When and how will the flame of destruction occur (01)- Deep connection of Brahma’s soul with time

विनाश ज्वाला कब और कैसे होगी (01)- समय के साथ ब्रह्मा की आत्मा का गहरा कनेक्शन

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

YouTube player

01 समय के साथ ब्रह्मा की आत्मा का गहरा कनेक्शन

 (परमात्मा के तीन कर्तव्य: नई सृष्टि की स्थापना, पुरानी सृष्टि का महाविनाश और नई दुनिया की पालना)

महाविनाश कल्याणकारी परिवर्तन

🔹 विनाश का अर्थ केवल समाप्ति नहीं, बल्कि कल्याणकारी परिवर्तन है।

🔹 तमोगुण का विनाश और सतोगुण की स्थापनायही संगमयुग की विशेषता है।

🔹 ज्ञान-सूर्य परमात्मा जब प्रकाश फैलाते हैं, तो अंधकारस्वाभाविक रूप से मिट जाता है।

🌞 इसलिए यह विनाश, नई सृष्टि का द्वार खोलने वाला है।

ब्रह्मा की आत्मा और समय का सम्बन्ध

🔆 ब्रह्मा का जन्म और संगमयुग का आरम्भएक दिव्य योजना के दो पहलू हैं।

🔆 अगर ब्रह्मा का पार्ट नहीं होता, तो संगमयुग का आरम्भ भी नहीं होता।

🔆 ब्रह्मा की साकार यात्रा का समाप्त होना, संगमयुग की समाप्ति का संकेत देता है।

जिस प्रकार ब्रह्मा का समय से गहरा कनेक्शन है, वैसे ही उनके फॉलोअर्स का भी समय के साथ विशेष सम्बन्ध है।

जिन्होंने ब्रह्मा बाबा को साक्षात देखा, वे उनकी स्थिति देखकर समय की समीपता को अनुभव कर सकते थे।

आप भी बनो “समय की घड़ी”

🕰 संगमयुग के विश्व परिवर्तन की घड़ी में आप भी समय का मापक बनो।

आपकी सम्पन्नता और स्थिति ही इस सृष्टि की परिवर्तन प्रक्रिया को गति देगी।

आपकेअचल, अविचल, सम्पूर्ण स्वरूप से ही पुरानी सृष्टि के विनाश की तिथि स्पष्ट होगी।

तो अब संकल्प करो कि हर कार्य को दिव्यता, श्रेष्ठता और समय की सटीकता के साथ पूर्ण करें।     

🌏 निमित्त बनो, समय की घड़ी बनो, और विश्व परिवर्तन की प्रक्रिया में अपनी भूमिका निभाओ!

⏳ समय के साथ ब्रह्मा की आत्मा का गहरा कनेक्शन ⏳

❓ प्रश्न: विनाश का सही अर्थ क्या है?
✅ उत्तर: विनाश केवल समाप्ति नहीं, बल्कि एक कल्याणकारी परिवर्तन है, जिसमें तमोगुण का अंत होता है और सतोगुण की स्थापना होती है।

❓ प्रश्न: परमात्मा के तीन मुख्य कर्तव्य कौन-कौन से हैं?
✅ उत्तर: परमात्मा के तीन मुख्य कर्तव्य हैं – नई सृष्टि की स्थापना, पुरानी सृष्टि का महाविनाश और नई दुनिया की पालना।

❓ प्रश्न: संगमयुग में विनाश का क्या महत्व है?
✅ उत्तर: संगमयुग में विनाश का महत्व यह है कि यह नई सृष्टि के द्वार खोलने वाला एक आवश्यक परिवर्तन है, जिसमें अज्ञान का अंधकार मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाया जाता है।

❓ प्रश्न: ब्रह्मा की आत्मा और संगमयुग का क्या सम्बन्ध है?
✅ उत्तर: ब्रह्मा का जन्म और संगमयुग का आरंभ एक दिव्य योजना के दो पहलू हैं। ब्रह्मा बाबा के बिना संगमयुग की शुरुआत संभव नहीं होती।

