Vishwa Maharajan’s first prince Vishwakisher

विश्र्व महाराजन का पहला प्रन्स विश्र्वकिशेार {13}

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

YouTube player

“विश्व महाराजन का पहला प्रिंस: विश्व किशोर भाऊ | 18 Jan 1986 की अव्यक्त मुरली से दिव्य रहस्य”


 प्रस्तावना:

ओम शांति।
हम एडवांस पार्टी का अध्ययन कर रहे हैं, और आज हम इसका 13वां दिव्य विषय ले रहे हैं —
“विश्व महाराजन का पहला पहला प्रिंस कौन?”
18 जनवरी 1986 की अव्यक्त मुरली में इसका रहस्य स्पष्ट किया गया —
“विश्व किशोर भाऊ बनेंगे विश्व महाराजन के पहले प्रिंस।”


 1. समय का संकेत और सहयोग की पुकार

आज परिवर्तन का समय समीप आ चुका है।
आपके साथी आत्माएं — आपके सहयोग की प्रतीक्षा कर रही हैं।
कार्य भले ही अलग-अलग हों, लेकिन परिवर्तन के निमित्त दोनों हैं।
एडवांस पार्टी वाले आत्माएं स्वयं श्रेष्ठ आत्माओं को आह्वान कर रहे हैं,
और कोई आत्माएं उन्हें तैयार करने में लग चुकी हैं।


 2. सेवा के साधन: मित्रता और समीपता

एडवांस पार्टी का सेवा का माध्यम बन रहा है —
मित्रता और समीपता का संबंध।
वे इमर्ज रूप में ज्ञान चर्चा नहीं करते,
परंतु श्रेष्ठ संस्कारों और पवित्र वाइब्रेशन के द्वारा
एक-दूसरे को प्रेरणा देते हैं।

उनकी विशेषता होती है —
“होली और हैप्पी चेहरा”,
जो स्वयं व दूसरों को स्थाई प्रेरणा देता है।


 3. पहचान और सहयोग का अनुभव

भले ही वे अलग-अलग परिवारों में हों,
लेकिन संबंध और मित्रता के आधार पर
वे एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं।

इसलिए आत्मा यह अनुभूति करती है कि —
“ये अपने हैं, जो यहां से एडवांस पार्टी में गए हैं।”
वे भले ही सेंटर पर न आएं,
परंतु सहयोग तो देते ही हैं,
एक-दूसरे को पहचानते भी हैं।


4. तीव्र गति से हो रहा कार्य

आज एडवांस पार्टी का कार्य तीव्र गति से चल रहा है।
वतन में अदृश्य लेन-देन हो रही है।
विशेष रूप से जगत अंबा बच्चों को दो मधुर बोलों से
याद दिला रही थी:

“सफलता का आधार है — सहन शक्ति और समाने की शक्ति।”

इन दो विशेषताओं से ही सफलता सहज और श्रेष्ठ अनुभव बनती है।


5. विशेष आत्मा: विश्व किशोर भाऊ का अनुभव

आज चिटचैट का विशेष दिन था —
हर आत्मा अपने अनुभव सुना रही थी।

और तब सुनाया गया —
विश्व किशोर भाऊ का अनुभव।
वे भले ही कम बोलते हैं,
पर जब बोलते हैं — तो वह वाणी शक्तिशाली और सारगर्भित होती है।

उनके एक ही बोल में संपूर्ण अनुभव समाया था:

“किसी भी कार्य में सफलता का आधार है — निश्चय, अटलता और नशा।”

अगर निश्चय अटल है,
तो नशा स्वयं ही उत्पन्न होता है,
और उसका प्रभाव दूसरों को भी अनुभव होता है।


 6. समानता: बाप और बच्चे की

जैसे साकार बाप को निश्चय था कि:

“मैं भविष्य में विश्व महाराजन बनूंगा…”

वैसे ही विश्व किशोर को नशा था कि:

“मैं पहले विश्व महाराजन का पहला पहला प्रिंस बनूंगा…”

यह नशा केवल भविष्य का नहीं,
बल्कि वर्तमान का भी अटल नशा बन गया —
जिससे समानता की अनुभूति स्पष्ट हो गई।

जो आत्माएं उनके साथ रही —
उन्होंने यह नज़ारा स्वयं देखा।


इसलिए…
विश्व किशोर भाऊ न सिर्फ़ भविष्य के प्रथम प्रिंस हैं,
बल्कि वर्तमान में भी उस दिव्यता, स्थिरता और निश्चय के प्रतीक हैं।

ओम शांति।

“विश्व महाराजन का पहला प्रिंस: विश्व किशोर भाऊ | 18 Jan 1986 की अव्यक्त मुरली से दिव्य रहस्य”


 Q1: “विश्व महाराजन का पहला पहला प्रिंस कौन है?”

 उत्तर:18 जनवरी 1986 की अव्यक्त मुरली में बाबा ने बताया —
“विश्व किशोर भाऊ” ही बनेंगे विश्व महाराजन के पहले प्रिंस।


 Q2: बाबा ने यह रहस्य कब खोला?

