Satya Yuga – (33) Gods are ever healthy and ever wealthy

सतयुग-(33) देवताएं एवरहेल्दी और एवरवेल्दी

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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  सतयुगी दुनिया की रूपरेखा

आज हम जानेंगे सतयुग की उस दिव्य दुनिया के बारे में, जहाँ आत्माएं देवता बनकर रहती हैं — Ever Healthy, Ever Wealthy, Ever Happy.


 सतयुग में देवताओं का जीवन

बाबा कहते हैं — सतयुग में देवताएं सदैव स्वस्थ (Ever Healthy) और सदैव धन-सम्पन्न (Ever Wealthy) रहते हैं।
वे चक्रवर्ती राजा-रानी होते हैं। आत्मा की पवित्रता के कारण शरीर भी पवित्र होता है, इसलिए उन्हें ‘देवता’ कहा जाता है।

पवित्रता है तो हेल्थ और वेल्थ अपने आप आती है।


 देवता कौन होते हैं?

देवता कोई कल्पना नहीं, बल्कि सतयुग और त्रेता युग की वास्तविक आत्माएं हैं।
देवता वे होते हैं — जिन्हें देखकर आत्मा कह उठे: “यह तो साक्षात दिव्य है!”

  • उनका स्वरूप दिव्य

  • उनका व्यवहार आदर्श

  • उनका जीवन संपूर्णता से भरपूर होता है


 दात्री भाव वाले देवता

देवताओं में होता है दात्री भाव — यानी केवल देने का भाव।
वे कभी कुछ मांगते नहीं, केवल देते हैं — प्रेम, शक्ति, ज्ञान, सुख।


 क्यों कहे जाते हैं — Ever Healthy, Ever Wealthy?

  • आत्मा जब सतोप्रधान होती है, तो उसका प्रभाव शरीर पर भी पड़ता है।

  • शरीर बनता है — रोगमुक्त, शक्तिशाली और सुंदर।

  • देवताओं को डॉक्टर्स या दवाओं की आवश्यकता नहीं होती।

  • वे प्राकृतिक जीवन जीते हैं, नैसर्गिक ऊर्जा से भरपूर।


 चक्रवर्ती राजा-रानी: संपूर्ण ऐश्वर्यशाली

देवता केवल साधारण व्यक्ति नहीं होते।
वे होते हैं — लक्ष्मी-नारायण, श्रीराम-सीता जैसे चक्रवर्ती सम्राट।

  • उनका राज्य सम्पूर्ण धरती पर होता है

  • राजमहल होते हैं सोने से बने, रत्नजड़ित

  • प्रकाश होता है नैसर्गिक

  • बाग-बगीचे होते हैं मन को हर लेने वाले


 आत्मिक पवित्रता: सुंदरता और शक्ति का राज

जब आत्मा श्रीमत पर पवित्र जीवन जीती है, तो बनते हैं दिव्य संस्कार।
फिर अगले जन्म में आत्मा को मिलता है दिव्य शरीर और दिव्य वातावरण।

“Deity is born pure — both in soul and body.”


 Purity = Health + Wealth

पवित्रता ही वह मूल गुण है जिससे सब कुछ प्राप्त होता है।

जहाँ पवित्रता है, वहाँ
 स्वास्थ्य भी है
 धन-संपत्ति भी है
 सुख-शांति भी है

इसलिए ब्रह्माकुमारी ज्ञान में कहा गया है —
“पवित्रता में सर्व प्राप्तियाँ समाई हुई हैं।”


 आज की कमाई — कल की देवता सिद्धि

आज हम जो ज्ञान, योग और पवित्र जीवन द्वारा अपने संस्कार बना रहे हैं —
वही हमें भविष्य में देवता जीवन देंगे।

यह जीवन है कमाई का समय।
जहाँ हम आत्मा को फिर से देवता बनाने की प्रक्रिया में लगे हुए हैं।


 निष्कर्ष: हम भी बनेंगे देवता

जो पुरुषार्थ आज कर रहे हैं —
वह हमें बनाएगा Ever Healthy, Ever Wealthy, Ever Happy.

