T.L.P (88) Why is this universe compared to a tree? Why is the Supreme Being called the Lord of the Trees?

T.L.P 88 “इस सृष्टि की तुलना वृक्ष से क्यों की गई परमात्मा को वृक्षपति क्यों कहा गया

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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🌳 भूमिका: क्यों बताया परमात्मा ने एक कल्प का ज्ञान?

परमात्मा ने हमें केवल कहानी या इतिहास नहीं बताया, बल्कि एक पूरा कल्प बताया है…
जिसमें आरंभ से लेकर आज तक का पूरा “पद्मों का हिसाब” समाया हुआ है।
उन्होंने यह ज्ञान इसलिए दिया ताकि हम अपने आप को, सृष्टि को और परमात्मा को पहचान सकें।


🌿 1. सृष्टि की तुलना वृक्ष से क्यों की गई?

📌 पहला कारण: सृष्टि वृक्ष की तरह विकसित होती है

जैसे वृक्ष दो पत्तों से शुरू होता है और धीरे-धीरे उसकी शाखाएं, टहनियां बढ़ती जाती हैं —
वैसे ही सृष्टि की शुरुआत भी दो पत्तों से होती है:
श्री कृष्ण और राधे, या कहें ब्रह्मा और सरस्वती।

इसके बाद आत्माएं धीरे-धीरे आकर जुड़ती जाती हैं, और यह कल्पवृक्ष फैलता है।


🌳 2. कल्पवृक्ष और आत्माओं की उतरती हुई यात्रा

🌍 आत्माओं की परमधाम से धरती तक की यात्रा

जैसे-जैसे अलग-अलग धर्म पिता आते हैं —
इब्राहिम, बुद्ध, क्राइस्ट, मोहम्मद, शंकराचार्य आदि
उनके साथ-साथ उनके अनुयायी आत्माएं भी उतरती जाती हैं।

🌿 वृक्ष के रूप में सृष्टि का चित्रण

इसलिए इस संपूर्ण सृष्टि चक्र को “कल्पवृक्ष” के रूप में समझाया गया है।
क्योंकि यह समय के साथ फैलता है और धार्मिक शाखाएं उसमें जुड़ती जाती हैं।


🕉️ 3. परमात्मा को वृक्षपति क्यों कहा गया?

🪔 परमात्मा = अविनाशी बीज

बीज में संपूर्ण वृक्ष का ज्ञान समाया होता है।
इसी प्रकार परमात्मा शिव बाबा को कहा गया है “वृक्षपति”, क्योंकि—

  • वे सृष्टि रूपी वृक्ष के बीजस्वरूप हैं

  • वे इस सृष्टि चक्र के आदि, मध्य और अंत के ज्ञाता हैं

  • वे ही बीजस्वरूप ज्ञान से हमें संपूर्ण झाड़ का बोध कराते हैं


📖 4. गीता में क्यों कहा गया उल्टा वृक्ष?

🔭 आध्यात्मिक दृष्टिकोण से उल्टा वृक्ष

गीता में कहा गया है:
“यह अश्वत्थ वृक्ष (पीपल वृक्ष) है, जिसका मूल ऊपर है और शाखाएं नीचे।”

  • मूल (बीज) = परमात्मा, जो परमधाम में स्थित है

  • शाखाएं = आत्माएं, जो धरती पर समय अनुसार आती जाती हैं

यह एक उल्टा वृक्ष है, क्योंकि इसकी जड़ ऊपर है और विस्तार नीचे


🔥 5. कल्प के अंत में परमात्मा का आगमन

🧘 संगम युग = कल्प का अंतिम चरण

परमात्मा हर कल्प के अंतिम 100 वर्षों में ही आते हैं।
वे आते हैं:

  • ब्रह्मा के तन में प्रवेश करके

  • हमें राजयोग सिखाने

  • और सत्य युग की स्थापना करने

बाबा कहते हैं — “मैं कल्पवृक्ष के पुराने तने पर नई टहनी लगाता हूं।”


🪷 6. कल्पवृक्ष के नीचे तपस्या और आत्मा की उड़ान

बाबा ने मुरली में कहा है —
“तुम अभी कल्पवृक्ष के नीचे बैठे हो और राजयोग सीख रहे हो।”
यह तपस्या आत्मा को—

  • अपने वास्तविक दिव्य स्वरूप का बोध कराती है

  • और भविष्य के राजा-रानी पद के योग्य बनाती है


🎭 7. सृष्टि, आत्मा और ड्रामा का शाश्वत संबंध

यह संपूर्ण सृष्टि एक शाश्वत, अनादि ड्रामा है —
जिसमें हर आत्मा का एक निश्चित पार्ट है।

जैसे वृक्ष का हर पत्ता समय पर हिलता है,
वैसे ही यह नाटक भी समयानुसार चलता है।


🔗 8. निष्कर्ष: परमात्मा और कल्पवृक्ष का दिव्य रहस्य

  • यह सृष्टि एक कल्पवृक्ष है

  • परमात्मा इसके वृक्षपति और बीजस्वरूप हैं

  • आत्माएं इसकी शाखाएं और पत्ते हैं

  • संगम युग = जब परमात्मा आकर इस वृक्ष का नवीनीकरण करते हैं

  • और हमें ज्ञान का अमृत देकर पुनः सत्ययुग की स्थापना करते हैं

“बताने के लिए उन्होंने एक कल्प बताया है” – सृष्टि और कल्पवृक्ष का रहस्य

❓ प्रश्न 1: इस सृष्टि की तुलना वृक्ष से क्यों की गई है?

