(57)गीता में किसके महावाक्य है?
गीता में किसके महावाक्य हैं? | गीता का भगवान कौन? | श्रीकृष्ण या शिव? |
शीर्षकों सहित
भूमिका: विषय की प्रस्तावना
गीता का भगवान कौन है?
आज हम गीता के सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न पर चर्चा करेंगे —
गीता में किसके महावाक्य हैं?
क्या गीता के वक्ता श्रीकृष्ण हैं, या कोई और?
गीता की महानता का रहस्य
“भगवत गीता” —
इसका अर्थ है भगवान की वाणी या भगवान का गीत।
लेकिन कौन है वह भगवान जिसने यह वाणी दी?
भगवान कौन है?
जब तक हम गीता के वास्तविक वक्ता को नहीं पहचानते,
गीता की महिमा अधूरी रह जाती है।
श्रीकृष्ण सतयुग के पहले राजकुमार हैं —
वे कैसे ‘ज्ञान का सागर’ बन सकते हैं?
तर्क:
जैसे “राष्ट्रपिता के विचार” को अगर किसी और के नाम से छापा जाए,
तो उसकी सच्चाई बदल जाएगी —
उसी प्रकार, गीता की असली पहचान भी बिगड़ सकती है।
गीता में भगवान का परिचय
श्लोक:
“यो माम अजं जानाति लोकमहेश्वरम्”
— गीता अध्याय 10
जो मुझे अजन्मा, अनादि और लोकों का ईश्वर मानते हैं,
वो पापों से मुक्त हो जाते हैं।
इसका अर्थ:
भगवान कोई भी जन्म लेने वाला देहधारी नहीं हो सकता।
ब्रह्माकुमारी ज्ञान: शिव ही गीता के वक्ता
ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय ज्ञान कहता है —
गीता के भगवान हैं: परमपिता परमात्मा शिव।
-
वे निराकार हैं
-
वे ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर ज्ञान देते हैं
-
यही है “चैतन्य गीता”
श्रीकृष्ण क्यों नहीं?
-
वे देवकी के गर्भ से जन्मे
-
उन्होंने पालना ली
-
वे स्वयं गुरु के पास पढ़ने गए
तो वे कैसे ज्ञान का सागर हो सकते हैं?
गीता का भगवान: “मैं शिव हूँ”
परमात्मा स्वयं कहते हैं:
“ज्ञान मेरा है, वाणी ब्रह्मा की है।”
जैसे कोई वकील बोलता है लेकिन निर्णय कोर्ट का होता है —
वैसे ही शिव ज्ञान देते हैं, ब्रह्मा माध्यम बनते हैं।
गीता का उद्देश्य: योगयुक्त बनना
“मन मना भव” — अपने मन को मुझ (परमात्मा) में लगाओ।
श्रीकृष्ण देहधारी हैं —
उनमें मन लगाना भक्ति है, योग नहीं।
मुरली वाणी: शिवबाबा स्वयं कहते हैं
मुरली 6 जनवरी 1991
“मैं साकार तन में आकर बच्चों को साक्षात बना रहा हूँ।
मुझको याद करने से ही कल्याण होगा।”
गीता के असली महावाक्य
आज मुरली ही है — वर्तमान समय की चैतन्य गीता।
30 सितम्बर 1991
“जो ज्ञान कल्प पहले दिया था, वही अब फिर से दे रहा हूँ।”
निष्कर्ष
-
श्रीकृष्ण पूज्य आत्मा हैं, गीता वक्ता नहीं।
-
गीता भगवान हैं — परमपिता शिव।
-
वे ब्रह्मा के तन से मुरली के रूप में चैतन्य गीता सुना रहे हैं।
25 नवम्बर 1993
“जो ज्ञान श्रीकृष्ण से जोड़ दिया,
अब वही ज्ञान मैं स्वयं सुना रहा हूँ।”
अंतिम संदेश
अब समय है —
-
सच्चे गीता भगवान को पहचानने का
-
सच्चे महावाक्यों को धारण करने का
-
विकारों से मुक्त बनने का
-
जीवनमुक्ति का अनुभव करने का
“गीता में किसके महावाक्य हैं? | श्रीकृष्ण या शिव? |
गीता के भगवान का रहस्य | स्पीच संरचना अनुसार
प्रश्न 1: गीता में किसके महावाक्य हैं?
उत्तर:गीता में स्वयं परमात्मा शिव के महावाक्य हैं।
वे ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर चैतन्य गीता सुनाते हैं, जिसे आज ब्रह्माकुमारी मुरली के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 2: गीता का भगवान कौन है?
