Why is the one who sees faults called ignorant?

दाेष देखने वाला अज्ञानी क्याें कहा गया?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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भाषण: “दोष देखने वाला अज्ञानी क्यों?”

1. प्रस्तावना: क्यों उठता है यह प्रश्न?
हम सभी जीवन में कई बार दूसरों के दोष देखते हैं और उनकी आलोचना करने लगते हैं। पर क्या आपने सोचा कि “किसी में दोष देखना ही अज्ञानता क्यों कहलाता है?”

2. आत्मा की विशेषता या दोष – हम क्या देखें?
हर आत्मा में कोई न कोई विशेषता जरूर है। ज्ञान कहता है – हमें विशेषता देखने की दृष्टि रखनी चाहिए, क्योंकि आत्मा सदा शांत, पवित्र और पावरफुल है।

3. सभी आत्माएं निर्दोष हैं – क्या यह संभव है?
जी हाँ, परमात्मा शिव बाबा ने मुरली में स्पष्ट कहा:
“कोई भी आत्मा दोषी नहीं है, क्योंकि ड्रामा अनुसार सबका पार्ट है।”
(साकार मुरली – 14 अगस्त 2023)

4. दोष देखने वाला अज्ञानी क्यों कहा गया?

  • क्योंकि वह आत्मा के दृष्टिकोण से नहीं, शरीर और कर्मों के दृष्टिकोण से देखता है।

  • वह त्रिकालदर्शी नहीं है – तीनों कालों (Past, Present, Future) को नहीं समझता।

  • वह यह नहीं समझता कि हर आत्मा पूर्व निर्धारित ड्रामा अनुसार ही कार्य कर रही है।

5. मुरली प्रमाण: आत्मा के कर्म और भाग्य
“हर आत्मा अपना कर्म का फल भोग रही है। इसमें दोष देखने का अधिकार नहीं है।”
(साकार मुरली – 9 फरवरी 2024)

6. दोष देखने का नुकसान – वर्तमान का विनाश

  • दोष देखना यानी नेगेटिव थिंकिंग पैदा करना।

  • इससे हमारा वर्तमान दुखमय बन जाता है।

  • दुखी व्यक्ति दूसरों को भी दुख देता है।

  • और दुखी वर्तमान का मतलब – दुखी भविष्य

7. ज्ञानवान आत्मा की पहचान – त्रिकालदर्शिता
ज्ञानी आत्मा जानती है:

“जो कुछ हो रहा है, वह पहले भी हुआ था – अब दोबारा हो रहा है। यह ड्रामा की पुनरावृत्ति है।”
Wrong भी ड्रामा में Right है – क्योंकि वो भी फिक्स्ड पार्ट का हिस्सा है।

8. ड्रामा सिद्धांत की गहराई – Part Cannot Change

  • हर आत्मा का पार्ट अनादि और अविनाशी है।

  • उसे परमात्मा भी नहीं बदल सकते।

  • जैसे रंगमंच पर खलनायक भी स्क्रिप्ट अनुसार एक्टिंग करता है – वैसे ही आत्माएं भी अपने-अपने रोल निभा रही हैं।

9.  क्यों न दोष देखने से मुक्त हो जाएं?
दोष देखने से हम स्वयं को दुखी बनाते हैं,
और अज्ञानता में चले जाते हैं।
आइए – ज्ञान की दृष्टि से आत्मा को देखें,
और हर दृश्य में परमात्मा की गहराई को समझें।

“दोष देखने वाला अज्ञानी क्यों?” – प्रश्नोत्तर के माध्यम से सहज समझ


❓प्रश्न 1: यह प्रश्न ही क्यों उठता है – “दोष देखने वाला अज्ञानी क्यों?”

उत्तर:क्योंकि हम सभी जीवन में कई बार दूसरों की गलतियाँ या दोष देखकर उनके प्रति नेगेटिव सोच बना लेते हैं। यह एक सामान्य आदत बन गई है। परंतु आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए, तो यह सोच अज्ञानता में ले जाती है। ब्रह्माकुमारियों के ज्ञान में यह बताया गया है कि दोष देखना आत्मा की सच्ची पहचान को भूल जाना है।


❓प्रश्न 2: हमें आत्मा की विशेषता देखनी चाहिए या दोष?