उत्तर:इस सृष्टि की तुलना वृक्ष से इसलिए की गई है क्योंकि जैसे एक वृक्ष बीज से आरंभ होकर शाखा-प्रशाखाओं में बढ़ता है, वैसे ही सृष्टि की शुरुआत दो आत्माओं (राधा-कृष्ण या ब्रह्मा-सरस्वती) से होती है और फिर धीरे-धीरे अन्य आत्माएं जुड़ती जाती हैं। जैसे वृक्ष की शाखाएं समय के अनुसार फैलती हैं, वैसे ही विभिन्न धर्म और पंथ उत्पन्न होते हैं।

❓ प्रश्न 2: परमात्मा को ‘वृक्षपति’ क्यों कहा गया है?

उत्तर:परमात्मा शिव को ‘वृक्षपति’ कहा जाता है क्योंकि वह इस सृष्टि रूपी कल्पवृक्ष के बीजस्वरूप हैं। उनके अंदर संपूर्ण वृक्ष यानी पूरी सृष्टि का आदि, मध्य और अंत का ज्ञान समाया हुआ है। वे ही इस वृक्ष का जन्मदाता और आधार हैं।

❓ प्रश्न 3: गीता में इसे ‘उल्टा वृक्ष’ क्यों कहा गया है?

उत्तर:गीता में इसे उल्टा वृक्ष कहा गया है क्योंकि इसका बीज (परमात्मा) ऊपर परमधाम में स्थित है और इसकी शाखाएं नीचे पृथ्वी पर फैली हुई हैं। यह प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है कि आत्माएं ऊपर परमधाम से नीचे आती हैं और धरती पर विभिन्न धर्मों में प्रवेश करती हैं।

❓ प्रश्न 4: कल्पवृक्ष के चित्र में कौन-कौन से तत्व दिखाए गए हैं?

उत्तर:कल्पवृक्ष के चित्र में ऊपर परमधाम, परमात्मा शिव, ब्रह्मा बाबा, और प्रमुख धर्मों के संस्थापक आत्माओं को दिखाया गया है। शाखाओं में राधा-कृष्ण, ब्रह्मा-सरस्वती, फिर अन्य धर्म संस्थापक जैसे इब्राहीम, बुद्ध, क्राइस्ट, मोहम्मद आदि की आत्माएं और उनकी अनुयायी आत्माएं दिखाई गई हैं। जड़ में सबसे पुरानी आधार आत्माएं हैं।

❓ प्रश्न 5: परमात्मा केवल 100 वर्ष के लिए ही क्यों आते हैं?

उत्तर:परमात्मा केवल संगम युग में आते हैं जो कि लगभग 100 वर्षों की अवधि होती है। इस दौरान वे ब्रह्मा के तन में प्रवेश करके आत्माओं को ज्ञान देकर पावन बनाते हैं और सतयुग की स्थापना करते हैं।

❓ प्रश्न 6: ‘कलम लगाना’ का क्या अर्थ है?

उत्तर:‘कलम लगाना’ का अर्थ है – परमात्मा पुराने वृक्ष पर नए युग की शुरुआत करते हैं। वे उन्हीं आत्माओं को चुनते हैं जो पहले सत्ययुग में थे और उन्हें फिर से पावन बनाकर सत्ययुग की स्थापना करते हैं।

❓ प्रश्न 7: कल्पवृक्ष के नीचे तपस्या करने का क्या महत्व है?

उत्तर:बाबा कहते हैं कि तुम कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या कर रहे हो। इसका अर्थ है कि ब्रह्माकुमार-कुमारियां अभी उस स्थिति में हैं जहाँ उन्हें सृष्टि चक्र का सच्चा ज्ञान मिल रहा है, जिससे वे राजयोग सीखकर भविष्य के राजा-रानी बनते हैं।

❓ प्रश्न 8: इस वृक्ष में मूल धर्म कौन सा है?

उत्तर:मूल धर्म आदि सनातन देवी-देवता धर्म है, जो इस वृक्ष की जड़ के समान है। यह धर्म सत्ययुग में होता है और सबसे पवित्र, सुखद और दिव्य माना जाता है।

❓ प्रश्न 9: परमात्मा को ‘बीज’ क्यों कहा गया?

उत्तर:जैसे बीज में पूरे वृक्ष की संभावना और योजना होती है, वैसे ही परमात्मा में इस संपूर्ण सृष्टि का ज्ञान होता है। वे ही इस विश्व नाटक के आदि और अंत के जानकार हैं।

❓ प्रश्न 10: आत्मा, परमात्मा और प्रकृति का क्या संबंध है?

उत्तर:आत्मा, परमात्मा और प्रकृति का अनादि और अविनाशी संबंध है। आत्माएं परमधाम से आती हैं, प्रकृति के माध्यम से शरीर धारण करती हैं और कर्म करके अपने-अपने पार्ट निभाती हैं। परमात्मा केवल एक बार संगम युग में आकर इस नाटक का रहस्य बताते हैं।

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