधना और साध्य”

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“साधन से साधना नहीं होती, साधना से साध्य मिलता है | सच्चा राजयोग क्या है? | 


साधन, साधना और साध्य – आत्मा की सच्ची यात्रा


 1. परिचय – तीन शब्द, तीन अवस्थाएँ

  • साधन = बाहरी चीज़ें — जैसे पूजापाठ, मूर्तियाँ, स्थान, वस्त्र

  • साधना = आत्मा का आंतरिक प्रयास — योग, मन की एकाग्रता, श्रीमत पर चलना

  • साध्य = परम लक्ष्य — परमात्मा की प्राप्ति, सतोप्रधान बनना

उदाहरण:
जैसे कोई व्यक्ति माइक, लाइट, कुर्सी लेकर मंच पर बैठ जाए, पर बोलना न आए — तो लक्ष्य (साध्य) अधूरा रह जाएगा।


 2. साधन से नहीं होती परमात्मा की प्राप्ति

आज दुनिया में धर्मस्थल, मूर्तियाँ, पुस्तकें और पूजा-पद्धतियाँ अधिक हो गई हैं।
लेकिन आत्मा की उन्नति के लिए साध्य का बोध और सच्ची साधना चाहिए।

साकार मुरली – 4 जुलाई 2024:
“बच्चे! साधन से कुछ नहीं मिलेगा। बाप कहते हैं – मैं साधन नहीं, मैं साध्य हूँ।”


 3. साधना क्या है? – आत्मा की परम यात्रा

  • साधना का अर्थ है – श्रीमत पर निरंतर चलना

  • यह शरीर से नहीं, मन और बुद्धि की यात्रा है

  • राजयोग = सच्ची साधना

उदाहरण:
जैसे विद्यार्थी रोज अभ्यास कर टॉपर बनता है, वैसे ही आत्मा अभ्यास से दैवी बनती है।

साकार मुरली – 12 जून 2024:
“सच्ची साधना है – बाप को याद करना, अपने को आत्मा समझना और कर्मेन्द्रियों से जीतना।”


 4. साध्य क्या है? – क्यों कर रहे हो साधना?

BK ज्ञान के अनुसार साध्य है:

  1. सतोप्रधान आत्मा बनना

  2. 21 जन्मों के लिए देवता पद

  3. आत्मा का स्वराज्य

  4. परमात्मा से मिलन

साकार मुरली – 16 जुलाई 2024:
“तुम बच्चों का साध्य है – लक्ष्मी-नारायण बनना। यही सच्चा स्वराज्य है।”


 5. जब साध्य स्पष्ट हो, तो साधना स्वाभाविक बनती है

  • अगर साध्य याद न हो, तो साधना दिशाहीन हो जाती है।

  • साध्य को सामने रखो – “मैं आत्मा हूँ, मुझे देवी-देवता बनना है।”

अव्यक्त मुरली – 23 जून 2024:
“बच्चों! साध्य को सामने रखो तो साधना में रस आ जाएगा।”


 6. साधन बनाम साधना – एक स्पष्ट अंतर

साधन साधना
बाहरी सहारा आंतरिक अभ्यास
स्थूल वस्तुएं सूक्ष्म संकल्प
सीमित परिणाम असीम उपलब्धि
छूट सकते हैं आत्मा के साथ रहते हैं

निष्कर्ष: साध्य की स्मृति ही सच्ची साधना है

  • साधन सीमित हैं

  • साधना अमर है

  • साध्य दिव्य है

साकार मुरली – 29 जून 2024:
“साध्य को सामने रख श्रीमत पर सच्ची साधना करो – यही स्वर्णिम युग की सीढ़ी है।”

प्रश्नोत्तर श्रृंखला: साधन, साधना और साध्य की गहराई


 Q1: साधन, साधना और साध्य — इन तीनों में क्या अंतर है?

 उत्तर:

  • साधन = बाहरी चीज़ें — जैसे पूजापाठ, मूर्तियाँ, मंदिर, वस्त्र

  • साधना = आत्मा का आंतरिक प्रयास — श्रीमत पर चलना, योग और ज्ञान का अभ्यास

  • साध्य = परम लक्ष्य — परमात्मा की प्राप्ति और सतोप्रधान स्थिति

उदाहरण:
जैसे कोई माइक और लाइट के साथ मंच पर बैठे, लेकिन बोलना न आए — तो साधन होने पर भी साध्य अधूरा रह जाता है।


 Q2: क्या साधन के माध्यम से परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है?