उत्तर:गीता का भगवान कोई देहधारी नहीं, बल्कि अजन्मा, अनादि, निराकार शिव है।
गीता अध्याय 10 में कहा गया है:
“यो माम अजं जानाति लोकमहेश्वरम्” — जो मुझे अजन्मा और लोकों का महेश्वर जानते हैं, वे मुक्त हो जाते हैं।
प्रश्न 3: अगर श्रीकृष्ण गीता के वक्ता नहीं हैं, तो फिर वे कौन हैं?
उत्तर:श्रीकृष्ण सतयुग के पहले राजकुमार हैं। वे देवकी के गर्भ से जन्म लेते हैं, पढ़ते हैं, खेलते हैं — इसलिए वे परमात्मा नहीं हो सकते। वे पूज्य आत्मा हैं, पूज्यनीय हैं — लेकिन गीता वक्ता नहीं।
प्रश्न 4: ब्रह्माकुमारी ज्ञान के अनुसार गीता का असली वक्ता कौन है?
उत्तर:ब्रह्माकुमारी ज्ञान के अनुसार, परमपिता परमात्मा शिव ही गीता के वास्तविक वक्ता हैं।
वे साकार ब्रह्मा तन में प्रवेश कर यह चैतन्य ज्ञान सुनाते हैं, जो मुरली के रूप में प्रतिदिन मधुबन से निकलता है।
प्रश्न 5: क्या श्रीकृष्ण के जीवन से यह सिद्ध होता है कि वे गीता के वक्ता नहीं हो सकते?
उत्तर:हां। श्रीकृष्ण:
-
देवकी से जन्म लेते हैं
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यशोदा से पालना लेते हैं
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संदीपनि मुनि से ज्ञान प्राप्त करते हैं
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और स्वयं बाल्यावस्था में होते हैं
ऐसे में वे “ज्ञान का सागर” नहीं हो सकते।
प्रश्न 6: “मैं” कौन है — जब गीता में लिखा है “मन मना भव”?
उत्तर:“मैं” से तात्पर्य परमात्मा शिव से है, न कि श्रीकृष्ण से।
क्योंकि श्रीकृष्ण देहधारी हैं और उनमें मन लगाने से योग नहीं, भक्ति होती है।
परमात्मा स्वयं कहते हैं:
“अपने मन को मुझ निराकार शिव में लगाओ।”
प्रश्न 7: मुरली में क्या प्रमाण है कि शिवबाबा गीता सुना रहे हैं?
उत्तर:मुरली 6 जनवरी 1991:
“मैं साकार तन में आकर बच्चों को साक्षात बना रहा हूँ। मुझको याद करने से कल्याण होगा।”
30 सितम्बर 1991:
“जो ज्ञान कल्प पहले सुनाया था, वही अब फिर से सुना रहा हूँ।”
25 नवम्बर 1993:
“जो ज्ञान श्रीकृष्ण से जोड़ दिया गया, अब वही ज्ञान मैं स्वयं सुना रहा हूँ।”
प्रश्न 8: चैतन्य गीता क्या है?
उत्तर:आज जो मधुबन से प्रतिदिन मुरली रूप में परमात्मा का ज्ञान निकलता है, वही है चैतन्य गीता।
यह कोई पुस्तकीय ज्ञान नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष आत्माओं को जीवन परिवर्तन करने वाला सजीव ज्ञान है।
प्रश्न 9: गीता का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:गीता का मूल उद्देश्य है — योगयुक्त बनना।
“मन मना भव” — अपने मन को परमात्मा में लगाकर विकारों से मुक्त बन जाना।
यह कोई कथा नहीं, बल्कि जीवन मुक्ति का मार्ग है।
प्रश्न 10: अब हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:अब समय है:
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सच्चे गीता भगवान शिव को पहचानने का
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सच्चे महावाक्य — मुरली — को धारण करने का
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परमात्मा से योग लगा कर आत्मा को शक्तिशाली बनाने का
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और विकारों से मुक्त होकर जीवनमुक्ति का अनुभव करने का।
Disclaimer (डिस्क्लेमर):
यह वीडियो ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है। इसमें प्रस्तुत विचार और विवेचन पूर्णतः शांति, आत्म-जागृति और ज्ञानवर्धन हेतु हैं। यह किसी धर्म, व्यक्ति या ग्रंथ के विरोध में नहीं है, अपितु सही पहचान और आत्म-अनुभूति हेतु आध्यात्मिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। कृपया खुले मन से सुनें और चिंतन करें।
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