हर सेकण्ड की एक्ट नई क्यों लगती है?
“हर सेकण्ड की एक्ट क्यों नई लगती है? | ज्ञान कभी पुराना क्यों नहीं होता? |
प्रस्तावना:
आपने कई बार सुना होगा कि यह विराट ड्रामा सेकण्ड-सेकण्ड रिपीट होता है, फिर भी हर पल नया क्यों लगता है?
क्या यह कोई माया है, या फिर इसमें परमात्मा का कोई विशेष रहस्य छुपा है?
आज की मुरली (Avyakt Vani – 29 जुलाई 2025) में बापदादा ने कहा:
“हर सेकण्ड की एक्ट अलग होती है। करके कल्प पहले वाली घड़ी रिपीट होती है, लेकिन अनुभव में एकदम नई लगती है।”
आइए, इस गूढ़ ज्ञान को सरलता से समझते हैं।
1. ड्रामा की प्रत्येक सेकण्ड ‘नई’ है – क्यों?
बाबा ने इस संसार को एक विराट फिल्म कहा है।
इस फिल्म की विशेषता क्या है?
हर सेकण्ड में चल रही एक्ट अलग है, भले ही वह कल्प पहले की रिपीट हो।
उदाहरण:
आप प्रतिदिन मुरली सुनते हैं, सेवा करते हैं, राजयोग में बैठते हैं।
लेकिन हर दिन की भावना, स्थिति, संकल्प और अनुभव अलग होता है।
यही ड्रामा की नवीनता है – जो आत्मा को हर क्षण ताजगी का अनुभव कराती है।
2. कल्प पहले की रिपीट एक्ट भी ‘नई’ क्यों लगती है?
बापदादा कहते हैं –
“जिस समय प्रैक्टिकल लाइफ में चलते हो, उस समय एक्ट एकदम नई महसूस होती है।”
यह ब्रह्मज्ञान का चमत्कार है – जहाँ पुरानी एक्ट भी नई बन जाती है।
उदाहरण:
जैसे कोई सुंदर चित्र बार-बार देखने पर भी हर बार उसमें नई गहराई दिखाई देती है।
उसी प्रकार ड्रामा की रिपीट एक्ट भी हर बार नया भाव, नई सच्चाई, नई शक्ति लेकर आती है।
3. ‘अब मैं ज्ञान जान गया हूँ’ — यह सोच क्यों आत्मा को रोक देती है?
बाबा बहुत स्पष्ट शब्दों में कहते हैं:
“ऐसे कोई कह नहीं सकता कि मैंने तो पूरा ज्ञान पा लिया, अब मैं जाती हूँ। जब तक विनाश नहीं हो, तब तक सारा ज्ञान नया है।”
यह सोच आत्मा को रुका हुआ यात्री बना देती है।
उदाहरण:
जैसे कोई डॉक्टर रोज़ वही दवा देता है,
पर हर रोगी के लक्षण अलग होते हैं —
उसी प्रकार ज्ञान तो स्थायी है,
पर हर आत्मा की अवस्था, परिस्थिति और उपयोगिता अलग होती है।
4. ज्ञान की नवीनता ही है आत्मा के उड़ने की प्रेरणा
जो आत्मा समझती है – “अब मुझे सब समझ आ गया”, वह थम जाती है।
लेकिन जो हर दिन के ज्ञान को नए दृष्टिकोण से सुनती है,
वह हर दिन उड़ती रहती है।
उदाहरण:
एक ही वृक्ष के पत्ते रोज़ हिलते हैं,
लेकिन उनकी चमक, दिशा और ध्वनि रोज़ अलग होती है।
ज्ञान भी वैसा ही है – स्थिर होते हुए भी प्रत्यक्ष में चलता हुआ।
5. नवीनता की यह समझ ही आत्मा की ऊर्जा है
जब आत्मा को यह “नईपन का दर्शन” होता है, तब वह न कभी ऊबती है, न थकती है।
बाबा कहते हैं –
“यह समझ बना लो कि हर सेकण्ड, हर घड़ी, हर क्लास तुम्हारे लिए खास है।”
सेवा में ताजगी
तपस्या में आत्मिक रिचार्जिंग
सुनने में रुचि और शक्ति
यही है संगमयुग का विशेष वरदान – हर दिन, हर बात, हर अनुभूति नई।
निष्कर्ष:
-
ज्ञान एक महासागर है – तल नहीं है, किनारा नहीं है।
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यह कभी भी “पुराना” नहीं हो सकता, क्योंकि आत्मा की स्थिति रोज़ बदलती है।
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हर सेकण्ड की एक्ट में कुछ नया है – अनुभव, भावना, संकल्प या सेवा की दिशा।
बाबा का आज का वाक्य:
“ज्ञान पुराना हो ही नहीं सकता। हर सेकण्ड की एक्ट नई है।”
इसलिए, हर दिन की मुरली, हर दिन की सेवा, हर दिन की तपस्या –
नई भावना से करो, नई अनुभूति में डूबो – और पुरुशार्थ में उड़ो।
“हर सेकण्ड की एक्ट क्यों नई लगती है? | ज्ञान कभी पुराना क्यों नहीं होता? |
प्रश्नोत्तर शैली में मुख्य भाषण
आधार: अव्यक्त वाणी – 29 जुलाई 2025
“हर सेकण्ड की एक्ट अलग होती है। करके कल्प पहले वाली घड़ी रिपीट होती है, लेकिन अनुभव में एकदम नई लगती है।”
Q1: यदि यह ड्रामा कल्प पहले जैसा ही रिपीट होता है, तो हर सेकण्ड ‘नई’ क्यों महसूस होती है?
