Why is there suffering in the world?

संसार में दुख क्यों है?(Why is there suffering in the world?)

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परिचय

संसार में दुख क्यों है? यह प्रश्न जितना गहरा है, इसका उत्तर भी उतना ही महत्वपूर्ण। संसार में दुख बिना कारण नहीं होता। हर दुख के पीछे कोई न कोई कारण होता है, और इसे समझने के लिए आत्मा को गहराई से विचार करना पड़ता है।

दुख का कारण: कर्म और प्रतिक्रिया

बिना कारण के कुछ नहीं होता

संसार में कोई भी घटना बिना कारण के नहीं होती। चाहे वह हल्का सा बदलाव हो या बड़ा संकट, उसके पीछे एक कारण अवश्य होता है।

उदाहरण:

  • यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे को दुख देता है, तो उसे भी दुख झेलना पड़ता है। यह कर्म और उसकी प्रतिक्रिया का नियम है।

हर दुख के पीछे कर्मों का परिणाम

प्रत्येक आत्मा को उसके अपने कर्मों का फल मिलता है। जब हम किसी को दुख पहुंचाते हैं, तो वह हमारे जीवन में लौटकर आता है।

उदाहरण:

  • जैसे एक गेंद जब दीवार पर फेंकी जाती है, तो वह वापस लौटकर हमारे पास आती है। ठीक इसी प्रकार, हमारे कर्म भी हमारे जीवन में लौटकर आते हैं।

 

सृष्टि का आरंभ और परमात्मा की भूमिका

गति का प्रथम स्रोत: गॉड

संसार को पहली बार गति देने वाला कौन था? जो ग्रुप ऑफ साइंटिस्ट बैठकर उसके उस रिसर्च को स्टडी कर रहा था, उन सब के मन में ये प्रश्न उठा: आखिर ये बॉल सारी की सारी खड़ी थी। किसने इसको फर्स्ट टाइम मूव किया? संसार के अंदर जो कुछ भी चल रहा है, उस सबको सबसे पहले किसने चलाया?  वह वो इतना परमात्मा के बारे में जानते हो या ना जानते हो, परंतु उन्होंने पूरे विश्वास के साथ इस बात को लिखा, “गॉड इज द फर्स्ट मूवर।” उन्होंने स्वीकार किया कि संसार में जो कुछ भी हो रहा है, उसका आरंभकर्ता परमात्मा ही है।
उदाहरण:

  • जब परमात्मा हर 5,000 वर्ष बाद इस संसार में आते हैं, तो वे इसे पुनः जीवन और ऊर्जा प्रदान करते हैं।
परमात्मा का कार्य

परमात्मा इस संसार को पतन से उठाकर उत्थान की ओर ले जाते हैं। वे दुखों को हरकर सुख का मार्ग दिखाते हैं।

उदाहरण:

  • सतयुग, जब संसार पूर्णतः सुखमय था, धीरे-धीरे गिरकर नर्क बन गया। अब परमात्मा इसे फिर से स्वर्ग बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं।

दुख के वास्तविक कारण

गुणों का अभाव और अवगुणों का आना

संसार में दुख तब आता है जब आत्मा के दिव्य गुण समाप्त हो जाते हैं और उनकी जगह अवगुण ले लेते हैं।

गुणों का अभाव:

  • शांति, प्रेम, पवित्रता, शक्ति और आनंद जैसे दिव्य गुण समाप्त हो जाते हैं।
    अवगुणों का प्रवेश:
  • नफरत, अशांति, अपवित्रता और दुर्बलता आत्मा में प्रवेश कर जाते हैं।

उदाहरण:

  • जब कोई व्यक्ति अपने स्वभाव में क्रोध और ईर्ष्या को स्थान देता है, तो वह स्वयं भी दुख का अनुभव करता है और दूसरों को भी दुख पहुंचाता है।

स्वर्ग से नर्क तक का सफर

जब संसार में दिव्य गुण समाप्त हो जाते हैं, तो यह स्वर्ग से गिरकर नर्क बन जाता है।

उदाहरण:

  • जब कोई व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त करता है, तो कहा जाता है कि वह “स्वर्ग सिधार गया।” इसका अर्थ है कि संसार नर्क में परिवर्तित हो चुका है।

दुख से मुक्ति का मार्ग

परमात्मा की शिक्षा

परमात्मा आत्माओं को उनकी गिरती कला से चढ़ती कला की ओर ले जाते हैं। वे हमें यह सिखाते हैं कि कैसे अपने जीवन से अवगुणों को निकालकर गुणों को पुनः स्थापित करें।

उदाहरण:

  • आत्मा को सच्चाई, प्रेम और पवित्रता के मार्ग पर चलने का अभ्यास करना चाहिए।

कर्मों का शुद्धिकरण

हर आत्मा को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। परमात्मा हमें सिखाते हैं कि श्रेष्ठ कर्म करके हम अपने भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं।
उदाहरण:

  • यदि हमने किसी को दुख दिया है, तो हमें अपने कर्मों से उसे सुख देना चाहिए।

निष्कर्ष

दुख का कारण और समाधान

संसार में दुख हमारे अवगुणों और अशुद्ध कर्मों का परिणाम है। जब हम दिव्य गुणों को अपनाते हैं और श्रेष्ठ कर्म करते हैं, तो हमारा जीवन सुखमय हो जाता है।

परमात्मा का संदेश

परमात्मा हमें सिखाते हैं कि हम अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाकर संसार को भी श्रेष्ठ बना सकते हैं। दुख से मुक्ति केवल आत्मा के गुणों को पुनः जागृत करने से ही संभव है।

संदेश:
हर आत्मा को अपने जीवन में दिव्य गुणों को स्थान देना चाहिए और परमात्मा के दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए। यही दुख से मुक्ति और सुख का सच्चा मार्ग है।

संसार में दुख क्यों है? – प्रश्न और उत्तर

प्रश्न: संसार में दुख क्यों होता है?

उत्तर: संसार में दुख हमारे कर्मों का परिणाम है। बिना कारण के कोई भी घटना नहीं होती। यदि हम दूसरों को दुख पहुंचाते हैं, तो वह हमारे जीवन में लौटकर आता है। यह कर्म और प्रतिक्रिया का नियम है।

प्रश्न: क्या हर दुख के पीछे कोई कारण होता है?

उत्तर: हां, संसार में हर दुख के पीछे एक कारण होता है। हमारे कर्मों का परिणाम ही हमारे दुख और सुख का आधार है।

प्रश्न: सृष्टि को पहली बार गति किसने दी?

उत्तर: सृष्टि को पहली बार गति देने वाला परमात्मा है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि “गॉड इज द फर्स्ट मूवर,” जिसने संसार की गति को आरंभ किया।

प्रश्न: संसार में अवगुण कैसे प्रवेश करते हैं?

उत्तर: जब आत्मा के दिव्य गुण समाप्त हो जाते हैं, तो उनकी जगह पर अवगुण आ जाते हैं। जैसे शांति की जगह अशांति, प्रेम की जगह नफरत, और पवित्रता की जगह अपवित्रता ले लेती है।

प्रश्न: दुख से मुक्ति का मार्ग क्या है?

उत्तर: दुख से मुक्ति का मार्ग आत्मा के दिव्य गुणों को पुनः जागृत करना और श्रेष्ठ कर्म करना है। परमात्मा की शिक्षाओं का अनुसरण करके आत्मा शुद्ध हो सकती है।

प्रश्न: परमात्मा का संसार में क्या कार्य है?

उत्तर: परमात्मा का कार्य है सृष्टि को नर्क से स्वर्ग बनाना, पतित आत्माओं को पावन करना और संसार को सुखमय बनाना।

प्रश्न: आत्मा को श्रेष्ठ कैसे बनाया जा सकता है?

उत्तर: आत्मा को श्रेष्ठ बनाने के लिए सच्चाई, प्रेम, पवित्रता और शांति जैसे दिव्य गुणों को अपनाना और अवगुणों को त्यागना आवश्यक है।

 

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