(38)26-08-1984 “To achieve goal-oriented success, work for service rather than selfishness.”

अव्यक्त मुरली-(38)126-08-1984 “लक्ष्य प्रमाण सफलता प्राप्त करने के लिए स्वार्थ के बजाए सेवा अर्थ कार्य करो”

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

YouTube player

26-08-1984 “लक्ष्य प्रमाण सफलता प्राप्त करने के लिए स्वार्थ के बजाए सेवा अर्थ कार्य करो”

(विदेश सेवा के लिए प्रस्थान)

आज त्रिमूर्ति मिलन देख रहे हैं। ज्ञान सूर्य, ज्ञान चन्द्रमा और ज्ञान सितारों का मिलन हो रहा है। यह त्रिमूर्ति मिलन इस ब्राह्मण संसार के विशेष मधुबन मण्डल में होता है। आकाश मण्डल में चन्द्रमा और सितारों का मिलन होता है। इस बेहद के मधुबन मण्डल में सूर्य और चन्द्रमा दोनों का मिलन होता है। इन दोनों के मिलन से सितारों को ज्ञान सूर्य द्वारा शक्ति का विशेष वरदान मिलता है और चन्द्रमा द्वारा स्नेह का विशेष वरदान मिलता है। जिससे लवली और लाइट हाउस बन जाते हैं। यह दोनों शक्तियाँ सदा साथ-साथ रहें। माँ का वरदान और बाप का वरदान दोनों सदा सफलता स्वरूप बनाते हैं। सभी ऐसे सफलता के श्रेष्ठ सितारे हो। सफलता के सितारे सर्व को सफलता स्वरूप बनने का सन्देश देने के लिए जा रहे हो। किसी भी वर्ग वाली आत्मायें जो भी कोई कार्य कर रहीं हैं, सभी का मुख्य लक्ष्य यही है कि हम अपने कार्य में सफल हो जाएं। और सफलता क्यों चाहते हैं, क्योंकि समझते हैं हमारे द्वारा सभी को सुख शान्ति की प्राप्ति हो। चाहे अपने नाम के स्वार्थ से करते हैं, अल्पकाल के साधनों से करते हैं लेकिन लक्ष्य स्व प्रति वा सर्व प्रति सुख शान्ति का है। लक्ष्य सभी का ठीक है लेकिन लक्ष्य प्रमाण स्व स्वार्थ के कारण धारण नहीं कर सकते हैं। इसलिए लक्ष्य और लक्षण में अन्तर होने के कारण सफलता को पा नहीं सकते। ऐसी आत्माओं को अपने मुख्य लक्ष्य को प्राप्त करने का सहज साधन यही सुनाओ, एक शब्द का अन्तर करने से सफलता का मन्‍त्र प्राप्त हो जायेगा। वह है स्वार्थ के बजाए सर्व के सेवा-अर्थ। स्वार्थ लक्ष्य से दूर कर देता है। सेवा अर्थ, यह संकल्प लक्ष्य प्राप्त करने में सहज सफलता प्राप्त कराता है। किसी भी लौकिक चाहे अलौकिक कार्य अर्थ निमित्त हैं, उसी अपने-अपने कार्य में सन्तुष्टता वा सफलता सहज पा लेंगे। इस एक शब्द के अन्तर का मन्‍त्र हर वर्ग वाले को सुनाना।

सारे कलह-कलेश, हलचल, अनेक प्रकार के विश्व के चारों ओर के हंगामे इस एक शब्द “स्वार्थ” के कारण हैं। इसलिए सेवा भाव समाप्त हो गया है। जो भी जिस भी आक्यूपेशन वाले हों जब अपना कार्य आरम्भ करते हैं तो क्या संकल्प लेते हैं? नि:स्वार्थ सेवा का संकल्प करते हैं लेकिन लक्ष्य और लक्षण चलते-चलते बदल जाता है। तो मूल कारण चाहे कोई भी विकार आता है उसका बीज है “स्वार्थ”। तो सभी को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की सफलता की चाबी दे आना। वैसे भी लोग मुख्य चाबी ही भेंट करते हैं। तो आप सभी को सफलता की चाबी भेंट करने के लिए जा रही हो और सब कुछ दे देते हैं लेकिन खजाने की चाबी कोई नहीं देता है। जो और कोई नहीं देता वही आप देना। जब सर्व खजानों की चाबी उनके पास हो गई तो सफलता है ही। अच्छा, आज तो सिर्फ मिलने के लिए आये हैं।

