सतयुग-(30)एक धर्मात्माओं का पवित्र राज्य
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
सतयुग धर्मात्माओं का पवित्र राज्य
सतयुग में सभी धर्मात्मायें है। धर्मात्मा उन्हें कहा जाता है जो पवित्र है। सतयुग में है श्री लक्ष्मी एवं श्री नारायण का राज्य फिर त्रेता में हैं
राम-सीता का राज्य। श्रीकृष्ण का युग कोई अलग नहीं है, वह वैकुण्ठनाथ है।
- सतयुग: पवित्रता और धर्म की भूमि
सतयुग को “धर्म की सच्ची स्थापना” का युग कहा जाता है।
वहाँ जो आत्माएँ जन्म लेती हैं, वे सभी धर्मात्मा कहलाती हैं।
धर्मात्मा कौन?
👉 वे आत्माएँ जो पवित्र, पुण्यवान, सतोप्रधान हैं।
🌸 सतयुग में कोई अधर्म नहीं, कोई पाप नहीं, कोई विकार नहीं होता।
हर आत्मा स्वरूप से शुद्ध और कर्म से श्रेष्ठ होती है।
- श्री लक्ष्मी-नारायण: धर्मराज्य के प्रथम सम्राट सतयुग के प्रारंभ में शासन करते हैं:
🌷 श्री लक्ष्मी एवं श्री नारायण —जो आदि देवी-देवता धर्म के महाराजा-महारानी हैं।
इन्हीं के राज्य में सम्पूर्ण भारत सुख, शान्ति और पवित्रता का अनुभव करता है।
इन्हें धर्मराज्य का आदि संस्थापक कहा जाता है।
🌟 इनके राज्य में कोई भी दूसरी मत, पंथ या अधर्म नहीं होता —
केवल एक ही धर्म, और वह है आदि सनातन देवी-देवता धर्म।
- धर्म और आत्मा का सच्चा स्वरूप
आज की दुनिया में धर्म का अर्थ संप्रदाय या सम्प्रदाय प्रमुख से जोड़ा जाता है,
लेकिन सतयुग में “धर्म” का अर्थ है:
“स्वधर्म में स्थित आत्मा — जो पवित्र, सच्ची और सहज शुभकर्मी है।”
इसलिए सतयुग में सभी आत्माओं को धर्मात्मा कहा जाता है।
उनके हर कर्म में सच्चाई, पवित्रता और दिव्यता होती है।
- त्रेता युग में राम-सीता का राज्य सतयुग के बाद आता है त्रेता युग —जहाँ श्री राम और श्री सीता का राज्य चलता है।
त्रेता में भी पवित्रता है, लेकिन वह रजोगुणीय अवस्था की शुरुआत है।
यद्यपि वहाँ भी धर्म है, लेकिन सतयुग जैसी सम्पूर्णता नहीं रहती।
🌿 श्री राम का राज्य भी धर्म आधारित होता है,
लेकिन वह सतयुग के पूर्ण राज्य से थोड़ा संकीर्णऔर थोड़ा कर्म आधारित हो जाता है।
- श्रीकृष्ण का युग: कोई अलग युग नहीं
अक्सर श्रीकृष्ण को अलग युग से जोड़ा जाता है, परंतु:
❗ “श्रीकृष्ण का कोई अलग युग नहीं है।”
वह स्वयं सतयुग के ही पहले राजकुमार हैं।
उन्हें वैकुण्ठनाथ कहा जाता है — क्योंकि वे सतयुग की वैकुण्ठ दुनिया के पहले वारिस हैं।
वही आत्मा बाद में सम्पूर्ण बनकर श्री नारायण बनती है।
🌟 श्रीकृष्ण = सतयुग का आदि पुरुष
🌟 श्रीकृष्ण = वैकुण्ठ के राजा का बच्चा, राजकुमार
- वैकुण्ठ का अर्थ और रहस्य वैकुण्ठ का अर्थ होता है —”वह स्थान जहाँ कोई चिंता, पीड़ा, पाप या अशुद्धता न हो।”
और यही सतयुग है जहाँ न कोई असत्य है, न हिंसा, न अशान्ति।वैकुण्ठ में:
धर्म है आदि सनातन देवी-देवता धर्म आत्मा है धर्मात्मा
राजा-रानी हैं श्री लक्ष्मी-नारायणऔर राजकुमार है → श्रीकृष्ण
🌈 अंतिम प्रेरणा: क्या हम बनेंगे धर्मात्मा?आज संगम युग पर परमात्मा हमें फिर से धर्मात्मा बनाने आये हैं।
अब निर्णय हमारा है: ❓ क्या हम इस सतयुगी वैकुण्ठ की तैयारी करेंगे?