उत्तर:हर आत्मा में कोई न कोई विशेषता होती है – शांत स्वरूप, प्रेम स्वरूप, शक्ति स्वरूप।
परमात्मा ज्ञान देता है कि हमें आत्मा की विशेषताओं को पहचानना चाहिए, न कि उसके कर्मों या देह-अधारित व्यवहार को। दोष देखना देह की दृष्टि है, और विशेषता देखना आत्मा की दृष्टि है।


❓प्रश्न 3: क्या सभी आत्माएं निर्दोष हैं? क्या यह संभव है?

उत्तर:जी हाँ, यह संभव है – ज्ञान की दृष्टि से।
साकार मुरली (14 अगस्त 2023):

“कोई भी आत्मा दोषी नहीं है, क्योंकि ड्रामा अनुसार सबका पार्ट है।”
इसका अर्थ यह है कि जो कुछ भी आत्मा कर रही है, वह उसके स्क्रिप्टेड रोल का हिस्सा है – और आत्मा स्वयं निर्दोष है।


❓प्रश्न 4: तो दोष देखने वाला अज्ञानी क्यों कहा गया है?

उत्तर:क्योंकि:

  • वह आत्मा को न देखकर सिर्फ कर्म देखता है।

  • वह त्रिकालदर्शी नहीं है – उसे तीनों काल की समझ नहीं है।

  • वह यह नहीं समझता कि आत्मा ड्रामा के अनुसार एक्ट कर रही है।

  • वह स्वयं भी उस दृश्य से प्रभावित होकर अपने कर्म बिगाड़ लेता है।


❓प्रश्न 5: क्या मुरली में इसका प्रमाण है?

उत्तर:साकार मुरली (9 फरवरी 2024):

“हर आत्मा अपना कर्म का फल भोग रही है। इसमें दोष देखने का अधिकार नहीं है।”
यह स्पष्ट बताता है कि हर आत्मा अपनी यात्रा में है – और हमें दूसरों के कर्मों में हस्तक्षेप करने या दोष देखने का कोई हक नहीं है।


❓प्रश्न 6: यदि हम दोष देखते हैं तो उसका क्या नुकसान होता है?

उत्तर:

  • नेगेटिव थिंकिंग शुरू होती है।

  • हम स्वयं दुखी होते हैं – यानी वर्तमान दुखी बनता है।

  • जो व्यक्ति दुखी है, वो दूसरों को सुख नहीं दे सकता।

  • दुखी वर्तमान = दुखमय भविष्य।

इसलिए दोष देखना आत्म-विनाश की ओर पहला कदम है।


❓प्रश्न 7: एक ज्ञानवान आत्मा की क्या पहचान है?

उत्तर:ज्ञानवान आत्मा त्रिकालदर्शी होती है।
उसे यह बोध होता है कि:

“जो कुछ हो रहा है – वह पहले भी हुआ था, और फिर से होगा।
Wrong भी ड्रामा में Right है – क्योंकि वह भी Fixed Part का हिस्सा है।”


❓प्रश्न 8: क्या ड्रामा के अंदर पार्ट बदला जा सकता है?

उत्तर:नहीं।

  • हर आत्मा का पार्ट अनादि और अविनाशी है।

  • उसे परमात्मा भी नहीं बदल सकते।
    जैसे रंगमंच पर खलनायक भी स्क्रिप्ट के अनुसार कार्य करता है, वैसे ही आत्माएं भी अपने पूर्व-निर्धारित रोल निभा रही हैं।
    इसलिए उन्हें दोष देना अज्ञानता है – और ड्रामा की गहराई को न समझना है।


❓प्रश्न 9: तो हमें दोष क्यों नहीं देखना चाहिए?

उत्तर:

  • क्योंकि दोष देखने से हम स्वयं को नुकसान पहुँचाते हैं।

  • हम दुखी होते हैं, और दूसरों को दुखी कर देते हैं।

  • यह आत्मा की सच्ची पहचान को खो देना है।

  • दोष देखना हमें अज्ञानता की ओर ले जाता है।

समाधान:
आइए – हम ज्ञान की दृष्टि से आत्माओं को देखें,
हर दृश्य में ड्रामा को स्वीकार करें,
और आत्मिक शांति में स्थित रहें।

 (Conclusion):

जो किसी में दोष देखता है – वह अज्ञानी है, क्योंकि वह आत्मा के बजाए शरीर, व्यवहार और कर्मों को देख रहा है।
आइए, ज्ञान की रोशनी में यह समझें कि हर आत्मा अपनी भूमिका में परफेक्ट है – और हमें भी अपने वर्तमान को पवित्र, शांत और शक्तिशाली बनाना है।

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