20-सहज राज योग और प्रेम के माध्यम से भौतिक ऊर्जा से आध्यात्मिक जुड़ाव
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“स्वयं ईश्वर सिखाते हैं सहज राजयोग | ईश्वर से संबंध जोड़ने का एकमात्र साधन”
“क्या सच में ईश्वर से संबंध जोड़ा जा सकता है?”
हाँ — परंतु एक ही माध्यम से, जिसे स्वयं ईश्वर सिखाते हैं — सहज राजयोग।
यह कोई साधारण योग नहीं — यह वह थॉट एनर्जी सिस्टम है जिसके द्वारा आत्मा, परमात्मा से जुड़ती है।
कोई मनुष्य नहीं, स्वयं परमपिता परमात्मा ही यह विधि सिखाते हैं।
1. सहज राजयोग: ईश्वर से जुड़ने का दिव्य माध्यम
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यह कोई सांसारिक योग नहीं है।
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यह ‘सहज’ है क्योंकि इसमें न शरीर को कष्ट देना है, न कोई आसन या प्राणायाम।
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और यह ‘राज’ है क्योंकि इसमें आत्मा स्वयं को आत्मा समझकर परमात्मा के साथ संबंध जोड़ती है — जो इस पूरे सृष्टि के राजा (सर्वोच्च) हैं।
2. क्या संचार के साधन हमें ईश्वर से जोड़ सकते हैं?
टेलीफोन, रेडियो, रिमोट कंट्रोल — इनसे क्या होता है?
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आज हम पृथ्वी से चंद्रमा तक रिमोट से यान कंट्रोल कर सकते हैं।
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ध्वनि, प्रकाश, विद्युत, रेडियो वेव — सब संचार के शक्तिशाली माध्यम हैं।
लेकिन एक सीमा है:
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हर भौतिक ऊर्जा की सीमा होती है — स्पीड लिमिट, दूरी की सीमा।
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प्रकाश की स्पीड भी सीमित है, रेडियो वेव भी एक हद तक जाती हैं।
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ये सब स्थूल साधन हैं — भौतिक जगत के।
3. ईश्वर कोई भौतिक इकाई नहीं
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ईश्वर को कोई नहीं बना सकता, न माप सकता, न देख सकता।
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इसलिए कोई भी भौतिक साधन — चाहे कितने भी उन्नत हों — हमें परमात्मा से नहीं जोड़ सकते।
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परमात्मा से जुड़ने के लिए कोई ‘डिवाइस’ नहीं — केवल आत्मिक स्थिति और विचार ऊर्जा ही माध्यम है।
4. विचार ऊर्जा — परमात्मा से जुड़ने का वास्तविक माध्यम
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बाबा कहते हैं — थॉट सिस्टम से जुड़ो।
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आत्मा संकल्प करती है, और उस संकल्प से ही परमात्मा के साथ संबंध स्थापित होता है।
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यह विचार-ऊर्जा, कोई भौतिक ऊर्जा नहीं — यह अति सूक्ष्म शक्ति है।
“जैसे हम किसी को याद करते हैं, वैसे ही आत्मा परमात्मा को याद करती है — यही है ‘राजयोग’।”
5. सहज राजयोग — ध्यान का पराकाष्ठा
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सहज राजयोग कोई केवल ध्यान नहीं, यह ईश्वर से संपर्क का सीधा साधन है।
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इसमें आत्मा स्वयं को देह से न्यारा अनुभव करती है, और निराकार परमात्मा के साथ संबंध बनाती है।
और इसका मार्ग कौन सिखाता है?
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कोई मनुष्य नहीं,
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कोई साधु-संत नहीं,
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कोई धर्मगुरु नहीं,
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बल्कि स्वयं परमात्मा शिव, जो साकार तन में आकर हमें सहज राजयोग सिखाते हैं।
6. सहज राजयोग से क्या प्राप्त होता है?
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आत्मा की शक्ति जाग्रत होती है।
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पापों का विनाश होता है।
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ईश्वर से संबंध बनने पर शक्ति, शांति, आनंद, और ज्ञान स्वतः आत्मा में भरने लगता है।
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और यही बनता है मुक्ति और जीवनमुक्ति का द्वार।
7. निष्कर्ष: क्यों केवल सहज राजयोग ही एकमात्र मार्ग है?
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क्योंकि यह किसी देहधारी द्वारा सिखाया गया योग नहीं है —
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यह स्वयं परमात्मा द्वारा सिखाई गई विधि है।
“जिस प्रकार कोई भी रेडियो वेव, परमात्मा को नहीं पकड़ सकती, वैसे ही कोई भी धर्म या कर्मकांड, ईश्वर से संबंध नहीं जोड़ सकता — केवल संकल्प की शक्ति ही हमें वहाँ ले जा सकती है।”
अंतिम शब्द:
सहज राजयोग = संकल्प ऊर्जा + आत्मा की स्मृति + परमात्मा की याद।
यह वह विधि है जिसके द्वारा आत्मा उड़ती है —
सभी भौतिक सीमाओं से परे,
और परमात्मा से एक आत्मिक संबंध स्थापित करती है।
और यह कोई नहीं सिखा सकता —
केवल और केवल स्वयं परमात्मा।
स्वयं ईश्वर सिखाते हैं सहज राजयोग | ईश्वर से संबंध जोड़ने का एकमात्र साधन”
प्रश्न: क्या सच में ईश्वर से संबंध जोड़ा जा सकता है?