राजतिलक तो 21 जन्म मिलता ही रहेगा और स्मृति का तिलक भी संगम के नाम संस्कार के दिन बापदादा द्वारा मिल ही गया है। ब्राह्मण हैं ही स्मृति के तिलकधारी और देवता हैं राज्य तिलकधारी। बाकी बीच का फरिश्ता स्वरूप, उसका तिलक है – सम्पन्न स्वरूप का तिलक, समान स्वरूप का तिलक। बापदादा कौन सा तिलक लगायेंगे? सम्पन्न और समान स्वरूप का तिलक और सर्व विशेषताओं की मणियों से सजा हुआ ताज। ऐसे तिलकधारी, ताजधारी फरिश्ते स्वरूप सदा डबल लाइट के तख्तनशीन श्रेष्ठ आत्मायें हो। बापदादा इसी अलौकिक श्रृंगार से सेरीमनी मना रहे हैं, ताजधारी बन गये ना! ताज, तिलक और तख्त। यही विशेष सेरीमनी है। सभी सेरीमनी मनाने आये हो ना। अच्छा!

सभी देश और विदेश के सफलता के सितारों को बापदादा सफलता की माला गले में डाल रहे हैं। कल्प-कल्प के सफलता के अधिकारी विशेष आत्मायें हो। इसलिए सफलता जन्म सिद्ध अधिकार, हर कल्प का है। इसी निश्चय, नशे में सदा उड़ते चलो। सभी बच्चे याद और प्यार की मालायें हर रोज़ बड़े स्नेह की विधि पूर्वक बाप को पहुंचाते हैं। इसी की कॉपी भक्त लोक भी रोज़ माला जरूर पहनाते हैं। जो सच्ची लगन में मगन रहने वाले बच्चे हैं, वह अमृतवेले बहुत बढ़िया स्नेह के श्रेष्ठ संकल्पों के रत्नों की मालायें, रूहानी गुलाब की मालायें रोज़ बापदादा को अवश्य पहनाते हैं, तो सभी बच्चों की मालाओं से बापदादा श्रृंगारे होते हैं। जैसे भक्त लोग भी पहला कार्य अपने ईष्ट को माला से सजाने का करते हैं। पुष्प अर्पण करते हैं। ऐसे ज्ञानी तू आत्मायें स्नेही बच्चे भी बापदादा को अपने उमंग-उत्साह के पुष्प अर्पण करते हैं। ऐसे स्नेही बच्चों को स्नेह के रिटर्न में बापदादा पदमगुणा स्नेह की, वरदानों की, शक्तियों की मालायें डाल रहे हैं। सभी का खुशी का डान्स भी बापदादा देख रहे हैं। डबल लाइट बन उड़ रहे हैं और उड़ाने के प्लैन बना रहे हैं। सभी बच्चे विशेष पहला नम्बर अपना नाम समझ पहले नम्बर में मेरी याद बाप द्वारा आई है ऐसे स्वीकार करना। नाम तो अनेक हैं। लेकिन सभी नम्बरवार याद के पात्र हैं। अच्छा।

