Satyug – (22) Who is the owner of Satyug? The immortal journey from Radhe-Krishna to Laxmi-Narayan

सतयुग-(22) सतयुग के मालिक कौन? राधे-कृष्ण से लक्ष्मी-नारायण तक की अमर यात्रा

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

YouTube player

सतयुग   के   मालिक कौन?       राधे-कृष्ण से लक्ष्मी-नारायण तक की अमर यात्रा!”

वहाँ लक्ष्मी-नारायण सतयुग के मालिक महाराजा-महारानी है, वही छोटेपन में राधे-कृष्ण हैं। उन्हों की ऐसी श्रेष्ठ प्रालब्ध ज़रूर स्वर्ग के रचयिता ने बनाई होगी। स्वर्ग में है सदा सुख। झाड़ पहले छोटा होता है फिर बढ़ता है। वहाँ बहुत थोड़ी संख्या में देवी-देवताओं की राजधानी होगी। उसे कहा जाता है अमरलोक।

आज हम आपको ले चलेंगे सतयुग की शुरुआत में जहाँ राधे-कृष्ण बाल रूप में मौजूद हैं,

और वही आत्माएं आगे चलकर बनती हैं सतयुग के मालिक — लक्ष्मी और नारायण।उनकी यह यात्रा है दिव्यता से राजाई तक की।

एक ऐसी श्रेष्ठ प्रालब्ध की कहानी जिसे स्वयं स्वर्ग का रचयिता बनाता है।राधे-कृष्ण:   छोटे रूप में भविष्य के मालिक

सबसे पहले आते हैं राधे और कृष्ण,जो सतयुग की शुरुआत में छोटेपन में दिखाई देते हैं।नका रूप है मासूमियत, कोमलता, और दिव्यता का प्रतीक।

लेकिन यही राधे-कृष्ण जब युवावस्था में आते हैं,तो वे बन जाते हैं लक्ष्मी और नारायण सतयुग के महाराजा और महारानी,

स्वर्ग की राजधानी के प्रथम शासक।लक्ष्मी-नारायण: सतयुग के

प्रथम मालिक लक्ष्मी-नारायण को कहा गया है

स्वर्ग के मालिक, संपूर्ण 16 कला संपन्न, और अहिंसक धर्म के संस्थापक।

उनका राज्य है सर्वगुण-संपन्न,जहाँ एक भी दुःख की छाया नहीं।उनकी ऐसी श्रेष्ठ प्रालब्ध कोई साधारण नहीं बना सकता।

यह प्रालब्ध स्वयं स्वर्ग के रचयिता,परमात्मा शिव द्वारा बनाई जाती है जब वह इस संगम युग पर आकर ज्ञान और योग के द्वारा

आत्माओं को दिव्यता का वरदान देता है।

स्वर्ग में सदा सुख स्वर्ग का मतलब ही है सदा सुख।कोई दुःख, कोई चिंता, कोई हिंसा, कोई बीमारी नहीं।

 वहाँ की हर आत्मा रहती है संपन्नता, संतुष्टि, और सुख के दिव्य अनुभव में।हर कर्म, हर संबंध, हर संस्कार —

संपूर्ण प्रेम और आनंद से भरा होता है।झाड़

पहले छोटा होता हैबाबा कहते हैं जैसे एक वृक्ष का बीज सबसे पहले छोटा होता है,

फिर धीरे-धीरे वह वटवृक्ष बनता हैवैसे ही सतयुग की शुरुआत में देवी-देवताओं की बहुत थोड़ी संख्या होती है।

 उसी को कहा गया है “झाड़ पहले छोटा होताहै,फिर बढ़ता है।”यह बताता है कि सतयुग का आरंभ चुनी हुई आत्माओं से होता है

जो आज इस संगम युग में पुरुषार्थ कर,अपने भाग्य को दिव्यता से भरते हैं।अमरलोक: देवताओं की राजधानी

उस दिव्य युग की राजधानी का नाम है —”अमरलोक“।जहाँ कोई मृत्यु नहीं, कोई डर नहीं।केवल अमर स्थिति में रहने वाली आत्माएँ ही वहाँ वास करती हैं।

 यह कोई मिथकनहींबल्कि यह हमारी आत्मा की स्मृति में बसी सच्चाई है,जो आज परमात्मा हमें याद दिला रहे हैं।

 निष्कर्ष:हम कौन थे?हम कौन थे?वही राधे-कृष्ण,

जिन्हें स्वयं भगवान ने सतयुग के सिंहासन पर बैठाया।आज वही आत्मा भूली हुई है, लेकिन परमात्मा फिर से उस अमर स्मृति को जगा रहे हैं।

❓प्रश्न 1: सतयुग के मालिक कौन होते हैं?

