(01)When did this whole world actually come into existence?

विश्व नाटक :-(01)यह सारा जगत सचमुच कब उत्पन्न हुआ?

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अध्याय 1: जगत की उत्पत्ति का शाश्वत प्रश्न

मनुष्य जब से सोचने लगा है, तभी से एक प्रश्न उसके मन को कुरेदता रहा है —
“यह सृष्टि कैसे बनी? क्या इसकी कोई शुरुआत हुई थी?”

कभी यह प्रश्न “पहले मुर्गी या अंडा?” के रूप में पूछा जाता है,
तो कभी “बिग बैंग” या “ईश्वर की रचना” के रूप में।

आज विज्ञान और धर्म — दोनों अपनी-अपनी दृष्टि से इसका उत्तर देने का प्रयास करते हैं।


 अध्याय 2: वैज्ञानिक दृष्टिकोण — बिग बैंग सिद्धांत

विज्ञान कहता है — लगभग 13.8 अरब वर्ष पहले एक महा-विस्फोट हुआ जिसे Big Bang कहा गया।
उस विस्फोट से गैस, धूलकण, ग्रह, नक्षत्र, गैलेक्सी — सब बने।

पर प्रश्न यह उठता है —
 वह ऊर्जा कहाँ से आई जिसने विस्फोट किया?
 उस विस्फोट का बीज किसने रखा?

यह वैसा ही प्रश्न है —
पहले अंडा या मुर्गी?
अंडा अगर पहले था, तो दिया किसने?
मुर्गी अगर पहले थी, तो बनी कैसे?

इस प्रकार विज्ञान की कहानी अधूरी रह जाती है — क्योंकि वह कारण के पहले कारण को नहीं जानता।


 अध्याय 3: धार्मिक दृष्टिकोण — ईश्वर ने जगत बनाया

धर्म कहता है — “ईश्वर सृष्टि का कर्ता है।”
कुछ धर्म कहते हैं — “ईश्वर ने सात दिनों में सृष्टि बनाई।”
कुछ कहते हैं — “चार युग हैं, जिनका काल लाखों वर्षों का है।”

परंतु यहाँ भी प्रश्न उठता है —
अगर ईश्वर ने सृष्टि बनाई, तो ईश्वर कहाँ था जब कुछ भी नहीं था?
क्या वह पहले से था? यदि हाँ, तो सृष्टि ‘पहली बार’ क्यों बनाई?

यहाँ भी तर्क रुक जाता है।


 अध्याय 4: ब्रह्माकुमारी दृष्टिकोण — सृष्टि की पुनरावृत्ति होती है

ब्रह्माकुमारी ज्ञान सटीक, तार्किक और अनादि उत्तर देता है —
“सृष्टि की उत्पत्ति नहीं होती — यह पुनरावृत्ति (Repetition) होती है।”

यह अनादि, अविनाशी ड्रामा चक्र है जो हर 5000 वर्ष में बिल्कुल समान रीति से दोहराया जाता है।


 मुरली साक्ष्य

मुरली 14 फरवरी 1966:

“बच्चे, यह सृष्टि की रचना कोई नई नहीं होती। यह तो अनादि, अविनाशी नाटक है जो रिपीट होता रहता है।”

मुरली 3 अगस्त 1969:

“बाप कहते हैं — मैं सृष्टि का बीज हूं। मुझसे यह नाटक फिर से आरंभ होता है। जैसे बीज से वृक्ष तैयार होता है, वैसे मैं आकर इस सृष्टि को पुनः स्थापित करता हूं।”

मुरली 7 जून 1975:

“सृष्टि की रचना नहीं होती। यह तो ड्रामा का चक्र घूमता रहता है। हर एक युग का अपना पार्ट है जो रिपीट होता है।”


 अध्याय 5: उदाहरण — फिल्म और रिकॉर्ड

मान लीजिए एक फिल्म रिकॉर्ड है।
हर बार जब आप उसे चलाते हैं, तो वही दृश्य दोहराए जाते हैं।
क्या आप कहेंगे कि फिल्म फिर से बनाई गई?
नहीं — वह पहले से रिकॉर्ड है। बस रीप्ले होती है।

ऐसे ही यह कॉस्मिक ड्रामा हर 5000 वर्ष में दोहराया जाता है —
सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग — फिर संगम युग,
और फिर वही विश्व-नाटक पुनः आरंभ।


