18-The root of all evil

18-सभी बुराइयों की जड़

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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सभी बुराइयों की जड़ क्या है? | स्वयं ईश्वर सिखाते हैं सहज राजयोग Part 18 | Brahma Kumaris Gyaan

 प्रस्तावना:

ओम शांति।
स्वयं परमात्मा हमें जो सहज राजयोग सिखाते हैं, उसका उद्देश्य है — आत्मा को फिर से उसकी दिव्यता में जागृत करना।
आज हम जानेंगे: सभी बुराइयों की जड़ क्या है?


1. सभी बुराइयों की जड़ — शारीरिक चेतना

जब हम स्वयं को शरीर समझते हैं, तब पांच प्रमुख विकार हमारे अंदर प्रवेश करते हैं:
काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार।
यही पाँच विकार आत्मा की शुद्धता को समाप्त कर देते हैं।


🪞 2. शरीर चेतना कैसे प्रकट होती है — कुछ उदाहरण

रोजमर्रा की स्थितियों में शरीर चेतना इस रूप में प्रकट होती है:

  • उम्र का गर्व

  • जाति या परिवार के आधार पर तुलना

  • देह के आधार पर पहचान

  • अपनों और परायों में भेदभाव


3. संघर्ष और भावनात्मक संकट का कारण — देह अभिमान

जब हम अपने को देह समझते हैं,
तो सबसे पहले संघर्ष आता है, फिर लगाव,
और अंततः — मोह और भावनात्मक संकट उत्पन्न होता है।


4. लगाव का प्रभाव — सामाजिक विकृतियाँ

जहाँ अटैचमेंट है, वहाँ पक्षपात है।
वही हमारी सोच को संकीर्ण बनाता है:

  • भाई-भतीजावाद

  • जातिवाद

  • संकीर्ण राष्ट्रवाद

  • “हमारे अपने” बनाम “दूसरे”


5. काम वासना — देह पर आधारित आकर्षण

काम वासना का मूल कारण है —
शरीर की विशेषताओं के प्रति आकर्षण।
जैसे-जैसे देह संबंधी जानकारी बढ़ती है,
वैसे-वैसे यह आकर्षण गहराता है।


6. गुस्सा और नफरत — भेद की भावना से उत्पन्न

जब हम किसी को “अपना” नहीं मानते,
तो वहां गुस्सा, नफरत, और घृणा जन्म लेती है।
इसका परिणाम है:

  • नस्ली भेदभाव

  • जातिवाद

  • घरेलू कलह


7. लालच — दूसरों के हितों को अनदेखा करना

लालच भी देह अभिमान का ही परिणाम है।
जब हम शरीर को ही सब कुछ समझते हैं,
तब “मेरा और मेरे परिवार का हित” सबसे पहले आता है,
भले ही वह दूसरों के नुकसान पर क्यों न हो।


8. समाधान — आत्म चेतना और योग

इन सभी बुराइयों का एक ही समाधान है:
आत्म चेतना।
जब हम आत्मा को पहचानते हैं,
तब शांति, पवित्रता और शक्ति हमारे स्वभाव बनते हैं।


9. निष्कर्ष — परिवर्तन की दिशा

इस पूरे चिंतन का सार है:
शरीर चेतना = बुराइयों की जड़
आत्म चेतना = दिव्यता की ओर यात्रा

इसलिए,
सहज राजयोग द्वारा
हमें शरीर से परे जाकर आत्मा स्वरूप में स्थित होना है।


 सभी बुराइयों की जड़ क्या है? | स्वयं ईश्वर सिखाते हैं सहज राजयोग Part 18 | Brahma Kumaris Gyaan


प्रश्न 1: सभी बुराइयों की जड़ क्या है?

उत्तर: सभी बुराइयों की जड़ है — शारीरिक चेतना। जब आत्मा स्वयं को शरीर समझने लगती है, तब उसमें काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे पाँच विकार प्रवेश करते हैं।


प्रश्न 2: शरीर चेतना का मतलब क्या है?

उत्तर: शरीर चेतना का अर्थ है — स्वयं को शरीर मानना और शरीर के गुण, रूप, जाति, उम्र या रिश्तों के आधार पर अपनी पहचान बनाना।


प्रश्न 3: शरीर चेतना हमारे व्यवहार में कैसे दिखती है?

उत्तर: यह इस रूप में प्रकट होती है:

  • उम्र का घमंड

  • जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव

  • परिवार या राष्ट्र के नाम पर संघर्ष

  • “हमारे” और “दूसरों” की सोच


प्रश्न 4: देह अभिमान क्यों संघर्ष और मोह का कारण बनता है?

उत्तर: जब हम देह को अपनी पहचान मान लेते हैं, तो हम चीजों और लोगों से अटैच हो जाते हैं। ये अटैचमेंट अपेक्षाओं और मोह को जन्म देती हैं, जिससे भावनात्मक संघर्ष होता है।


प्रश्न 5: अटैचमेंट समाज में क्या बुराइयाँ लाता है?

उत्तर: अटैचमेंट के कारण ही भाई-भतीजावाद, जातिवाद, पक्षपात और संकीर्ण राष्ट्रवाद जैसे सामाजिक विकार उत्पन्न होते हैं। हम अपनों को प्राथमिकता देते हैं और दूसरों को कमतर आंकते हैं।


प्रश्न 6: काम वासना कैसे उत्पन्न होती है?

उत्तर: जब हम शरीर को ही सब कुछ समझते हैं, तो शारीरिक विशेषताओं के प्रति आकर्षण बढ़ता है। यह आकर्षण काम वासना का रूप ले लेता है और आत्मा की पवित्रता को दूषित कर देता है।


प्रश्न 7: क्रोध और नफरत का मूल कारण क्या है?

उत्तर: जब हम दूसरों को “अपना” नहीं मानते और भेद की दृष्टि से देखते हैं — जैसे जाति, रंग, भाषा आदि के आधार पर — तब नफरत, गुस्सा और द्वेष पैदा होता है।


प्रश्न 8: लालच कैसे देह अभिमान से जुड़ा है?

उत्तर: जब हम अपने और अपने परिवार के हित को सर्वोपरि मानते हैं, और दूसरों के नुकसान की परवाह नहीं करते, तब यह देह-अभिमान आधारित लालच बन जाता है।


प्रश्न 9: इन सभी बुराइयों से मुक्ति कैसे मिलेगी?

उत्तर: केवल एक ही उपाय है — आत्म चेतना। जब आत्मा अपने असली स्वरूप को पहचानती है और परमात्मा से योग लगाती है, तब शांति, पवित्रता और सच्चा आनंद प्राप्त होता है।


प्रश्न 10: सहज राजयोग का क्या उद्देश्य है?

उत्तर: सहज राजयोग का उद्देश्य है आत्मा को जागृत करना, परमात्मा से संबंध जोड़ना और शरीर चेतना से ऊपर उठकर आत्मा स्वरूप में स्थित होना।

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