✅ उत्तर:सतयुग के मालिक लक्ष्मी और नारायण होते हैं, जो सम्पूर्ण 16 कला संपन्न, सर्वगुण संपन्न, और अहिंसक धर्म के संस्थापक होते हैं। वे ही स्वर्ग की राजधानी “अमरलोक” के प्रथम महाराजा और महारानी हैं।


❓प्रश्न 2: क्या राधे और कृष्ण अलग आत्माएँ हैं?

✅ उत्तर:नहीं, राधे और कृष्ण वही आत्माएँ हैं जो आगे चलकर युवावस्था में लक्ष्मी और नारायण बनते हैं। उनका यह रूप एक दिव्य बाल अवस्था को दर्शाता है — मासूमियत, कोमलता और दिव्यता का प्रतीक।


❓प्रश्न 3: लक्ष्मी-नारायण को इतनी श्रेष्ठ प्रालब्ध किसने दी?

✅ उत्तर:लक्ष्मी-नारायण की श्रेष्ठ प्रालब्ध कोई साधारण नहीं देता। यह स्वयं परमात्मा शिव इस संगम युग में आकर ज्ञान और योग के द्वारा आत्माओं को देता है — जिससे वे फिर से सतयुगी देवता बनते हैं।


❓प्रश्न 4: सतयुग में जीवन कैसा होता है?

✅ उत्तर:सतयुग का अर्थ ही है “सदा सुख”। वहाँ न कोई बीमारी होती है, न मृत्यु का भय, न कोई हिंसा। हर आत्मा शांति, प्रेम, आनंद और संतुष्टि के दिव्य अनुभव में रहती है।


❓प्रश्न 5: झाड़ पहले छोटा होता है — इसका क्या अर्थ है?

✅ उत्तर:यह दर्शाता है कि सतयुग की शुरुआत बहुत थोड़ी आत्माओं से होती है — जैसे एक बीज से वृक्ष शुरू होता है। वही आत्माएँ आज संगम युग में पुरुषार्थ कर सतयुग की नींव रखती हैं।


❓प्रश्न 6: अमरलोक किसे कहा गया है?

✅ उत्तर:अमरलोक वह दिव्य राजधानी है जहाँ सतयुग के देवी-देवता वास करते हैं। वहाँ कोई मृत्यु नहीं होती, केवल अमर स्थिति में स्थित आत्माएँ रहती हैं।


❓प्रश्न 7: हम कौन थे?

✅ उत्तर:हम वही आत्माएँ हैं जो राधे-कृष्ण रूप में सतयुग में थीं — जिन्हें परमात्मा ने दिव्यता, वैभव और आत्म-सम्मान से भरपूर राज्य प्रदान किया था। आज वही आत्मा भूली हुई है, लेकिन परमात्मा हमें फिर से हमारी अमर स्मृति जगा रहे हैं।

सतयुग के मालिक, राधे कृष्ण से लक्ष्मी नारायण, लक्ष्मी नारायण की कहानी, सतयुग का स्वर्ण युग, अमरलोक क्या है, सतयुग में जीवन कैसा था, राधे कृष्ण का सत्य, स्वर्ग का निर्माण कैसे होता है, ब्रह्मा कुमारी ज्ञान, परमात्मा शिव की शिक्षा, स्वर्ग के रचयिता, संगम युग का रहस्य, सतयुग का आरंभ, झाड़ पहले छोटा होता है, दिव्यता से राजाई तक, 16 कला संपूर्ण आत्मा, देवी देवता धर्म, आत्मा की स्मृति, स्वर्ग का सत्य इतिहास, लक्ष्मी नारायण कैसे बनते हैं,

Master of Satyug, from Radhe Krishna to Laxmi Narayan, story of Laxmi Narayan, Golden age of Satyug, what is Amarlok, how was life in Satyug, truth of Radhe Krishna, how is heaven created, Brahma Kumari knowledge, teachings of Parmatma Shiva, creator of heaven, secret of Sangam era, beginning of Satyug, tree is small in the beginning, from divinity to kingship, soul complete with 16 celestial degrees, deity religion, memory of soul, true history of heaven, how Laxmi Narayan is created,