Subtle Ravana: How to become free from Vri, Hari, Curry?

सूक्ष्म रावण: वरी, हरी, करी से मुक्त कैसे बनें?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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विषय: सूक्ष्म रावण: वरी, हरी और करी से कैसे बनें मुक्त?
(आधार – 22 जनवरी 1982 की अव्यक्त मुरली)


 सूक्ष्म रावण का राज़

आज बापदादा ने एक अद्भुत बात बताई –
“बच्चे स्वयं को रावण से मुक्त समझते हैं, पर सूक्ष्म रावण के प्रभाव से अनभिज्ञ हैं।”

हमने तो बड़े-बड़े रावण देखे हैं –
विकारों के विकराल रूप – क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार…
पर आज बाबा सूक्ष्म रावण दिखा रहे हैं –
“वरी, हरी और करी” – विकारों के रॉयल और छुपे हुए रूप।


 रावण की सूक्ष्म औलादें – वरी, हरी और करी

बाबा ने इन्हें कहा – “सूक्ष्म रावण के तीन विशेष रूप”।
यह दिखते नहीं, पर चलते अंदर ही अंदर हैं।
इनसे छुटकारा पाना ही सच्ची पवित्रता है।

आइए, इन तीनों को एक-एक करके समझें।


 1. वरी (WORRY / BARI) – जलन, ईर्ष्या, प्रतिस्पर्धा का रॉयल रूप

भावार्थ:
जब किसी की विशेषता, पद, सेवा या बाबा से संबंध देखकर
मन में हलकी-सी जलन, तुलना, या “क्यों नहीं मुझे?” की भावना आती है –
तो वह ‘वरी’ है – सूक्ष्म जलन।

उदाहरण:

  • “उसे ही क्यों इतनी बड़ी सेवा मिली?”

  • “मेरे सुझाव को क्यों नहीं महत्व मिला?”

  • “उसे बाबा का इतना प्यार क्यों?”

मुरली में कहा:
“जलन की भी रॉयल फॉर्म होती है – जो worry कहलाती है।”

बचाव कैसे करें?

  • हर आत्मा की विशेषता बाप की देन है।

  • किसी की चमक देखकर जलो नहीं, प्रेरणा लो।

  • रीस मत करो, रेस करो।

  • तुलना नहीं, आत्म-प्रेरणा को अपनाओ।


 2. हरी (HARI) – दूसरे का हक छीनना – रॉयल चोरी

भावार्थ:
जब हम किसी और की सेवा, विचार, या सम्मान को
बिना बताए, चुपचाप हथिया लेते हैं,
तो यह “हरी” है – रॉयल चोरी।

उदाहरण:

  • किसी और ने सेवा की, पर प्रशंसा हमें मिल गई।

  • किसी के विचार को अपने शब्दों में ऐसा कह दिया
    कि लोगों को लगे – यह तो आपने ही सोचा था।

बाबा कहते हैं:
“हरी वो है जो चुपचाप दूसरे के अधिकार को हड़प ले।”

बचाव कैसे करें?

  • जो सेवा मिले, उसे बाबा की सौगात समझो।

  • जो ना मिले, उसमें भी कल्याण देखो।

  • संतुष्टि और स्वीकृति – ये दो साथी हमेशा साथ रखें।

  • किसी का सम्मान लेने से अच्छा है,
    बाबा का सम्मान लेने की पात्रता बनाओ।


 3. करी (CARRY / CURRY) – शिकायत, मन में भारीपन रखना

भावार्थ:
करी का मतलब है – मन में कुछ “carry” करते रहना
किसी की बात बुरी लगी, पर जताया नहीं, दबा लिया।
वो बात दिल में बैठ गई – मन भारी हो गया।

उदाहरण:

  • “उसने मेरी बात काट दी, अच्छा नहीं लगा।”

  • “उसने सेवा में मुझे नहीं बुलाया, खटका रह गया।”

  • “मैंने मेहनत की, पर सराहना नहीं मिली।”

बाबा कहते हैं:
“करी वह है जो बातों को मन में पालता है – और वो बढ़ती जाती है।”

बचाव कैसे करें?

  • हल्का बनो, बातों को absorb नहीं dissolve करो।

  • क्षमा, निगेटिव को ट्रांसफॉर्म करने की शक्ति अपनाओ।

  • जो भी हुआ, उसमें कल्याण और बाबा की कोई सिख खोजो।

  • मन को शिकायतों से खाली करो, वरना योग में block आ जाता है।


रावण पर असली विजय

बाबा कहते हैं –
“अब रावण के सूक्ष्म रूपों को भी पहचानो।
तभी सच्चे विजयी बन सकोगे।”

श्रीराम वही है
जो स्वयं में बसे सूक्ष्म रावण को भी खत्म कर दे।
ब्राह्मण वही है
जो तुलना, चोरी और शिकायत के अंश से भी मुक्त हो।


 अंतिम प्रेरणा

रावण बाहर नहीं, अंदर है।
और वरी, हरी, करी – ये उसकी सबसे खतरनाक औलादें हैं।

बाबा हमें देवता बनने की ट्रेनिंग दे रहे हैं –
तो इन सूक्ष्म विकारों से भी समाप्ति आवश्यक है।

