P-P 57″ क्या परमधाम में परमात्मा को संकल्प उठता है?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
ओम शांति – कौन बनेगा पद्मा पदम पति? हम सभी बनेंगे! परमात्मा के समय पर संकल्प उठता है या नहीं?
ओम शांति, प्रिय आत्माओं!
1. Introduction: “कौन बनेगा पद्मा पदम पति?”
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हम सभी एक दिन पद्मा पदम पति (शिव के प्रिय और पवित्र सेवक) बनेंगे। इस मार्ग पर चलने के लिए हमें मंथन करना होगा। जो हम रोज़ मंथन करते हैं, वह मंथन हमें ऊंचे कर्म करने की शक्ति देता है। यह मंथन एक अमृत की तरह है, जो हमारे दिन की शुरुआत और अंत को पवित्र और प्रभावी बनाता है।
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क्या आप भी इस मंथन का हिस्सा बनना चाहते हैं?
सवेरे 4 बजे, 6 बजे, शाम को 4 बजे और रात 8 बजे हम मुरली मंथन करते हैं। आप भी हमारे साथ जुड़ सकते हैं और इस ज्ञान को अपने जीवन में उतार सकते हैं। -
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2. आज का विषय: “क्या परमधाम में परमात्मा को संकल्प उठता है?”
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क्या परमधाम में संकल्प उठता है?
यह एक गहन और विचारणीय प्रश्न है, और इसका उत्तर हमें आत्मा की अवस्था और परमात्मा के कार्यकाल के बारे में समझने से मिलता है।
3. परमधाम में संकल्प का कोई सवाल नहीं
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परमधाम में संकल्प उठने का कोई सवाल नहीं है क्योंकि वहाँ कोई स्थूल या सूक्ष्म शरीर नहीं होते, जिससे कर्म हो सकें। परमधाम में आत्मा और परमात्मा दोनों स्थिर और शांतिपूर्वक रहते हैं।
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संकल्प एक कर्म है और उसके लिए हमें स्थूल या सूक्ष्म शरीर की आवश्यकता होती है। परमधाम में हम शरीर के बिना होते हैं, इसलिए वहाँ कोई कर्म नहीं हो सकता।
परमधाम को ‘साइलेंस वर्ल्ड’ कहा जाता है, जहाँ सिर्फ शांति और स्थिरता का वास होता है।
4. परमात्मा का आगमन और संकल्प
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परमात्मा संकल्प तब उठाते हैं जब वह ब्रह्मा के तन में प्रवेश करते हैं। यह कार्य वह संगम युग पर करते हैं। परमात्मा, अपने विशेष समय पर ही आते हैं, और ड्रामा के अनुसार उनका कार्य निर्धारित होता है।
वे हमारी पुकार पर नहीं आते; वे अपने निश्चित समय पर ही कार्य करते हैं, जैसे ब्रह्मा तन में आकर ज्ञान का प्रकाश फैलाना और आत्माओं को पावन बनाना।
5. ड्रामा और परमात्मा का कार्य
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परमात्मा का कार्य ड्रामा के अनुसार ही होता है। ड्रामा के नियम के तहत परमात्मा संगम युग पर ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर आत्माओं को ज्ञान प्रदान करते हैं और उन्हें पावन बनाते हैं।
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यह कार्य भक्ति मार्ग में पुकारने पर नहीं होता। भक्ति में, आत्मा माया के प्रभाव से भ्रमित होती है, और यह पुकार सिर्फ आत्मा की शुद्धता की इच्छा को दर्शाती है। लेकिन परमात्मा को उस पुकार से कोई फर्क नहीं पड़ता, वे अपने समय पर ही आते हैं।
6. मुरलियों से प्रमाण
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परमात्मा ने कई बार कहा है कि “मुझे कर्म करने के लिए इंद्रियाँ चाहिए,” और “मैं तुम्हारी पुकार पर नहीं आता, मैं अपने ड्रामा के अनुसार समय पर आता हूँ!”