उत्तर: हाँ, बिल्कुल। परंतु केवल एक ही माध्यम से — जिसे स्वयं परमात्मा सिखाते हैं — सहज राजयोग।
यह कोई साधारण योग नहीं है, यह आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की थॉट एनर्जी प्रणाली है।
कोई मनुष्य नहीं, स्वयं परमपिता परमात्मा शिव इस योग को सिखाते हैं।
प्रश्न 1: सहज राजयोग क्या है? क्या यह कोई सामान्य योग है?
उत्तर: नहीं, यह कोई सांसारिक योग नहीं है।
यह “सहज” है क्योंकि इसमें न शरीर को कष्ट देना है, न कोई विशेष आसन या प्राणायाम है।
और यह “राज” इसलिए है क्योंकि इसमें आत्मा अपने आप को आत्मा समझकर परमात्मा — जो सर्वश्रेष्ठ राजा हैं — से संबंध जोड़ती है।
प्रश्न 2: क्या भौतिक संचार के साधन हमें ईश्वर से जोड़ सकते हैं?
उत्तर: नहीं।
टेलीफोन, रेडियो, रिमोट कंट्रोल — ये सभी शक्तिशाली साधन हैं जो धरती से चंद्रमा तक संपर्क कर सकते हैं।
लेकिन इनकी सीमाएं होती हैं —
प्रकाश की स्पीड सीमित है।
रेडियो वेव एक हद तक जाती हैं।
ये सब स्थूल (भौतिक) जगत के साधन हैं, जबकि ईश्वर अलौकिक हैं।
प्रश्न 3: ईश्वर को क्यों नहीं पकड़ा जा सकता?
उत्तर: क्योंकि ईश्वर कोई भौतिक इकाई नहीं हैं।
उन्हें कोई बना नहीं सकता, माप नहीं सकता, देख नहीं सकता।
इसलिए कोई भी भौतिक माध्यम — चाहे कितना भी शक्तिशाली हो — परमात्मा से संबंध नहीं जोड़ सकता।
केवल आत्मिक स्थिति और संकल्प शक्ति (विचार ऊर्जा) ही एकमात्र माध्यम है।
प्रश्न 4: विचार ऊर्जा क्या है? और ये कैसे काम करती है?
उत्तर: बाबा कहते हैं — “थॉट सिस्टम से जुड़ो।”
आत्मा जब परमात्मा को याद करती है, तो वह विचार एक ऊर्जा बन जाता है —
यह ऊर्जा किसी भी भौतिक ऊर्जा से अधिक तेज और सूक्ष्म होती है।
संकल्प से आत्मा निराकार परमात्मा तक पहुँच जाती है।
यही विचार ऊर्जा ही सहज राजयोग का मूल है।
प्रश्न 5: क्या सहज राजयोग केवल ध्यान (Meditation) है?
उत्तर: नहीं।
ध्यान तो एक हिस्सा है, परंतु सहज राजयोग सीधे परमात्मा से संपर्क की विधि है।
इसमें आत्मा देह से न्यारी होकर, निराकार ईश्वर से जुड़ती है।
और सबसे महत्वपूर्ण बात — यह कोई साधु, संत या मनुष्य नहीं सिखाता।
केवल स्वयं परमात्मा शिव बाबा ही इसे सिखाते हैं — इस सृष्टि चक्र के संगम युग पर।
प्रश्न 6: सहज राजयोग से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: आत्मा की आध्यात्मिक शक्ति जाग्रत होती है।
पापों का विनाश होता है।
आत्मा में शांति, शक्ति, आनंद और ज्ञान स्वतः भरने लगते हैं।
यही रास्ता मुक्ति और जीवनमुक्ति की ओर ले जाता है।
प्रश्न 7: क्या यह केवल एक ही मार्ग है? क्यों नहीं कोई और?
उत्तर: हाँ, यह एकमात्र मार्ग है।
क्योंकि यह कोई मनुष्य नहीं, बल्कि स्वयं परमात्मा सिखाते हैं।
जैसे —
कोई भी रेडियो वेव परमात्मा को नहीं पकड़ सकती,
वैसे ही कोई भी धर्म, पूजा, कर्मकांड परमात्मा से संबंध नहीं जोड़ सकते।
केवल संकल्प शक्ति — विचार ऊर्जा — ही माध्यम है,
और इसे सहज राजयोग कहते है
सहज राजयोग =
संकल्प ऊर्जा + आत्मा की स्मृति + परमात्मा की याद
= यही है ईश्वर से आत्मा के संबंध की सबसे शक्तिशाली विधि।
और इसे कोई गुरु, संत या धर्म नहीं सिखा सकता।
केवल स्वयं ईश्वर सिखाते हैं।
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