ओम शांति – सतयुगी दुनिया की रूपरेखा

आज हम जानेंगे सतयुग की उस दिव्य दुनिया के बारे में, जहाँ आत्माएं देवता बनकर रहती हैं — Ever Healthy, Ever Wealthy, Ever Happy.

प्रश्न 1: सतयुग में रहने वाली आत्माएं कैसी होती हैं?

उत्तर:सतयुग में आत्माएं देवता बनकर रहती हैं। वे सदैव स्वस्थ (Ever Healthy), सदैव धन-सम्पन्न (Ever Wealthy) और सदैव सुखी (Ever Happy) होती हैं क्योंकि वे पूर्ण रूप से पवित्र होती हैं।

प्रश्न 2: देवताओं को ‘देवता’ क्यों कहा जाता है?

उत्तर:देवता वे होते हैं जिन्हें देखकर आत्मा कह उठे — “यह तो साक्षात दिव्य है।”
उनका स्वरूप, उनका व्यवहार और उनका जीवन संपूर्णता का आदर्श होता है। वे आत्मिक रूप से शुद्ध होते हैं, इसलिए उन्हें देवता कहा जाता है।

प्रश्न 3: क्या देवता कोई कल्पना हैं?

उत्तर:नहीं, देवता कोई कल्पना नहीं हैं। वे सतयुग और त्रेता युग में वास्तव में रहने वाली आत्माएं हैं जो पवित्रता, ऐश्वर्य और दिव्यता से युक्त होती हैं।

प्रश्न 4: देवताओं के जीवन की विशेषताएं क्या होती हैं?

उत्तर:

  • वे चक्रवर्ती सम्राट होते हैं

  • उनका शरीर रोगमुक्त और सुंदर होता है

  • वे कभी मांगते नहीं, केवल देते हैं

  • उनका राज्य सम्पूर्ण धरती पर होता है

  • वे प्राकृतिक और नैसर्गिक जीवन जीते हैं

प्रश्न 5: देवता Ever Healthy और Ever Wealthy क्यों होते हैं?

उत्तर:क्योंकि आत्मा सतोप्रधान होती है और शरीर पर उसका सीधा प्रभाव पड़ता है।
शरीर भी शक्तिशाली और रोगमुक्त होता है। देवताओं को कभी दवाइयों या डॉक्टर्स की ज़रूरत नहीं होती।

प्रश्न 6: देवताओं का जीवन किस प्रकार का होता है?

उत्तर:देवताओं का जीवन होता है राजसी, दिव्य और पूर्ण ऐश्वर्यशाली।
वे लक्ष्मी-नारायण, श्रीराम-सीता जैसे आदर्श राजा-रानी होते हैं। उनके महल सोने से बने होते हैं, प्राकृतिक प्रकाश और सुंदर बाग-बगीचों से युक्त होते हैं।

प्रश्न 7: पवित्रता का शरीर और जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर:जब आत्मा पवित्र होती है, तो उसका प्रभाव शरीर पर भी होता है।
देह भी सुंदर, स्वस्थ और शक्तिशाली बनता है।
पवित्रता = Health + Wealth + Happiness.

प्रश्न 8: “Purity = Health + Wealth” का क्या अर्थ है?

उत्तर:इसका अर्थ है कि जहाँ आत्मा में पवित्रता होती है, वहाँ अपने आप ही स्वास्थ्य, धन और सुख-शांति आती है।
ब्रह्माकुमारी ज्ञान में कहा गया है — “पवित्रता में सर्व प्राप्तियाँ समाई हुई हैं।”

प्रश्न 9: आज का जीवन क्यों ‘कमाई का समय’ कहा गया है?

उत्तर:क्योंकि अभी हम जो ज्ञान, योग और पवित्र जीवन जी रहे हैं — वही संस्कार हमें अगले जन्म में देवता बनाएंगे।
यह समय आत्मा को फिर से दिव्य बनाने की प्रक्रिया है।

प्रश्न 10: क्या हम भी देवता बन सकते हैं?

उत्तर:हाँ।जो पुरुषार्थ हम आज कर रहे हैं — वही हमें Ever Healthy, Ever Wealthy, Ever Happy देवता जीवन दिलाएगा।
बाबा का ज्ञान, योग और श्रीमत पर चलकर हम भी देवता बन सकते हैं।

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