 उत्तर:यह दिव्य रहस्य 18 जनवरी 1986 की अव्यक्त मुरली में स्पष्ट किया गया।


 Q3: एडवांस पार्टी किस कार्य में निमित्त है?

 उत्तर:एडवांस पार्टी का कार्य है —
श्रेष्ठ आत्माओं को पुकारना, सहयोग देना, और विश्व परिवर्तन की तैयारी करना।
वे स्वयं भी परिवर्तन में निमित्त हैं और हमें भी निमित्त बना रहे हैं।


 Q4: एडवांस पार्टी सेवा कैसे करती है?

 उत्तर:
वे ज्ञान चर्चा नहीं करते,
बल्कि मित्रता, समीपता, श्रेष्ठ संस्कारों और पवित्र वाइब्रेशन द्वारा प्रेरणा देते हैं।
उनका “होली और हैप्पी चेहरा” सेवा का मुख्य माध्यम है।


 Q5: क्या एडवांस पार्टी वाले आत्माएं हमें पहचानती हैं?

 उत्तर:हाँ, वे आत्माएं हमें मित्रता और संबंध के आधार पर पहचानती हैं और
अदृश्य रूप से सहयोग भी देती हैं।


 Q6: मुरली में सफलता के कौनसे दो गुण बताए गए?

उत्तर:सहन शक्ति और समाने की शक्ति
इन्हीं के द्वारा सफलता सहज और श्रेष्ठ बनती है।


Q7: विश्व किशोर भाऊ की वाणी की क्या विशेषता है?

उत्तर:वे कम बोलते हैं, पर उनकी वाणी होती है —
शक्तिशाली, सारगर्भित और अनुभवयुक्त।

उनका अनुभव:

“सफलता का आधार है — निश्चय, अटलता और नशा।”


 Q8: विश्व किशोर भाऊ का आत्म-निश्चय क्या था?

उत्तर:उन्हें अटल निश्चय और नशा था कि —
“मैं पहले विश्व महाराजन का पहला पहला प्रिंस बनूंगा।”


 Q9: यह नशा कैसा था — भविष्य का या वर्तमान का?

 उत्तर:यह नशा केवल भविष्य का नहीं,
बल्कि वर्तमान का भी अटल और स्थिर नशा था।
इसी से उनकी समानता बाप के साथ अनुभव हुई।


 Q10: यह समानता किस आधार पर सिद्ध होती है?

 उत्तर:जैसे साकार बाप को निश्चय था —
“मैं विश्व महाराजन बनूंगा”,
वैसे ही किशोर भाऊ को भी आत्म-निश्चय था —
“मैं उसका पहला प्रिंस बनूंगा।”


 Q11: हमें इस ज्ञान से क्या शिक्षा मिलती है?

 उत्तर:हमें भी चाहिए —
अटल निश्चय, आत्मिक नशा और सेवा में स्थिरता।
तभी हम भी इस यज्ञ में श्रेष्ठ भूमिका निभा सकेंगे।


विश्व किशोर भाऊ
भविष्य के नहीं, वर्तमान में भी दिव्यता और स्थिरता के प्रतीक हैं।
उनका आत्म-निश्चय हमें समानता के पथ पर चलना सिखाता है।

ओम शांति।

विश्व किशोर भाऊ, विश्व महाराजन का पहला राजकुमार, 18 जनवरी 1986 मुरली, अव्यक्त मुरली रहस्य, एडवांस पार्टी ब्रह्माकुमारी, गमसंयुग का रहस्य, ब्रह्माकुमारियों का ज्ञान, ब्रह्मा बाबा के नायक, राजयोग रहस्य, बाप के समान, सहन शक्ति, समान की शक्ति, शिव बाबा का यज्ञ, संगमयुग सेवा, राजयोगी जीवन, ब्रह्माकुमारी भाषण, ब्रह्माकुमारी सत्संग, अविनाशी ज्ञान यज्ञ, होली और हैप्पी फेस, विश्व परिवर्तन की शक्ति,श्रेष्ठ आत्मा की पहचान,ब्रह्माकुमारी एडवांस नॉलेज,मुरली ज्ञान रहस्य,ब्रह्माकुमारीप्रेक्षक प्रश्न उत्तर,ईश्वरीय ज्ञान हिंदी,शिव बाबा ज्ञान,18 जनवरी 1986 अव्यक्त मुरली हिंदी,

Vishwa Kishore Bhau, First Prince of Vishwa Maharajan, 18 January 1986 Murli, Avyakt Murli Mystery, Advance Party Brahma Kumari, Mystery of Confluence Age, Knowledge of Brahma Kumaris, Heroes of Brahma Baba, Rajyoga Mystery, Becoming like the Father, Power of Tolerance, Power of Accommodation, Shiv Baba’s Yagya, Confluence Age Service, Raj Yogi Life, Brahma Kumari Speech, Brahma Kumari Satsang, Eternal Knowledge Yagya, Holi and Happy Face, Power of World Transformation, Recognition of Eminent Soul, Brahma Kumari Advance Knowledge, Murli Gyan Mystery, Brahma Kumari Motivational Question Answer, Godly Knowledge Hindi, Shiv Baba Gyan, 18 Jan 1986 Avyakt Murli Hindi,