 अध्याय 6: सृष्टि का चक्र – 5000 वर्ष का नाटक

  • सतयुग: देवी-देवताओं का सत्य राज्य

  • त्रेता: मर्यादा पुरुषोत्तम युग

  • द्वापर: भक्ति मार्ग का आरंभ

  • कलियुग: अज्ञानता का चरम

  • संगमयुग: परमात्मा का आगमन — नई सृष्टि का बीज बोना

हर युग का अपना फिक्स्ड पार्ट है जो न कभी बदलता है, न रुकता है।


 अध्याय 7: निष्कर्ष

  • सृष्टि की कोई “पहली बार” उत्पत्ति नहीं हुई।

  • यह अनादि-अनंत विश्व नाटक है जो सदा रिपीट होता रहता है।

  • विज्ञान आरंभ खोजता है,
    पर ईश्वर ज्ञान चक्र का रहस्य समझाता है।

  • जब पूछा जाए — “पहले मुर्गी या अंडा?”
    तो उत्तर है — दोनों साथ-साथ, क्योंकि यह दृश्य पहले से फिक्स्ड ड्रामा रिकॉर्ड में दर्ज है।


 मुख्य संदेश

“जगत की उत्पत्ति नहीं, पुनरावृत्ति होती है।”
“सृष्टि एक अविनाशी ड्रामा है, जिसे न कोई बना सकता है, न मिटा सकता है।”


अगले अध्याय का संकेत

अगले भाग में:
 “बिग बैंग से बना ब्रह्मांड या ईश्वर की सृष्टि?” —
इस गूढ़ रहस्य को वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से समझेंगे।

प्रश्न 1:

मनुष्य को “सृष्टि कैसे बनी” यह प्रश्न कब से और क्यों परेशान करता आया है?

उत्तर:
जबसे मनुष्य सोचने-समझने की क्षमता वाला प्राणी बना, तबसे वह अपने अस्तित्व के स्रोत को जानना चाहता है।
“यह जगत कैसे बना? क्या इसकी कोई शुरुआत हुई?” — यह प्रश्न उसके मन में अनादि काल से घूमता रहा है।
कभी यह सवाल “पहले मुर्गी या अंडा?” के रूप में उठता है, तो कभी “बिग बैंग” या “ईश्वर की रचना” के रूप में।


 प्रश्न 2:

विज्ञान सृष्टि की उत्पत्ति के बारे में क्या कहता है?

उत्तर:
विज्ञान के अनुसार लगभग 13.8 अरब वर्ष पहले एक महा-विस्फोट (Big Bang) हुआ था।
उस विस्फोट से गैस, धूलकण, ग्रह, नक्षत्र, आकाशगंगाएँ बनीं।
विज्ञान मानता है कि उसी विस्फोट से यह ब्रह्मांड आरंभ हुआ।


 प्रश्न 3:

बिग बैंग सिद्धांत में क्या अनुत्तरित रह जाता है?

उत्तर:
बिग बैंग सिद्धांत यह तो बताता है कि “विस्फोट कैसे हुआ”,
पर यह नहीं बताता —
 विस्फोट से पहले क्या था?
 वह ऊर्जा कहाँ से आई जिसने विस्फोट किया?
 वह ‘बीज’ किसने रखा जिससे विस्फोट संभव हुआ?

इस प्रकार विज्ञान कारण के पहले कारण (First Cause) को नहीं जानता —
और यहीं उसकी कहानी अधूरी रह जाती है।


 प्रश्न 4:

धार्मिक दृष्टिकोण सृष्टि की रचना को कैसे समझाता है?

उत्तर:
धर्म कहता है — “ईश्वर सृष्टि का कर्ता है।”
कुछ धर्मों में कहा गया — ईश्वर ने सात दिनों में सृष्टि बनाई।
कुछ में कहा गया — सृष्टि चार युगों के चक्र में घूमती रहती है।
पर प्रश्न यह उठता है —
अगर ईश्वर ने सृष्टि बनाई, तो ईश्वर कहाँ था जब कुछ भी नहीं था?
और अगर वह पहले से था, तो उसने पहली बार सृष्टि क्यों बनाई?
यहाँ भी तर्क सीमित पड़ जाता है।


 प्रश्न 5:

ब्रह्माकुमारी दृष्टिकोण सृष्टि की उत्पत्ति को कैसे समझाता है?