❓ प्रश्न: ब्रह्मा बाबा की साकार यात्रा का अंत किस बात का संकेत देता है?
✅ उत्तर: ब्रह्मा बाबा की साकार यात्रा का समाप्त होना संगमयुग की समाप्ति का संकेत देता है, क्योंकि उनका समय से गहरा संबंध है।

❓ प्रश्न: ब्रह्मा बाबा के अनुयायियों का समय से क्या संबंध है?
✅ उत्तर: ब्रह्मा बाबा के अनुयायियों का समय से विशेष संबंध है, क्योंकि उन्होंने बाबा की स्थिति को देखकर समय की समीपता को अनुभव किया और वे भी संगमयुग के परिवर्तन में योगदान दे रहे हैं।

❓ प्रश्न: “समय की घड़ी” बनने का क्या अर्थ है?
✅ उत्तर: “समय की घड़ी” बनने का अर्थ है – अपने संकल्प, स्थिति और सम्पन्नता द्वारा इस सृष्टि की परिवर्तन प्रक्रिया को गति देना और हर कार्य को दिव्यता और सटीकता से पूर्ण करना।

🔔 अब संकल्प करें – निमित्त बनें, समय की घड़ी बनें, और विश्व परिवर्तन की प्रक्रिया में अपनी भूमिका निभाएँ! 🔔

समय और ब्रह्मा, ब्रह्मा की आत्मा, संगमयुग, परमात्म कर्तव्य, नई सृष्टि की स्थापना, महाविनाश, कल्याणकारी परिवर्तन, सतोगुण की स्थापना, तमोगुण का विनाश, ज्ञान-सूर्य, परमात्म प्रकाश, ब्रह्मा बाबा, ब्रह्मा का पार्ट, संगमयुग का आरम्भ, संगमयुग की समाप्ति, ब्रह्मा बाबा का साकार जीवन, समय की समीपता, ब्रह्मा के फॉलोअर्स, विश्व परिवर्तन, समय की घड़ी, सृष्टि परिवर्तन, दिव्यता और श्रेष्ठता, आत्मा की सम्पन्नता, अचल और अविचल स्थिति, आत्मिक जागृति, योगबल, तपस्वी जीवन, आत्म साक्षात्कार, राजयोग, ब्रह्मा कुमारिज़ ज्ञान, सत्य की स्थापना, सत्य युग की शुरुआत, स्वर्णिम युग की तैयारी, पुरानी सृष्टि का अंत, नई दुनिया की पालना, आत्मा का उत्थान, परमात्म मार्ग, परमात्म अनुभूति, शुभ संकल्प, श्रेष्ठ कर्म, अंतिम तैयारी, स्वर्ग की स्थापना, आत्मिक समर्पण, दिव्य संसार, विश्व सेवा, ब्रह्मा बाबा का समय से संबंध, परमात्म ज्ञान, सत्य सनातन धर्म, आत्म उन्नति, योग द्वारा परिवर्तन, शक्ति जागरण, आत्मिक शक्ति, दिव्य परिवर्तन, परमात्म सन्देश, जागृति का संदेश, स्वर्णिम भविष्य, संकल्प शक्ति, विश्व कल्याण

Time and Brahma, Brahma’s soul, Confluence Age, God’s duty, establishment of new world, great destruction, benevolent transformation, establishment of Satva Guna, destruction of Tamo Guna, Sun of knowledge, God’s light, Brahma Baba, Brahma’s part, beginning of Confluence Age, end of Confluence Age, Brahma Baba’s physical life, closeness of time, followers of Brahma, world transformation, clock of time, world transformation, divinity and superiority, soul’s prosperity, unshakeable and immovable stage, spiritual awakening, power of yoga, ascetic life, self-realization, Rajyoga, Brahma Kumaris knowledge, establishment of truth, beginning of Satya Yuga, preparation for the golden age, end of the old world, nurturing of the new world, soul’s upliftment, God’s path, God’s experience, good thoughts, noble deeds, final preparation, establishment of heaven, spiritual surrender, divine world, world service, Brahma Baba’s relation with time, God’s knowledge, true Sanatan Dharma, self-progress, transformation through yoga, awakening of power, spiritual power, divine transformation, Divine message, message of awakening, golden future, determination power, world welfare