मधुबन वाले सभी शक्तिशाली आत्मायें हो ना। अथक सेवा का पार्ट भी बजाया और स्व अध्ययन का पार्ट भी बजाया। सेवा में शक्तिशाली बन अनेक जन्मों का भविष्य और वर्तमान बनाया। सिर्फ भविष्य नहीं लेकिन वर्तमान भी मधुबन वालों का नाम बाला है। तो वर्तमान भी बनाया भविष्य भी जमा किया। सभी ने शारीरिक रेस्ट ले ली। अब फिर सीजन के लिए तैयार हो गये, सीजन में बीमार नहीं होना है, इसलिए वह भी हिसाब किताब पूरा किया। अच्छा।

जो भी आये हैं सभी को लॉटरी तो मिल ही गई। आना अर्थात् पदमगुणा जमा होना। मधुबन में आत्मा और शरीर दोनों की रिफ्रेशमेन्ट है। अच्छा।

जगदीश भाई से:- सेवा में शक्तियों के साथ पार्ट बजाने के निमित्त बनना यह भी विशेष पार्ट है। सेवा से जन्म हुआ, सेवा से पालना हुई और सदा सेवा में आगे बढ़ते चलो। सेवा के आदि में पहला पाण्डव ड्रामा अनुसार निमित्त बने। इसलिए यह भी विशेष सहयोग का रिटर्न है। सहयोग सदा प्राप्त है और रहेगा। हर विशेष आत्मा की विशेषता है। उसी विशेषता को सदा कार्य में लगाते विशेषता द्वारा विशेष आत्मा रहे हो। सेवा के भण्डार में जा रहे हो। विदेश में जाना अर्थात् सेवा के भण्डार में जाना। शक्तियों के साथ पाण्डवों का भी विशेष पार्ट है। सदा चान्स मिलते रहे हैं और मिलते रहेंगे। ऐसे ही सभी में विशेषता भरना। अच्छा।

मोहिनी बहन से:- सदा विशेष साथ रहने का पार्ट है। दिल से भी सदा साथ और साकार रूप में श्रेष्ठ साथ की वरदानी हो। सभी को इसी वरदान द्वारा साथ का अनुभव कराना। अपने वरदान से औरों को भी वरदानी बनाना। मेहनत से मुहब्बत क्या होती है। मेहनत से छूटना और मुहब्बत में रहना – यह सबको विशेष अनुभव हो, इसलिए जा रही हो। विदेशी आत्मायें मेहनत नहीं करना चाहती हैं, थक गई हैं। ऐसी आत्माओं को सदा के लिए साथ अर्थात् मुहब्बत में मगन रहने का सहज अनुभव कराना। सेवा का चान्स यह भी गोल्डन लॉटरी है। सदा लॉटरी लेने वाली सहज पुरूषार्थी। मेहनत से मुहब्बत का अनुभव क्या है – ऐसी विशेषता सभी को सुनाकर स्वरूप बना देना। जो दृढ़ संकल्प किया वह बहुत अच्छा किया। सदा अमृतवेले ये दृढ़ संकल्प रिवाइज़ करते रहना। अच्छा।

बॉम्बे वालों के लिए याद प्यार:-

बाम्बे में सबसे पहले सन्देश देना चाहिए। बाम्बे वाले बिजी भी बहुत रहते हैं। बिजी रहने वालों को बहुत समय पहले से सन्देश देना चाहिए, नहीं तो उल्हना देंगे कि हम तो बिजी थे, आपने बताया भी नहीं। इसलिए उन्हों को अभी से अच्छी तरह जगाना है। तो बाम्बे वालों को कहना कि अपने जन्म की विशेषता को सेवा में विशेष लगाते चलो। इसी से सफलता सहज अनुभव करेंगे। हरेक के जन्म की विशेषता है, उसी विशेषता को सिर्फ हर समय कार्य में लगाओ। अपनी विशेषता को स्टेज पर लाओ। सिर्फ अन्दर नहीं रखो, स्टेज पर लाओ।

अध्याय: “लक्ष्य प्रमाण सफलता प्राप्त करने का रहस्य — स्वार्थ नहीं, सेवा अर्थ”