उत्तर:
ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय ज्ञान कहता है —
“सृष्टि की उत्पत्ति नहीं होती — यह पुनरावृत्ति होती है।”
यह अनादि, अविनाशी विश्व-नाटक (World Drama) है,
जो हर 5000 वर्ष में बिल्कुल समान रीति से दोहराया (Repeat) जाता है।
इसमें कोई आरंभ या अंत नहीं — केवल चक्राकार पुनरावृत्ति है।


 प्रश्न 6:

मुरली में सृष्टि के पुनरावृत्ति सिद्धांत के क्या साक्ष्य हैं?

उत्तर:
मुरली 14 फरवरी 1966:
“बच्चे, यह सृष्टि की रचना कोई नई नहीं होती। यह तो अनादि, अविनाशी नाटक है जो रिपीट होता रहता है।”

मुरली 3 अगस्त 1969:
“बाप कहते हैं — मैं सृष्टि का बीज हूं। मुझसे यह नाटक फिर से आरंभ होता है।”

मुरली 7 जून 1975:
“सृष्टि की रचना नहीं होती। यह तो ड्रामा का चक्र घूमता रहता है। हर एक युग का अपना पार्ट है जो रिपीट होता है।”


 प्रश्न 7:

सृष्टि की पुनरावृत्ति को समझाने के लिए कौन-सा उदाहरण दिया जा सकता है?

उत्तर:
जैसे एक फिल्म रिकॉर्ड होती है —
हर बार जब आप उसे चलाते हैं, तो वही दृश्य, वही शब्द, वही क्रिया दोहराई जाती है।
फिल्म दोबारा नहीं बनाई जाती — वह पहले से रिकॉर्ड होती है।
बस रीप्ले होती है।

इसी प्रकार यह कॉस्मिक ड्रामा (Cosmic Drama) भी
हर 5000 वर्ष में पुनः उसी क्रम में चलता है।


 प्रश्न 8:

इस 5000 वर्ष के विश्व-नाटक चक्र में कौन-कौन से युग आते हैं?

उत्तर:
यह नाटक पाँच युगों में बँटा है —
1️⃣ सतयुग — देवी-देवताओं का सत्य राज्य
2️⃣ त्रेतायुग — मर्यादा पुरुषोत्तम युग
3️⃣ द्वापरयुग — भक्ति मार्ग का आरंभ
4️⃣ कलियुग — अज्ञानता और विकारों का चरम
5️⃣ संगमयुग — परमात्मा का आगमन और नई सृष्टि का बीजारोपण

हर युग का अपना निश्चित पार्ट है, जो कभी बदलता नहीं।


 प्रश्न 9:

इस चक्र के अनुसार, “पहले मुर्गी या अंडा” प्रश्न का उत्तर क्या होगा?

उत्तर:
उत्तर यह है — दोनों साथ-साथ।
क्योंकि यह दृश्य पहले से फिक्स्ड ड्रामा रिकॉर्ड में दर्ज है।
यह प्रश्न तब ही उठता है जब हम “समय को रेखीय (Linear)” मानते हैं,
पर वास्तव में समय चक्राकार (Cyclical) है —
इसलिए कोई “पहली बार” नहीं होती।


 प्रश्न 10:

ब्रह्माकुमारी ज्ञान के अनुसार सृष्टि का अंतिम निष्कर्ष क्या है?

उत्तर:
सृष्टि की कोई शुरुआत या अंत नहीं है।
यह एक अनादि-अनंत, अविनाशी ड्रामा है —
जो सदा रिपीट होता रहता है।

विज्ञान “आरंभ” खोजता है,
धर्म “कर्त्ता” खोजता है,
पर ईश्वरीय ज्ञान “चक्र” का रहस्य खोलता है।


 मुख्य संदेश (Essence)

“जगत की उत्पत्ति नहीं, पुनरावृत्ति होती है।”
“सृष्टि एक अविनाशी ड्रामा है — जिसे न कोई बना सकता है, न मिटा सकता है।”

Disclaimer:

यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुरलियों पर आधारित आध्यात्मिक अध्ययन के उद्देश्य से बनाया गया है।
इसका उद्देश्य किसी भी धर्म, संस्था या वैज्ञानिक मत का विरोध नहीं है।
यह केवल आत्मज्ञान और ईश्वर ज्ञान द्वारा सृष्टि के शाश्वत सत्य को समझाने का प्रयास है।
यह ज्ञान परमपिता परमात्मा शिव द्वारा ब्रह्मा बाबा के माध्यम से दिया गया है।

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