Satyug – (16) “Do not prepare for destruction but prepare for Satyug rituals”

सतयुग-(16)”विनाश नहीं सतयुगी संस्कारों की तैयारी करो”

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

YouTube player

विनाश नहीं, सतयुगी संस्कारों की तैयारी करो!

समय का इशारा विनाश  समीप  है! जितना विनाश का समय करीब आ रहा है, उतना ही हमें अपने अंदर सतयुगी देवी-देवताओं के गुण और विशेषताओं को धारण

 करना है।तो क्या करना है?

विनाश की घड़ियों की गिनती मत करो!

स्वयं को बाप समान सतोप्रधान बनाने की गिनती करो!

अभी से वो क्वालिफिकेशन तैयार करो, जो स्वर्णिम युग में चाहिए।क्योंकि…

तीव्र पुरुषार्थ करने वाली आत्माओं के लिए ही संपूर्ण सृष्टि और सतोप्रधान प्रकृति की प्रालब्ध है।

जो संपूर्ण बनेंगे, वही स्वर्णिम युग काभाग्य भोगेंगे।

विनाश की घड़ियां उन आत्माओं के लिए सुखद हैं, जो सतोप्रधान बनने की तैयारी कर चुके हैं!

 तो अब निर्णय आपका है विनाश की गिनती करोगे या स्वयं को संपूर्ण बनाने की?

विनाश नहीं, सतयुगी संस्कारों की तैयारी करो!

प्रश्न 1: विनाश का समय समीप आने पर हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर: विनाश के समय के करीब आने पर हमें अपनी आंतरिक स्थिति पर ध्यान देना चाहिए और स्वयं को बाप समान सतोप्रधान बनाने की गिनती करनी चाहिए। हमें विनाश की घड़ियों की गिनती करने के बजाय, स्वर्णिम युग के लिए अपनी क्वालिफिकेशन तैयार करनी चाहिए।

प्रश्न 2: सतयुगी संस्कारों की तैयारी के लिए हमें क्या विशेष गुण धारण करने चाहिए?
उत्तर: हमें देवी-देवताओं के गुण जैसे सतोप्रधानता, निष्ठा, प्रेम, अहिंसा, शुद्धता, और ज्ञान का अभ्यास करना चाहिए। इन गुणों को आत्मसात करके ही हम सतयुग के पात्र बन सकते हैं।

प्रश्न 3: स्वर्णिम युग में प्रवेश के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर: हमें तीव्र पुरुषार्थ करके अपने अंदर सतोप्रधानता और उच्चतम संस्कारों को विकसित करना चाहिए। जो आत्माएँ इस पुरुषार्थ के द्वारा अपने भीतर संपूर्णता लाती हैं, वही स्वर्णिम युग का भाग्य भोगेंगी।

प्रश्न 4: विनाश की घड़ियाँ उनके लिए सुखद क्यों हैं, जिन्होंने तैयारी की है?
उत्तर: जो आत्माएँ सतोप्रधान बनने की तैयारी कर चुकी होती हैं, उनके लिए विनाश की घड़ियाँ सुखद होती हैं क्योंकि वे पहले से ही अपने संस्कारों में दृढ़ होती हैं और वे उस समय को एक नए प्रारंभ के रूप में देखती हैं।

प्रश्न 5: क्या हमें विनाश की गिनती करनी चाहिए या संपूर्ण बनने की तैयारी करनी चाहिए?
उत्तर: हमें विनाश की गिनती करने के बजाय, अपने आप को संपूर्ण बनाने की तैयारी करनी चाहिए। जब हम सतोप्रधान बनेंगे, तब हम स्वर्णिम युग के भागीदार बनेंगे।

प्रश्न 6: सतयुग के लिए हमें कौन सी विशेष तैयारी करनी चाहिए?
उत्तर: हमें अपने अंतर्मन को शुद्ध करने और श्रेष्ठ संस्कारों को अपनाने की तैयारी करनी चाहिए। इसके लिए हमें दिन-प्रतिदिन अपनी आत्मा के साथ ध्यान, साधना और आत्ममंथन करना होगा।

प्रश्न 7: कौन सी आत्माएँ स्वर्णिम युग का भाग्य भोगेंगी?
उत्तर: केवल वे आत्माएँ स्वर्णिम युग का भाग्य भोगेंगी, जिन्होंने सतोप्रधानता का अभ्यास किया है और तीव्र पुरुषार्थ करके अपने अंदर देवी-देवताओं के संस्कारों को अपनाया है।

प्रश्न 8: वर्तमान समय में हमें किस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए?
उत्तर: वर्तमान समय में हमें अपने भीतर सतयुगी संस्कारों की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि हम विनाश के बाद सतोप्रधान बनकर स्वर्णिम युग में प्रवेश कर सकें।

प्रश्न 9: विनाश की घड़ियाँ हमारे लिए क्यों मायने रखती हैं?
उत्तर: विनाश की घड़ियाँ उन आत्माओं के लिए मायने रखती हैं, जिन्होंने पहले ही अपने आत्मिक विकास और सतोप्रधानता के लिए तैयारियाँ की हैं। उनके लिए यह समय एक नए युग की शुरुआत होती है।

प्रश्न 10: आप इस समय का उपयोग कैसे करेंगे?
उत्तर: हमें इस समय का उपयोग अपनी आत्मा को सतोप्रधान बनाने, सतयुगी संस्कारों की तैयारी करने और अपने पुरुषार्थ को तीव्र करने में करना चाहिए।

आखिरी निर्णय:
अब निर्णय आपका है – क्या आप विनाश की घड़ियाँ गिनने में समय व्यतीत करेंगे या स्वयं को संपूर्ण बनाने की तैयारी करेंगे?

विनाश, सतयुगी संस्कार, विनाश समीप, सतोप्रधानता, देवी-देवताओं के गुण, स्वर्णिम युग, तीव्र पुरुषार्थ, सृष्टि प्रालब्ध, सतोप्रधान प्रकृति, संपूर्णता, आत्मिक तैयारी, स्वर्णिम युग का भाग्य, आत्मा की प्रगति, पुरुषार्थ की शक्ति, विनाश की घड़ियाँ, सतोप्रधान बनने की तैयारी, बाप समान बनने की गिनती, स्वर्णिम भविष्य, आत्मिक विकास, संस्कारों की तैयारी, संपूर्ण बनने की दिशा, सतोप्रधान आत्माएँ,

Destruction, Satyug rituals, destruction is near, Satpradhanta, virtues of deities, golden age, intense effort, creation’s reward, Satpradhan nature, perfection, spiritual preparation, fortune of golden age, progress of soul, power of effort, hours of destruction, preparation to become Satpradhan, count of becoming like father, golden future, spiritual development, preparation for rituals, direction to become complete, Satpradhan souls,