(अव्यक्त वाणी – 26 August 1984 | विदेश सेवा प्रस्थान अवसर पर)


1. त्रिमूर्ति मिलन: ज्ञान सूर्य–चन्द्रमा और सितारों की अद्भुत सभा

इस दिव्य सीन में बापदादा बताते हैं कि आज ज्ञान सूर्य, ज्ञान चन्द्रमा और ज्ञान सितारों का मिलन हो रहा है—

  • सूर्य = बाप (परमात्मा)

  • चन्द्रमा = मम्मा

  • सितारे = ब्राह्मण आत्माएँ

सूर्य देता है—शक्ति का वरदान
चन्द्रमा देता है—स्नेह का वरदान

इन दोनों के संग आत्मा “लाइट हाउस” और “लवली हाउस” बन जाती है।

✦ उदाहरण

जैसे एक LED बल्ब में दो चीजें ज़रूरी होती हैं—

  1. पावर

  2. हीट कंट्रोल

वैसे आत्मा को भी

  • शक्ति (Power) बाप देता है

  • स्नेह (Love) मम्मा देती है

तभी आत्मा “सफलता का प्रकाशस्तम्भ” बनती है।


2. हर आत्मा सफलता चाहती है — पर क्यों फेल हो जाती है?

बापदादा ने कहा:
लक्ष्य सभी का सही है: सबको सुख-शान्ति देना।
लेकिन…
लक्षण गलत हो जाते हैं।
लक्षण बदलने का कारण है—स्वार्थ।

 मुख्य मुर्ली पॉइंट (26-08-1984)

“लक्ष्य प्रमाण स्वार्थ के कारण धारण नहीं कर सकते, इसलिए सफलता नहीं मिलती।”

✦ उदाहरण

  • डॉक्टर बनता क्यों है? सेवा के लिए।

  • पर अगर बीच में स्वार्थ आ जाए—फीस, नाम, प्रसिद्धि—तो सेवा भावना कम, तनाव ज्यादा।

  • काम वही है, लेकिन भावना बदलते ही फल बदल जाता है।


3. ‘एक शब्द’ का मंत्र जो जीवन बदल देता है

बापदादा ने आज सबसे बड़ा रहस्य दिया—
“सफलता का मंत्र है — स्वार्थ के बजाय ‘सेवा अर्थ’ संकल्प।”

✦ समझें

  • स्वार्थ = लक्ष्य से दूर कर देता है

  • सेवा-अर्थ = लक्ष्य को सहज प्राप्त कराता है

✦ सरल उदाहरण

दो लोग विदेश सेवा में जाते हैं:

  • पहला: “मैं नाम बनाऊँगा।”

  • दूसरा: “मैं आत्माओं की सेवा करूँगा।”

दूसरा सहज सफलता पा लेता है।
क्योंकि उसे ऊपर से सहायता भी मिलती है—“सेवा अर्थ” की शक्ति।


4. दुनिया का दुख, युद्ध, कलह — सबका कारण एक बीज: ‘स्वार्थ’

बापदादा ने कहा:
“सारे विश्व का हंगामा ‘स्वार्थ’ की वजह से है। ”

चलते-चलते:

  • नौकरी सेवा से करुणा में बदलनी थी, लेकिन स्वार्थ में बदल गई

  • राजनीति जनसेवा से शुरू हुई, लेकिन स्वार्थ में चली गई

  • सम्बन्ध प्यार से बने, स्वार्थ से टूट गए

✦ उदाहरण

एक नेता चुनाव से पहले कहता है—“सेवा करूँगा।”
चुनाव बाद संकल्प बदल गया — “मेरा पद, मेरी शक्ति।”
फिर उसी से झगड़े शुरू हो जाते हैं।

इसलिए बाबा कहते हैं—
“सफलता की चाबी—सेवा अर्थ का संकल्प—सबको दे आओ।”


5. ताज, तिलक और तख्त की अलौकिक सेरीमनी

आज विदेश जाने वाले बीके भाई-बहनों को बाबा ने कहा:

  • तिलक = समानता और सम्पन्नता का तिलक

  • ताज = विशेषताओं का ताज

  • तख्त = ‘डबल लाइट’ की सीट

✦ Murli Note

“ताज, तिलक और तख्त — यही अलौकिक श्रृंगार है।”

✦ अर्थ

जब आत्मा

  • हल्की

  • स्वाभिमानी

  • सेवी
    हो जाती है, तभी यह तीनों अलंकार प्राप्त होते हैं।


6. हर आत्मा को ‘सफलता की माला’ पहनाई जाती है

बाबा ने आज कहा:
“तुम सभी कल्प-कल्प के सफलता अधिकारी सितारे हो।”

जो बच्चे

  • सेवा

  • स्मृति

  • स्नेह
    में टिके रहते हैं, बाबा उन्हें प्रतिदिन वरदानों की “माला” पहनाते हैं।

✦ भक्तिभाव से तुलना

जैसे भक्त रोज़ अपने ईष्ट को फूल पहनाते हैं,
वैसे ज्ञानी तू आत्माएँ रोज़ बाबा को
उमंग-उत्साह की मालाएँ पहनाती हैं।


7. विदेश सेवा का विशेष पार्ट — शक्तियों के भंडार में प्रवेश

जगदीश भाई को बाबा ने कहा:
“विदेश में जाना अर्थात सेवा के भंडार में जाना।”

इसका अर्थ:

  • विदेश सेवा चुनौती नहीं, अवसर है

  • वहाँ आत्माएँ थकी हुई हैं

  • सेवा-अर्थ की शक्ति उन्हें जगाती है


8. ‘मेहनत’ से ‘मुहब्बत’ तक — मोहिनी बहन को विशेष वरदान

बाबा ने कहा:
“विदेशी आत्माएँ मेहनत नहीं करना चाहतीं, थक गई हैं।
उन्हें सदा के लिए मुहब्बत में मगन रहने का अनुभव कराना।”

✦ उदाहरण

धूप में थका व्यक्ति पानी से नहीं, मुस्कुराहट से पहले ताज़ा होता है।
विदेशी आत्माएँ भी वही अनुभव चाहती हैं—
स्नेह, संबंध, सहारा।


9. बम्बई (मुंबई) वाले—अपनी विशेषता को मंच पर लाओ

बाबा ने कहा:

  • मुंबई वाले बिज़ी रहते हैं

  • इसलिए पहले से ही जागृति देना जरूरी

  • हर एक की जन्मजात विशेषता है

  • उसे स्टेज पर लाओ, छुपाओ मत

✦ Example

कोई आत्मा सहज वक्ता है, कोई सहज योगी –
जब तक वह विशेषता व्यवहार में नहीं आती,
वह फल नहीं दे सकती।


अंतिम सार — सफलता का महामंत्र

“सफलता = लक्ष्य + सेवा अर्थ + स्मृति + डबल लाइट स्थिति।”
स्वार्थ हटते ही

  • मार्ग साफ

  • सहयोग बढ़ता

  • आशीर्वाद मिलता

  • कर्म सहज होते

  • सफलता स्वाभाविक आती है

यही आज की अव्यक्त वाणी का मूल संदेश है।

Q1. त्रिमूर्ति मिलन का आध्यात्मिक रहस्य क्या है?

A1. बापदादा ने बताया कि आज ज्ञान सूर्य, ज्ञान चन्द्रमा और ज्ञान सितारों का अद्भुत मिलन हो रहा है।

  • सूर्य = बाप (परमात्मा) — शक्ति देने वाले

  • चन्द्रमा = मम्मा — स्नेह देने वाली

  • सितारे = ब्राह्मण आत्माएँ — सेवाधारी बच्चे

इन दोनों (सूर्य+चन्द्रमा) के संयोग से आत्मा “लाइट हाउस” और “लवली हाउस” बन जाती है।

उदाहरण

जैसे LED बल्ब में दो मुख्य चीज़ें जरूरी हैं—

  1. Power (शक्ति)

  2. Heat Control (स्नेह/शीतलता)

वैसे आत्मा को
शक्ति बाप से,
स्नेह मम्मा से मिलता है।
तभी आत्मा “सफलता का प्रकाश-स्तम्भ” बनती है।


Q2. सभी आत्माएँ सफलता चाहती हैं, फिर भी असफल क्यों हो जाती हैं?