उदाहरण के लिए:-
9 नवंबर 2007 की मुरली: परमात्मा ने कहा, “जब समय होगा तभी एक्ट करने का विचार आएगा और आकर पार्ट बजाएगा।”
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20 अप्रैल 2006 की मुरली: “मुझे कर्म करने के लिए इंद्रियों का आधार चाहिए।”
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7. निष्कर्ष
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परमधाम में संकल्प नहीं उठता।
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ड्रामा के नियम अनुसार ही परमात्मा का कार्य और आगमन होता है।
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संकल्प और कर्म केवल स्थूल या सूक्ष्म शरीर में ही संभव हैं।
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भक्ति मार्ग में आत्मा की शुद्धता की इच्छा को दर्शाती है, लेकिन परमात्मा अपने निर्धारित समय पर ही आते हैं।
8. प्रेरणा
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परमात्मा की सत्य पहचान करें और अपने जीवन में मंथन का अभ्यास करें। जैसे ही हम परमात्मा की दृष्टि से हर कर्म करेंगे, हम भी “पद्मा पदम पति” बनने की ओर अग्रसर होंगे।
यह हम सबका लक्ष्य है—शुद्धता की ओर बढ़ना, और संगम युग में परमात्मा के मार्गदर्शन के साथ सच्चे कर्म करना।
प्रश्न 1: क्या परमधाम में परमात्मा को कोई संकल्प उठता है?
उत्तर: नहीं, परमधाम में संकल्प उठने का कोई प्रश्न ही नहीं है। संकल्प भी एक कर्म है, और कर्म के लिए स्थूल या सूक्ष्म शरीर की आवश्यकता होती है। परमधाम को साइलेंस वर्ल्ड कहा जाता है, जहाँ आत्मा और परमात्मा पूर्ण शांति में रहते हैं।
प्रश्न 2: अगर परमात्मा को संकल्प नहीं उठता, तो वे इस सृष्टि में कैसे आते हैं?
उत्तर: परमात्मा सृष्टि में आत्माओं के बुलाने से नहीं आते, बल्कि ड्रामा के अनुसार निर्धारित समय पर आते हैं। वे ब्रह्मा तन में प्रवेश करके ज्ञान का वितरण करते हैं और आत्माओं को सृष्टि चक्र का ज्ञान देते हैं।
प्रश्न 3: क्या परमधाम में कोई कर्म इंद्रियां होती हैं?
उत्तर: नहीं, परमधाम में न तो कर्म इंद्रियां होती हैं, न कोई संकल्प उठता है, न ही कोई कार्य किया जाता है। बिना स्थूल या सूक्ष्म शरीर के कोई भी कर्म संभव नहीं है।
प्रश्न 4: परमात्मा कब और कैसे आते हैं?
उत्तर: परमात्मा केवल संगम युग पर आते हैं और ब्रह्मा तन द्वारा ज्ञान प्रदान करते हैं। वे सृष्टि चक्र के अनुसार निश्चित समय पर ही अवतरित होते हैं और आत्माओं को पतित से पावन बनाने का कार्य करते हैं।
प्रश्न 5: भक्ति काल में आत्माएं परमात्मा को पुकारती हैं, तो क्या वे तब नहीं आते?
उत्तर: नहीं, परमात्मा भक्ति काल में आत्माओं की पुकार पर नहीं आते। वे केवल ड्रामा के अनुसार अपने निर्धारित समय पर ही आते हैं। आत्माओं की पुकार उनकी भक्ति की भावना होती है, लेकिन परमात्मा अपनी विधि से संगम युग पर ही आते हैं।
प्रश्न 6: परमात्मा आत्माओं का भाग्य लिखते हैं?
उत्तर: नहीं, हर आत्मा अपने कर्मों की कलम से अपना भाग्य स्वयं लिखती है। परमात्मा किसी का भाग्य नहीं लिखते और न ही किसी के कर्मों को बदल सकते हैं।
निष्कर्ष
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परमधाम में कोई संकल्प नहीं उठता क्योंकि वहाँ कोई कर्म इंद्रियां नहीं होतीं।
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परमात्मा आत्माओं की पुकार पर नहीं आते, वे केवल ड्रामा के अनुसार संगम युग पर आते हैं।
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भक्ति काल में आत्माओं की पुकार उनके संकल्प होते हैं, लेकिन परमात्मा ड्रामा के अनुसार ही प्रकट होते हैं।
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हर आत्मा अपने कर्मों के आधार पर अपना भाग्य स्वयं बनाती है।
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परमात्मा केवल ज्ञान का मार्गदर्शन देते हैं, लेकिन भाग्य को बदलते नहीं हैं।
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