 उत्तर:नहीं। परमात्मा की प्राप्ति साधनों से नहीं, साधना से होती है।
बाबा कहते हैं — “मैं साधन नहीं, मैं साध्य हूँ।”
धर्मस्थल, ग्रंथ, मूर्तियाँ — ये सहायक हो सकते हैं, लेकिन आत्मा का परिवर्तन सिर्फ सच्ची साधना से होता है।

साकार मुरली – 4 जुलाई 2024:
“बच्चे! साधन से कुछ नहीं मिलेगा। बाप कहते हैं – मैं साधन नहीं, मैं साध्य हूँ।”


 Q3: साधना का सच्चा अर्थ क्या है?

 उत्तर:साधना का अर्थ है —

  • श्रीमत पर चलने की निरंतरता

  • मन-बुद्धि की यात्रा

  • राजयोग का अभ्यास

सच्ची साधना वही है जो आत्मा को देवता बनने की ओर ले जाए।

साकार मुरली – 12 जून 2024:
“सच्ची साधना है – बाप को याद करना, अपने को आत्मा समझना और कर्मेन्द्रियों से जीतना।”


Q4: साध्य क्या है? हमें किस दिशा में साधना करनी है?

उत्तर:BK ज्ञान के अनुसार आत्मा का साध्य है —

  1. सतोप्रधान बनना

  2. 21 जन्मों के लिए देवता बनना

  3. आत्मा का स्वराज्य

  4. परमात्मा से मिलन

साकार मुरली – 16 जुलाई 2024:
“तुम बच्चों का साध्य है – लक्ष्मी-नारायण बनना। यही सच्चा स्वराज्य है।”


 Q5: क्या साध्य को सामने रखने से साधना में मदद मिलती है?

 उत्तर:हाँ। जब साध्य स्पष्ट होता है — “मैं आत्मा हूँ, मुझे देवी-देवता बनना है,”
तब साधना बोझ नहीं, प्रेमपूर्ण प्रयास बन जाती है।

अव्यक्त मुरली – 23 जून 2024:
“बच्चों! साध्य को सामने रखो तो साधना में रस आ जाएगा।”


 Q6: साधन और साधना में मुख्य अंतर क्या है?

 उत्तर:

साधन साधना
बाहरी सहारा आंतरिक अभ्यास
स्थूल वस्तुएँ सूक्ष्म संकल्प
सीमित परिणाम असीम उपलब्धि
कभी छूट सकते हैं आत्मा के साथ स्थायी रहते हैं

Q7: निष्कर्ष क्या है — हमें किस पर ध्यान देना चाहिए?

 उत्तर:

  • साधन सीमित हैं, साधना अमर है, और साध्य दिव्य है।

  • जिसने साध्य को पहचाना, उसकी साधना स्वतः सार्थक हो जाती है।

साकार मुरली – 29 जून 2024:
“बच्चे! साध्य को सामने रख श्रीमत पर सच्ची साधना करो – यही स्वर्णिम युग की सीढ़ी है।”

Disclaimer (डिस्क्लेमर):

इस वीडियो में प्रस्तुत ज्ञान ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मूल शिक्षाओं पर आधारित है। इसमें प्रयोग हुए Murli Quotes, आत्मिक चिंतन और आध्यात्मिक उदाहरण BK Dr Surender Sharma के व्यक्तिगत चिंतन और सेवा हेतु प्रयुक्त हैं।
यह वीडियो किसी परंपरागत पूजा-पद्धति या संस्थान की आलोचना हेतु नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागृति हेतु प्रस्तुत किया गया है।
हमारा उद्देश्य आत्माओं को उनके वास्तविक साध्य – परमात्मा की प्राप्ति और सतोप्रधान स्थिति की ओर प्रेरित करना है।
यह वीडियो पूर्णतः नि:स्वार्थ आध्यात्मिक सेवा के उद्देश्य से निर्मित है।

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