उत्तर:यह परमात्मा द्वारा बताया गया एक विशेष ज्ञान रहस्य है।
भले ही पूरा ड्रामा एकदम पूर्ववत रिपीट होता है, लेकिन आत्मा की अनुभूति, स्थिति, भावना और संकल्प हर सेकण्ड बदलते रहते हैं।
इसलिए हर क्षण ‘अभी-अभी’ का ताजगीभरा अनुभव कराते हैं।
उदाहरण:
जैसे एक ही गीत को हम हर बार सुनते हैं, लेकिन मन का मूड अलग होने से उसका भाव अलग महसूस होता है।
Q2: कल्प पहले की रिपीट एक्ट भी ‘नई’ कैसे लगती है?
उत्तर:क्योंकि आत्मा जब उसे प्रैक्टिकल में जीती है, तब उसकी अनुभूति एकदम ताज़ी होती है।
बाबा कहते हैं:
“जिस समय प्रैक्टिकल लाइफ में चलते हो, उस समय एक्ट एकदम नई महसूस होती है।”
उदाहरण:
जैसे कोई तस्वीर रोज़ देखने पर भी उसमें कोई नया रंग, नई भावना या नई स्मृति दिख जाए — यह आत्मा की गहराई का परिणाम है।
Q3: “अब मैं ज्ञान जान गया हूँ” — ऐसा सोचना आत्मा को क्यों रोक देता है?
उत्तर:क्योंकि यह सोच आत्मा में ठहराव ले आती है।
ज्ञान की गहराई अनंत है — उसे पूर्ण जानना असंभव है।
बाबा ने कहा:
“जब तक विनाश नहीं हुआ, तब तक सारा ज्ञान नया है।”
उदाहरण:
जैसे डॉक्टर को एक ही दवा की जानकारी होती है, पर वह हर रोगी पर उसे अलग ढंग से प्रयोग करता है।
ज्ञान भी आत्मा की स्थिति अनुसार ही फलदायी होता है।
Q4: ज्ञान की नवीनता ही आत्मा को उड़ान क्यों देती है?
उत्तर:क्योंकि आत्मा को हर दिन नया प्रेरणा स्रोत चाहिए।
एक ही बात को हर बार नए दृष्टिकोण से देखने से आत्मा ऊबती नहीं, थकती नहीं।
उदाहरण:
जैसे वृक्ष के पत्ते हर दिन हलचल करते हैं, लेकिन उनका कंपन, दिशा और रौशनी रोज़ कुछ अलग होती है।
Q5: ‘नवीनता की समझ’ आत्मा की शक्ति क्यों है?
उत्तर:क्योंकि यही समझ आत्मा को हर सेवा, योग, मुरली और जीवन-कार्य में ताजगी और सजगता बनाए रखती है।
बाबा कहते हैं:
“हर सेकण्ड, हर क्लास तुम्हारे लिए खास है।”
यह भावना आत्मा को आलस्य, बोरियत और थकावट से बचाती है।
Disclaimer (अस्वीकरण):
यह वीडियो “BK Dr Surender Sharma – Om Shanti Gyan” चैनल द्वारा प्रकाशित किया गया है। इसमें दी गई सभी शिक्षाएं ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की आध्यात्मिक शिक्षाओं एवं अव्यक्त वाणी (29 जुलाई 2025) पर आधारित हैं। यह किसी भी धर्म, संप्रदाय या मत के विरोध में नहीं है, बल्कि आत्म-ज्ञान, राजयोग और आंतरिक शांति को बढ़ावा देने हेतु है। सभी श्रोता इसे आध्यात्मिक दृष्टि से ग्रहण करें।
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