🙏 आइए, इस जीवन में पवित्रता, सच्चाई, और श्रेष्ठ कर्म के मार्ग पर चलें,ताकि हम भी श्री लक्ष्मी-नारायण जैसे धर्मात्मा बन सकें।
“सतयुग — धर्मात्माओं का पवित्र राज्य”
❓ प्रश्न 1: सतयुग को धर्मात्माओं का युग क्यों कहा जाता है?
उत्तर:सतयुग में जन्म लेने वाली हर आत्मा धर्मात्मा होती है क्योंकि वे सतोप्रधान, पवित्र और पुण्यवान होती हैं। वहाँ कोई विकार, पाप या अधर्म नहीं होता। हर आत्मा अपने स्वधर्म में स्थित होती है — अर्थात सच्चाई और श्रेष्ठ कर्म में।
❓ प्रश्न 2: सतयुग में कौन राज्य करते हैं?
उत्तर:सतयुग की शुरुआत में श्री लक्ष्मी और श्री नारायण राज्य करते हैं। वे आदि सनातन देवी-देवता धर्म के प्रथम महाराजा-महारानी होते हैं। उनके राज्य में सम्पूर्ण भारत सुख, शांति और पवित्रता का अनुभव करता है।
❓ प्रश्न 3: धर्मात्मा किसे कहा जाता है?
उत्तर:धर्मात्मा वह आत्मा है जो अपने वास्तविक धर्म — पवित्रता, सच्चाई और शुभकर्म — में स्थित होती है। सतयुग में हर आत्मा इस स्वरूप में रहती है, इसलिए सभी धर्मात्मा कहलाते हैं।
❓ प्रश्न 4: त्रेता युग में किसका राज्य होता है और वह सतयुग से कैसे भिन्न है?
उत्तर:त्रेता युग में श्री राम और श्री सीता का राज्य होता है। वहाँ भी धर्म है, लेकिन यह रजोगुण की शुरुआत होती है, इसलिए सतयुग जैसी सम्पूर्णता नहीं रहती। त्रेता में धर्म थोड़ा कर्म आधारित और सीमित हो जाता है।
❓ प्रश्न 5: क्या श्रीकृष्ण का कोई अलग युग होता है?
उत्तर:नहीं, श्रीकृष्ण का कोई अलग युग नहीं होता। वे सतयुग के ही पहले राजकुमार होते हैं — जिन्हें वैकुण्ठनाथ कहा जाता है। वही आत्मा बाद में सम्पूर्ण बनकर श्री नारायण बनती है।
❓ प्रश्न 6: वैकुण्ठ किसे कहते हैं और वह कहाँ होता है?
उत्तर:वैकुण्ठ का अर्थ है — “वह स्थान जहाँ कोई चिंता, पीड़ा, पाप या अशुद्धता न हो।” यही सतयुग है, जहाँ सत्य, पवित्रता और शांति का अखंड राज्य होता है। वहाँ का राजा-रानी श्री लक्ष्मी-नारायण होते हैं और राजकुमार श्रीकृष्ण होते हैं।
❓ प्रश्न 7: आज के संगम युग में हमें क्या करना है?
उत्तर:आज संगम युग पर परमात्मा स्वयं आकर हमें फिर से धर्मात्मा बनाने की शिक्षा दे रहे हैं। हमें पवित्रता, सच्चाई और श्रेष्ठ कर्मों का जीवन अपनाना है, ताकि हम भी सतयुग के अधिकारी बन सकें।
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