A2. बापदादा ने स्पष्ट कहा—

“लक्ष्य सभी का सही है, लेकिन स्वार्थ आ जाने से लक्षण बदल जाते हैं — इसलिए सफलता नहीं मिलती।”
(मुरली: 26-08-1984)

उदाहरण

एक डॉक्टर शुरू में सेवा के लिए डॉक्टर बनता है।
लेकिन बीच में अगर संकल्प बदल जाए—

  • “अधिक फीस”

  • “नाम-प्रसिद्धि”

तो सेवा भावना घटती है, तनाव बढ़ता है — कार्य वही है, पर भावना बदलते ही फल बदल जाता है।


Q3. सफलता प्राप्त करने का ‘एक शब्द’ का सुपर मंत्र क्या है?

A3. बापदादा का आज का मुख्य महामंत्र—

“स्वार्थ नहीं — सेवा अर्थ।”

  • स्वार्थ = लक्ष्य से दूर कर देता है

  • सेवा अर्थ = लक्ष्य को सहज प्राप्त करा देता है

सरल उदाहरण

दो लोग विदेश सेवा में गए—

  1. पहला: “मैं नाम बनाऊँगा।”

  2. दूसरा: “मैं आत्माओं की सेवा करूँगा।”

जो सेवा-अर्थ लेकर जाता है —
उसके साथ सहयोग, सहजता, और सफलता स्वयं चलती है।


Q4. दुनिया के दुख, हंगामे और संघर्ष का मूल कारण क्या है?

A4. बाबा ने गहरी बात कही—

“सारे विश्व का हंगामा — स्वार्थ के एक बीज से उत्पन्न हुआ है।”

उदाहरण

  • राजनीति सेवा से शुरू हुई, पर स्वार्थ के कारण लड़ाई बढ़ी

  • नौकरी करुणा से शुरू हुई, पर लक्ष्य बदलते ही तनाव बढ़ा

  • रिश्ते प्यार से बने, स्वार्थ से टूट गए

इसलिए बाबा कहते हैं—
“सबको सेवा अर्थ का संकल्प देने जाना — यही सफलता की चाबी है।”


Q5. ताज, तिलक और तख्त की अलौकिक सेरीमनी क्या है?

A5. विदेश सेवा के लिए जाने वालों को बाबा ने तीन अलंकार दिए—

  • तिलक = सम्पन्नता और समानता का तिलक

  • ताज = विशेषताओं का ताज

  • तख्त = डबल लाइट की सीट

Murli Note

“ताज, तिलक और तख्त — यही अलौकिक श्रृंगार है।”

इनको वही आत्मा पाती है जो—

  • हल्की,

  • स्वाभिमानी,

  • सेवा-अर्थ में स्थित होती है।


Q6. ‘सफलता की माला’ किसे और क्यों पहनाई जाती है?

A6. बाबा ने कहा—

“तुम सभी कल्प-कल्प के सफलता अधिकारी हो।”

जो बच्चे—

  • सेवा में टिके,

  • स्मृति में स्थिर,

  • स्नेह में मगन रहते हैं,

उन्हें बाबा रोज़—

वरदानों की माला,
स्नेह की माला,
शक्तियों की माला
पहनाते हैं।

भक्ति से तुलना

जिस प्रकार भक्त रोज़ अपने देवता को माला पहनाते हैं—
वैसे ही “ज्ञानी तू आत्माएँ” रोज़ बाबा को
उमंग-उत्साह की मालाएँ अर्पित करती हैं।


Q7. विदेश सेवा को ‘शक्तियों के भंडार में प्रवेश’ क्यों कहा गया?