चलो आज प्रतिज्ञा करें –
मैं जलन नहीं करूंगा – प्रेरणा लूंगा।
मैं चोरी नहीं करूंगा – संतुष्ट रहूंगा।
मैं शिकायत नहीं पालूंगा – हल्का और क्षमाशील बनूंगा।

सच्चे ब्राह्मण वही हैं जो सूक्ष्म रावण से भी मुक्त हैं।


ओम् शांति।स्वयं को बदलें, दुनिया बदल जाएगी।

“सूक्ष्म रावण: वरी, हरी और करी से कैसे बनें मुक्त? | 22 जनवरी 1982 की मुरली से गहन ज्ञान | BK Dr Surender Sharma – Om Shanti GY”


🔶 विषय: सूक्ष्म रावण: वरी, हरी और करी से कैसे बनें मुक्त?
(आधार – 22 जनवरी 1982 की अव्यक्त मुरली)


❓प्रश्न 1: बाबा ने सूक्ष्म रावण किसे कहा है?

उत्तर:बाबा ने 22 जनवरी 1982 की मुरली में बताया कि रावण अब विकराल नहीं, सूक्ष्म रूप में कार्य करता है।
सूक्ष्म रावण के तीन मुख्य रूप हैं – वरी, हरी और करी
ये विकारों के रॉयल, छुपे और स्वच्छ रूप हैं जो ब्राह्मण जीवन में भी प्रवेश कर सकते हैं।


❓प्रश्न 2: “वरी” का क्या अर्थ है, और यह सूक्ष्म रावण कैसे बनता है?

उत्तर:“वरी” का अर्थ है – worry या BARI (ईर्ष्या, जलन)।
जब किसी और की विशेषता, सेवा, संबंध या पद देखकर मन में तुलना, जलन या प्रतिस्पर्धा आती है,
तो यह सूक्ष्म जलन – यानी वरी कहलाती है।

उदाहरण:

  • “उसे ही सेवा क्यों मिली?”

  • “उसे बाबा से इतना प्यार क्यों?”

  • “मेरी बात क्यों नहीं सुनी गई?”

बचाव:

  • हर आत्मा की विशेषता बाबा की देन है – तुलना नहीं, प्रेरणा लो।

  • रीस नहीं, रेस करो – स्वयं को आगे बढ़ाओ।


❓प्रश्न 3: “हरी” क्या है और यह सूक्ष्म चोरी कैसे होती है?

उत्तर:“हरी” का अर्थ है – दूसरे का हक चुपचाप लेना
जब कोई सेवा, सम्मान या विचार किसी और का हो और हम उसे बिना बताए अपना बना लें,
तो वह रॉयल चोरी कहलाती है – यानी हरी।

उदाहरण:

  • किसी और ने सेवा की, पर नाम हमारा हो गया।

  • किसी के विचार को अपने शब्दों में कहकर प्रशंसा ले ली।

बचाव:

  • जो सेवा मिले, उसमें संतुष्टि रखो।

  • बाबा की सौगात समझकर सेवा लो – दूसरों का नहीं हथियाओ।


❓प्रश्न 4: “करी” किसे कहते हैं और यह मन में कैसे चलता है?

उत्तर:“करी” का मतलब है – carry करना यानी मन में बातों को पालते रहना
किसी की कोई बात चुभी, पर हमने प्रतिक्रिया नहीं दी – वो बात मन में बैठ गई।
यही मन का भारीपन – करी कहलाता है।

उदाहरण:

  • “उसने मेरी बात काट दी – अच्छा नहीं लगा।”

  • “सेवा में बुलाया नहीं – खटका रह गया।”

  • “मैंने मेहनत की, पर सराहना नहीं मिली।”

बचाव:

  • बातों को dissolve करो, absorb नहीं।

  • क्षमा और हल्कापन अपनाओ।

  • जो हुआ उसमें बाबा की सिख देखो।


❓प्रश्न 5: इन तीनों – वरी, हरी, करी से मुक्त होने के लिए मुख्य उपाय क्या है?

उत्तर:

  • बोध – पहले यह जानें कि ये सूक्ष्म रावण हैं।

  • स्वमान – “मैं बाबा का विशेष रत्न हूँ, मुझे किसी से तुलना नहीं करनी।”

  • पवित्रता – सूक्ष्म विकारों से मुक्त रहना ही सच्ची पवित्रता है।

  • स्वीकार्यता – जो भी सेवा, सम्मान या स्थिति मिले – उसे सहजता से लो।

  • योग – इन सूक्ष्म रूपों से मुक्त होने के लिए गहराई से योग चाहिए।


❓प्रश्न 6: सूक्ष्म रावण पर जीत पाने वाला ब्राह्मण कौन है?

उत्तर:वही सच्चा ब्राह्मण जो –

  • वरी से मुक्त होकर प्रेरणा लेने वाला बने।

  • हरी से मुक्त होकर संतुष्ट और सच्चा बने।

  • करी से मुक्त होकर हल्का और क्षमाशील बने।
    ऐसे ब्राह्मण श्रीराम समान विजयी कहलाते हैं।


अंतिम संकल्प – सूक्ष्म रावण से मुक्त बनने का प्रतिज्ञा मंत्र

“मैं जलन नहीं करूंगा – प्रेरणा लूंगा।
मैं चोरी नहीं करूंगा – संतुष्ट रहूंगा।
मैं शिकायत नहीं पालूंगा – हल्का और क्षमाशील बनूंगा।”

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