सतयुग-(13)”भविष्य की आपदाएँ और हमारी अडाेल स्थिति?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

भविष्य की आपदाएँ और हमारी अडोल स्थिति
[Intro Background: धीमा, गंभीर संगीत]
(गंभीर और स्थिर स्वर में):
“बाबा कहते हैं –
प्रकृति की हलचल अब बढ़ेगी।
भविष्य में ऐसी आपदाएँ आएंगी जो आत्मा की स्थिति को हिला सकती हैं।
लेकिन अगर एक सेकंड भी हलचल में आ गए,
तो समझो – फेल हो गए!
अब समय है – अडोल बनने का।“
1. विकराल आपदाओं की भविष्यवाणी
[पृष्ठभूमि: तूफान, आग, भूकंप जैसे ध्वनि प्रभाव]
“बाबा पहले से चेतावनी दे चुके हैं –
प्रकृति के पांचों तत्व बंधन तोड़ देंगे।
– आग विकराल होगी,
– जल प्रलय लाएगा,
– वायु बवंडर में बदल जाएगी,
– पृथ्वी कंपकंपी लाएगी।
इन सबका सामना सिर्फ वही कर सकेगा –
जिसने अपनी स्थिति को अडोल बना लिया हो।“
2. मन-बुद्धि को ना डगमगाने देना
“समस्या आएगी – लेकिन मन में प्रश्न नहीं आना चाहिए।
‘ये क्या हो रहा है?’
‘ऐसा क्यों हो रहा है?’
अगर ये सवाल उठे – तो समझो, पेपर में फेल हो गए।
सफलता का मंत्र?
बस एक ही बात –
‘वाह मीठा ड्रामा!’
ना कोई डर,
ना कोई अफसोस।
ना ही कोई ‘हाय’ या ‘क्यों’ का संकल्प।”
3. एक सेकंड का पेपर – तैयार रहो!
“बाबा कहते हैं –
‘एक सेकंड का पेपर आएगा।’
और अगर उस एक सेकंड में तैयारी करने लगे,
तो रिजल्ट निकल जाएगा।
इसलिए अभी से उस एक सेकंड के लिए अभ्यास करो।
अभ्यास करो –
– मन को शांत रखने का
– परिस्थिति में स्थिर रहने का
– और आत्मा को डबल लाइट बनाने का।”
4. अभ्यास ही सुरक्षा कवच है
“प्रकृति की आपदाएँ भले बढ़ें,
लेकिन आत्मा की स्थिति हो – अचल और अडोल।
जैसे पर्वत पर कोई आँधी असर न करे,
वैसी स्थिरता चाहिए।
यही सच्चा पुरुषार्थ है।
यही अन्तिम विजय की तैयारी है।”
5. आज से ही शुरू करें तैयारी!
“इसलिए आज से ही यह संकल्प लें –
‘मैं ऐसी आत्मा हूं, जो किसी भी स्थिति में अडोल रहती है।’
– कोई संकल्प भी हलचल न लाए।
– कोई दृश्य मुझे विचलित न करे।
– कोई परिस्थिति मुझे घबराहट न दे।
यही है फाइनल स्टेज का पुरुषार्थ!“
प्रश्न 1:आने वाले समय में कैसी परिस्थितियाँ आने वाली हैं?
उत्तर:आने वाले समय में प्रकृति द्वारा अनेक भयानक और विकराल आपदाएँ आएंगी जो मन और बुद्धि को हिला सकती हैं। ये ऐसी परिस्थितियाँ होंगी जो परीक्षा की घड़ी जैसी होंगी।
प्रश्न 2:ऐसी आपदाओं के समय हमारी स्थिति कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:ऐसी परिस्थिति में हमारी स्थिति अडोल, अचल और स्थिर होनी चाहिए। कोई भी हलचल या “हाय! क्या हो गया?” जैसा संकल्प भी नहीं आना चाहिए। केवल यह भाव रहे – “वाह मीठा ड्रामा!”
प्रश्न 3:अगर आपदा के समय मन में सवाल उठे, तो क्या होगा?
उत्तर:अगर उस समय मन में सवाल आया – “ये क्यों हुआ?”, “ऐसा कैसे हुआ?” – तो समझो परीक्षा में फेल हो गए। यह दर्शाता है कि मन हलचल में आ गया और स्थिति मजबूत नहीं रही।
प्रश्न 4:इस परिस्थिति में सफल होने का मंत्र क्या है?
उत्तर:सफलता का मंत्र है – एक सेकंड में पास होना। परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, मन को एक सेकंड में स्थिर और शांत बनाकर “वाह मीठा ड्रामा!” कहना ही सफलता की निशानी है।
प्रश्न 5:“एक सेकंड में पास” होने का अभ्यास कैसे करें?
उत्तर:इसके लिए रोज़ अभ्यास करें कि कोई भी परिस्थिति आए, तो तुरंत आत्मा की स्थिति को याद दिलाएँ – “मैं शांत स्वरूप आत्मा हूँ”, “मैं अभिनेता हूँ, यह सारा खेल है।” अभ्यास से ही एक सेकंड में पास होने की कला आती है।
प्रश्न 6:प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ने का हमारे ऊपर क्या असर होना चाहिए?
उत्तर:प्राकृतिक आपदाओं का असर हमारी स्थिति पर बिल्कुल नहीं होना चाहिए। जितनी ज्यादा बाहरी हलचल बढ़े, हमारी आंतरिक स्थिति उतनी ही स्थिर और शक्तिशाली बननी चाहिए।
प्रश्न 7:हमें अब क्या करना चाहिए?
उत्तर:हमें अभी से अडोल, अचल और स्थिर रहने की प्रैक्टिस शुरू कर देनी चाहिए। एक सेकंड में स्थिति बदलने की शक्ति का अभ्यास करना चाहिए, ताकि जब पेपर आए तो तुरंत पास हो सकें।
संकल्प:
“अब मैं कोई भी परिस्थिति आने पर हिलूंगा नहीं। मेरी स्थिति इतनी अडोल होगी कि मैं हर परिस्थिति को ड्रामा का भाग समझकर पार कर लूंगा।”