(10)राम दो हैं राजा राम और दाता राम का असली अंतर
दो राम का असली रहस्य – राजा राम और दाता राम
भारत भूमि में “राम नाम” का गहरा महत्व है। लोग “जय श्रीराम” बोलते हैं, राम राज्य की कल्पना करते हैं, और भक्ति में डूबे रहते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि वास्तव में राम दो हैं—
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राजा राम – त्रेता युग के पावन अवतार
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दाता राम – निराकार परमात्मा शिव
1. राजा राम – त्रेता युग के दिव्य सम्राट
त्रेता युग में दशरथ पुत्र राम का जन्म हुआ।
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वे 14 कला संपूर्ण, दिव्य और पावन राजा थे।
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उनके राज्य में ना कोई दुख था, ना विकार, ना आपदा।
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इसलिए उस युग को “राम राज्य” कहा गया।
उदाहरण
जैसे कोई राजा अपने पिछले जन्म के पुण्य और तपस्या के आधार पर सत्ता और वैभव प्राप्त करता है, वैसे ही राजा राम को भी अपना राज्य-भाग्य दाता राम से प्राप्त हुआ था।
2. दाता राम – निराकार शिव, पतित पावन
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दाता राम कोई देही नहीं, बल्कि अशरीरी परमपिता परमात्मा शिव हैं।
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वे रामेश्वर कहलाते हैं, जिनकी पूजा दक्षिण भारत तक होती है।
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वे ही असली पतित पावन हैं, जो आत्माओं को विकारों से छुड़ाते हैं।
Murli Note (साकार मुरली – 4 अक्टूबर 1970)
“राम कोई मनुष्य नहीं है। रामेश्वर परमात्मा ही पतितों को पावन बनाने वाला है।”
3. राम बनाम रावण – जीवन का गहरा अर्थ
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राम का अर्थ है – रमणीय, आनंद देने वाला।
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रावण का अर्थ है – रुलाने वाला, पाँच विकार (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार)।
सीता का अर्थ
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आत्मा को ही “सीता” कहा गया है।
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जब आत्मा मर्यादाओं (लक्ष्मण रेखा) को लांघ देती है, तो रावण अर्थात माया उसे बंधन में ले लेती है।
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उस समय रामेश्वर शिव ही ज्ञान और योग से छुड़ाते हैं।
Murli Note (अव्यक्त मुरली – 10 अक्टूबर 1978)
“राम और रावण की कहानी तुम्हारे जीवन की ही कहानी है। आत्मा सीता है। रावण विकार है और राम है परमपिता परमात्मा।”
4. पंचवटी और जीवन की सच्चाई
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शरीर पंचतत्वों से बना है, इसलिए इसे “पंचवटी” कहा गया।
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आत्मा रूपी सीता इसमें निवास करती है।
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माया रूपी रावण कभी भिखारी, कभी आकर्षण बनकर आत्मा को फँसाता है।
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परंतु निराकार राम – शिव ही ज्ञान और योग से आत्मा को मुक्त करते हैं।
5. निष्कर्ष – दो राम का असली रहस्य
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राजा राम = देहिक अवतार, पावन राजा।
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दाता राम = निराकार शिव, पतित पावन और राज्य भाग्य देने वाले।
दो राम का असली रहस्य – राजा राम और दाता राम
प्रश्न 1: क्या वास्तव में राम दो हैं?
उत्तर: हाँ, शास्त्रों और मुरली में स्पष्ट बताया गया है कि राम दो हैं –
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राजा राम: त्रेता युग के 14 कला संपूर्ण पावन सम्राट।
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दाता राम: निराकार परमपिता परमात्मा शिव, जो पतितों को पावन बनाते हैं और राज्य-भाग्य देते हैं।
प्रश्न 2: राजा राम कौन थे?
उत्तर: राजा राम दशरथ पुत्र थे। वे 14 कला संपूर्ण, दिव्य और पावन राजा थे। उनके राज्य में न दुख था, न विकार, न आपदा। इसलिए उस समय को “राम राज्य” कहा जाता है।
प्रश्न 3: दाता राम कौन हैं?
उत्तर: दाता राम निराकार परमात्मा शिव हैं। वे रामेश्वर कहलाते हैं और पतितों को पावन बनाने वाले हैं। राजा राम को भी राज्य-भाग्य उन्हीं से प्राप्त हुआ।
Murli Note (4 अक्टूबर 1970):
“राम कोई मनुष्य नहीं है। रामेश्वर परमात्मा ही पतितों को पावन बनाने वाला है।”
प्रश्न 4: राम और रावण की कहानी का असली अर्थ क्या है?
उत्तर:
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राम = आनंद देने वाला (परमात्मा शिव)।
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रावण = रुलाने वाला, पाँच विकार।
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सीता = आत्मा।
जब आत्मा मर्यादाएँ (लक्ष्मण रेखा) तोड़ती है तो माया (रावण) उसे बंधन में ले लेती है। उस समय रामेश्वर शिव ही ज्ञान और योग से छुड़ाते हैं।
Avyakt Murli (10 अक्टूबर 1978):
“राम और रावण की कहानी तुम्हारे जीवन की ही कहानी है। आत्मा सीता है। रावण विकार है और राम है परमपिता परमात्मा।”
प्रश्न 5: पंचवटी का असली रहस्य क्या है?
उत्तर: शरीर पंचतत्वों से बना है, इसलिए इसे पंचवटी कहा गया। आत्मा रूपी सीता इसमें रहती है और माया (रावण) कभी आकर्षण, कभी धोखे से उसे फँसाती है।
प्रश्न 6: निष्कर्ष क्या है – राजा राम और दाता राम में क्या अंतर है?
उत्तर:
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राजा राम = त्रेता युग के पावन अवतार, 14 कला संपूर्ण।
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दाता राम = निराकार शिव, पतित पावन और राज्य-भाग्य देने वाले।
Murli Note (15 अक्टूबर 1983):
“त्रेता युग के राम 14 कला संपूर्ण थे, लेकिन राज्य का दाता तो निराकार शिव है।”
प्रश्न 7: आज संगम युग पर क्या हो रहा है?
उत्तर: आज संगम युग पर निराकार शिव, प्रजापिता ब्रह्मा के माध्यम से हमें ज्ञान और राजयोग सिखा रहे हैं। यही असली राम राज्य का बीज है, जो भविष्य में हमें दिव्य राज्य का अधिकारी बनाएगा।
Disclaimer
यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ मुरली ज्ञान और आध्यात्मिक दृष्टिकोण पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक शिक्षा और आत्म-जागृति है। इसका किसी धर्म, परंपरा या आस्था को ठेस पहुँचाना उद्देश्य नहीं है।
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