A7. जगदीश भाई को बाबा ने कहा—

“विदेश में जाना = सेवा के भंडार में प्रवेश।”

क्योंकि वहाँ की आत्माएँ—

  • थकी हुई,

  • खोज में,

  • स्पर्श की प्रतीक्षा में होती हैं।

“सेवा-अर्थ” रखने वाला बीके, वहाँ शक्तियों का जीवंत स्रोत बन जाता है।


Q8. ‘मेहनत से मुहब्बत’ का विशेष रहस्य क्या है?

A8. मोहिनी बहन से बाबा ने कहा—

“विदेशी आत्माएँ मेहनत नहीं करना चाहतीं — थक गई हैं।
उन्हें प्रेम-संबंध में मगन रहने का अनुभव कराना।”

उदाहरण

धूप में थका हुआ व्यक्ति पहले पानी से नहीं,
एक मधुर मुस्कान से तरोताज़ा होता है।

विदेशी आत्माएँ भी यही—

  • प्रेम

  • अपनापन

  • सहारा

चाहती हैं।


Q9. मुंबई वालों को विशेष संदेश क्यों दिया गया?

A9. बाबा ने कहा—

  • मुंबई वाले बेहद बिज़ी रहते हैं

  • इसलिए उन्हें पहले से जागृति देना आवश्यक है

  • हर आत्मा की एक “जन्मजात विशेषता” है

  • उसे स्टेज पर लाओ, छुपाओ मत

उदाहरण

कोई आत्मा सहज वक्ता है
कोई सहज योगी
कोई सहज सेवाधारी

जब तक यह विशेषता कर्म में नहीं आती,
फल नहीं मिलता।

DISCLAIMER:

यह वीडियो आध्यात्मिक अध्ययन, आत्म–उन्नति और ब्रह्माकुमारीज़ (Brahma Kumaris) की अव्यक्त मुरली के आधार पर बनाई गई शिक्षात्मक प्रस्तुति है।
इसका उद्देश्य किसी भी संप्रदाय, व्यक्ति या विचारधारा की आलोचना करना नहीं है।
सभी विचार शिव बाबा – बापदादा की मुरली वाणी तथा आध्यात्मिक सिद्धांतों पर आधारित हैं।
कृपया इसे अपने आत्मिक विकास और शान्ति अनुभव के लिए उपयोग करें।

अव्यक्तवाणी, ब्रह्माकुमारीज, सेवाअर्थ, स्वार्थरहस्य, सफलताकीचाबी, बापदादा, मोला, लाइटहाउस, लवलीहाउस, विदेशसेवा, बीकेसर्विस, स्पिरिचुअलसक्सेस, मुरलीपॉइंट्स, संगमयुग, ट्रिनिटीमैसेज, सोलपावर, लवएंडपावर, डबललाइट, सेवाभाव, बीकेमोटिवेशन, बीकेस्पीच, राजयोग नॉलेज, बीकेयोग, मुरलीक्लास, बीकेइंडिया, डिवाइनमैसेज, सफलतामंत्र, आध्यात्मिक व्याख्यान, बीकेस्टार, स्वयं से पहले सेवा,Avyaktvani, Brahma Kumaris, Meaning of Service, Secret of Self-Interest, Key to Success, BapDada, Mola, Lighthouse, LovelyHouse, Foreign Service, BKService, SpiritualSuccess, MurliPoints, Confluence Age, TrinityMessage, SoulPower, LoveAndPower, DoubleLight, ServiceBhaviour, BKMotivation, BKSpeech, Rajyoga Knowledge, BKYoga, MurliClass, BKIndia, DivineMessage, SuccessMantra, Spiritual Lecture, BKStar, Service Before Self,