(01)आंखें ही बनाती हैं क्रिमिनल – पवित्रता का असली राज
प्रस्तावना
आंखें आत्मा का दर्पण हैं। इन्हीं से सुख-दुख, मोह और नफरत दोनों प्रवेश करते हैं।
शिव बाबा आज (Murli: 9 सितम्बर 2025) हमें विशेष शिक्षा देते हैं –
“इस पढ़ाई में पास होना है तो आंखें बहुत-बहुत पवित्र होनी चाहिए।”
अपने ऊपर कृपा करने का रहस्य
बाबा बार-बार कहते हैं –
“अपने ऊपर आप ही कृपा करनी है।”
कोई दूसरा यह काम नहीं कर सकता।
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पढ़ाई हमारी है।
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पुरुषार्थ हमारा है।
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सुधार भी हमें ही करना है।
उदाहरण
जैसे परीक्षा में बैठा छात्र अगर खुद मेहनत न करे तो गुरु उसकी जगह उत्तर नहीं लिख सकता।
इसी प्रकार ईश्वरीय पढ़ाई में हमें स्वयं प्रयास करना है। यही असली कृपा है।
प्रश्न
ऊंची पढ़ाई में पास होने की मुख्य शिक्षा क्या है?
उत्तर (Murli – 9 सितम्बर 2025)
“आंखें पवित्र होनी चाहिए।”
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कभी बाबा कहते – “आंखें सिविल होनी चाहिए।”
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कभी कहते – “आंखें पवित्र होनी चाहिए।”
दोनों का अर्थ एक ही है।
क्यों आंखें बनाती हैं क्रिमिनल?
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शरीर को देखने से ही कर्म इंद्रियां चंचल हो जाती हैं।
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किसी को देखते ही बॉडी की केमिस्ट्री बदल जाती है।
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बुद्धि के अंदर “फाइल” खुल जाती है और उसी अनुसार व्यवहार होता है।
उदाहरण
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यदि प्यारा व्यक्ति सामने आता है → खुशी।
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यदि दुश्मन आता है → नफरत।
दोनों ही स्थिति में आंखें हमें क्रिमिनल बना देती हैं।
प्यार (मोह) भी क्रिमिनल है।
नफरत भी क्रिमिनल है।
क्यों?
क्योंकि दोनों देह अभिमान से जुड़े हैं।
✦ सुख और दुख – दोनों क्रिमिनल
बाबा ने साफ कहा –
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“दुख देना भी क्रिमिनल है और सुख देना भी क्रिमिनल है।”
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संसार का सुख और दुख दोनों ही देह दृष्टि से जुड़े हुए हैं।
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याद रखो – आत्मा पवित्र है।
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विकार तभी शुरू होते हैं जब हम किसी को आत्मा न मानकर देह मान लेते हैं।
✦ पुरानी आदत और सुधारने का समय
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63 जन्मों से देह दृष्टि की आदत पड़ी है।
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सुधारने में समय लगता है।
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बाबा कहते हैं – “तिथि फिक्स करो।”
लेकिन मन सोचता है – इतनी पुरानी दोस्ती और आदतें कैसे छोड़ें?
यही आंतरिक संघर्ष है।
✦ पवित्रता का सच्चा रूप
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सिर्फ भाई-बहन समझना भी काफी नहीं।
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बाबा सीधे कहते हैं –
“भाई-बहन भी नहीं, आत्मा-आत्मा होकर रहो।” -
क्योंकि भाई-बहन की भावना में भी कभी-कभी देह की स्मृति आ सकती है।
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वास्तविक पवित्रता का अर्थ है – सिर्फ आत्मा को देखना, देह को भूलना।
याद की यात्रा और आत्म-सुधार
बाबा का स्पष्ट फरमान –
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याद की यात्रा पर पूरा अटेंशन दो।
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हर दिन चेक करो – “क्या मैं सुधर रहा हूं?”
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लक्ष्य: एक-एक दोष और अवगुण जीवन से निकालना।
निष्कर्ष
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आंखें ही सबसे बड़ा दरवाज़ा हैं।
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यदि दृष्टि-वृत्ति पवित्र हो गईं, तो रजिस्टर कभी खराब नहीं होगा।
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आंखें पतित हैं, दृष्टि पतित है।
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कोई हमें अच्छा नहीं बना सकता।
यही असली पास विद ऑनर बनने की चाबी है। - आंखें ही बनाती हैं क्रिमिनल, पवित्रता का असली राज, ब्रह्माकुमारी ज्ञान, शिवबाबा की शिक्षाएं, 9 सितम्बर 2025 मुरली, ब्रह्माकुमारी मुरली हिंदी, आत्मा का दर्पण, पवित्र दृष्टि, सहज राजयोग, पवित्र बनने का राज, देह अभिमान, आत्मा अभिमान, दृष्टि की शक्ति, विकारों से मुक्ति, सुख दुख का रहस्य, पुरानी आदतें कैसे छोड़ें, भाई बहन संबंध, आत्मा आत्मा का संबंध, योग की शक्ति, पास विद ऑनर, ईश्वरीय पढ़ाई, ब्रह्माकुमारी स्पीच, BK मुरली, BK शिवबाबा, BK हिंदी ज्ञान, BK राजयोग, पवित्रता का महत्व, आंखों की शक्ति, आत्म सुधार, मुरली स्पीच हिंदी,
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