अव्यक्त मुरली 1983 वीडियो पाठ प्रश्न और उत्तर के साथ

Awyakt murli 1983

S. No.अव्यक्त मुरली 1983वीडियो पाठ प्रश्न और उत्तर के साथ
1(01)“हर गुण, हर शक्ति को निजी स्वरूप बनाओ बाप समान बनो”
2(02)“निरन्तर सहज योगी बनने की सहज युक्ति”
3(03)“व्यर्थ को छोड़ समर्थ संकल्प चलाओ”
4(04)“समर्थ की निशानी-संकल्प, बोल, कर्म, स्वभाव, संस्कार बाप समान”
5(05)“स्वदर्शन चक्रधारी ही चक्रवर्ती राज्य भाग्य के अधिकारी”
6(06)“सहजयोगी और प्रयोगी की व्याख्या”
6a“सहजयोगी और प्रयोगी की व्याख्या”(6a)
7(7)“दाता के बच्चे बन सर्व को सहयोग दो”
8(8)“विश्व शान्ति का आधार - रियलाइजेशन”
09(9)“सदा उमंग-उत्साह में रहने की युक्तियाँ”
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11(11)“शान्ति की शक्ति”
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(12)“दिलाराम बाप का दिलरूबा बच्चों से मिलन”
13(13)“संगमयुग पर श्रृंगारा हुआ मधुर अलौकिक मेला”
14(14)“विश्व के हर स्थान पर आध्यात्मिक लाइट और ज्ञान जल पहुँचाओ”
15(15)“भारत माता शक्ति अवतार द्वारा विश्व का उद्धार”
16(16)बाप समान बेहद की वृत्ति काे धारण कर बाप समान बनाे
17(17)“भारत माता शक्ति अवतार द्वारा विश्व का उद्धार”
18(18)“प्रथम और अन्तिम पुरूषार्थ”
19(19)“सर्व वरदान आपका जन्म-सिद्ध अधिकार”
20(20)“सर्व वरदान आपका जन्म-सिद्ध अधिकार”
21(21)“सहज पुरूषार्थी के लक्षण”
22(22)“परचिन्तन तथा परदर्शन से हानियाँ”
23(23)“सम्पन्न आत्मा सदा स्वयं और सेवा से सन्तुष्ट”
24(24)“कर्मातीत स्थिति के लिए समेटने और समाने की शक्तियों की आवश्यकता”
25(25)संगम युग काप्रभु फल खाने से सर्व प्राप्ति।
26(26)संगमयुगी मर्यादाओं पर चलना ही पुरूषोत्तम बनना है l
27(27)रूहानी पर्सनालिटी, वाणी पर्सनालिटी।
28(28) दृष्टि-वृत्ति परिवर्तन करने की युक्तियाँ
29 (29)परम पूज्य बनने का आधार।
30(30)माया को दोषी बनाने के बजाए मास्टर रचता, शक्तिशाली बनो
31(31)सदा एकमत, एक ही रास्ते से एक रस सिचती।
32(32) “ब्राह्मणों का संसार - बेगमपुर”07-05-1983
33(33)ब्राह्मण जीवन का श्रृंगार - स्मृति, वृत्ति, और दृष्टि की स्वच्छता (पवित्रता)
34(34)“हे युवकों विश्व परिवर्तन के कार्य में निमित्त बनो”
35(35) “उड़ती कला में जाने की विधि और पुण्य आत्माओं की निशानियां”
36(36)“संगम युग - मौजों के नज़ारों का युग”
37(37) साक्षी दृष्टा कैसे बने?
38(38)“छोड़ो तो छूटो!
39(39)“ब्रह्मा बाप की बच्चों से एक आशा”
40(40)नये ज्ञान और ज्ञान दाता को अथॉरिटी से प्रत्यक्ष करो तब प्रत्यक्षता का नगाड़ा बजेगा
41(41)“जहाँ सच्चा स्नेह है वहाँ दु:ख की लहर नहीं”
42(42)“सहज शब्द की लहर को समाप्त कर साक्षात्कार मूर्त बनो”
43(43)सुख, शान्ति और पवित्रता के तीन अधिकार
44(44)“संगमयुगी ब्राह्मणों का श्रेष्ठ भाग्य
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46(46)श्रेष्ठ पद की प्राप्ति का आधार - ‘मुरली'
47(47)“एकाग्रता से सर्व शक्तियों की प्राप्ति”
48(48)“प्रभु परिवार - सर्वश्रेष्ठ परिवार”
49(49)“डबल लाइट की स्थिति से मेहनत समाप्त”
50(50)“तुरत दान महापुण्य का रहस्य”
51(51)“डबल लाइट की स्थिति से मेहनत समाप्त”
52(52)“संगमयुग के दिन बड़े ते बड़े मौज मनाने के दिन”
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